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    Budgam ByPoll Result: लिटमस टेस्ट में उमर सरकार फेल, PDP ने नेकां के जबड़े से निकाली बडगाम सीट; क्या थे हार के कारण?

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 06:02 PM (IST)

    बडगाम उपचुनाव में पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर मेहदी ने नेका के आगा सैयद महमूद को हराकर बडगाम सीट जीत ली है। 1972 से नेका का गढ़ रहे इस क्षेत्र में पहली बार पीडीपी ने कब्जा जमाया है। लोगों का मानना है कि नेका की नीतियों और क्षेत्र को हल्के में लेने के कारण उन्हें हार मिली। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के विश्वविद्यालय के वादे के बावजूद नेका सीट नहीं बचा पाई।

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    बडगाम में नेकां को मिली हार, सीएम उमर को झटका। फाइल फोटो

    रजिया नूर, श्रीनगर। बड़गाम उपचुनाव में पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर मेहदी ने बड़गाम सीट पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी आगा मेहमूद को भारी मतों से पराजित कर दिया है और इसके साथ ही 1972 से लेकर 2024 तक नेका का केंद्र बने रहने वाले बडगाम विस क्षेत्र के इतिहास में यह पहली बार है जब यह सीट उनके हाथ से छूट गई हो। बडगाम उपचुनाव में पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर मेहदी ने बडगाम सीट पर कब्जा कर लिया है।

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    इधर, लोगों की मानें तो नेकां ने यह सीट अपनी गत नीतियों के कारण गंवा दी, वहीं राजनीतिक विशलेषकों का भी कहना है कि नेकां का बडगाम विस क्षेत्र को हलके में लेना इसे महंगा पड़ गया है।

    गौरतलब है कि गत वर्ष विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह द्वारा इस सीट पर कब्जे के बाद इसे छोड़ गांदरबल सीट जो उन्होंने उसी चुनाव में जीते बडगाम सीट के साथ ही जीती थी, को चुनने के बाद बडगाम की सीट रिक्त पड़ी हुई थी, के लिए 11 नवंबर को उपचुनाव हुए।

    सीएम ने झोंकी थी पूरी ताकत

    हालांकि, इस चुनाव पर फिर से कब्जा जमाने के लिए नेकां ने आगा सैयद महमूद जैसे मजबूत उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा और उसके बाद मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तगड़ा चुनावी अभियान भी चलाया।

    मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी के बाकी दिग्गज नेताओं तक पार्टी ने उक्त क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने तथा उनके अधिक से अधिक मत अपने खाते में डालने के लिए अपनी पूरी ताकत झौंक दी। यहां तक कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने चुनावी प्रचार के बीच ही बाकी मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ साथ बडगाम को एक विश्विद्यालय देने का भी वादा किया।

    ऐसा होता तो नेकां को मिलती जीत

    लेकिन इस बार उनका यह आश्वासन मतदाताओं को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाया। वहीं इसी बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा सांसद सैयद आगा रूहुल्लाह ने पार्टी द्वारा चुनावी अभियान में हिस्सा ना लेने ने पहले ही पार्टी की दिक्कतें बढ़ा दी थी, जिसका पूरा पूरा लाभ पीडीपी ने उठाया। पीडीपी ने नेका के आगा महमूद के मुकाबले में आगा सैयद मुंताजिर मेहदी को चुनावी मैदान में उतारा।

    हालांकि, गत वर्ष हुए चुनाव में आगा मुंताजिर मेहदी, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से 18,485 मतों से हारे थे (उस चुानाव में उमर अब्दुल्लाह ने 36010 जबकि आगा मुंताजिर ने 17525 मत प्राप्त किए थे), को इस उपचुनाव में नेकां के सैयद आगा महमूद के मुकाबले में खड़ा कर दिया।

    पीडीपी ने निकाल ली सीट

    पीडीपी ने भी बडगाम विस क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने के लिए चुनावी अभियान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और अपने पूरे अभियान में मतदाताओं को नेका की खामियों और बीते चुनाव में उनके लोगों से किए गए फ्री बिजली, विकास व अन्य सुविधाएं उलब्ध कराने के पूरे न किए जाने वाले वादों को गिनवाती रही।

    इस बार अपने एक साल पूरा करने के दौरान आम लोगों को कोई खास राहत उपब्ध न करने के चलते नेकां का उस क्षेत्र मे अपना दबदबा रख पाना मुशकिल हो गया और आज चुनाव परिणामों के दौरान शुरू से ही पीडीपी नेकां पर हावी रही और अंत: सीट अपने नाम करा ली।

    गलत पॉलिसियों के चलते नेकां ने खोया बडगाम

    इधर आम लोगों का कहना है कि नेका ने अपी गलत पालिसियों के चलते बडगाम को खो दिया। अब्दुल जब्बार शैख नामक एक स्थानी नागरिक ने कहा कि मेरे खयाल में नेशनल कांफ्रेंस ने बडगाम विस क्षेत्र को उसी दिन खो दिया था, जब मुख्यमंत्री बन जाने के बाद उमर अब्दुल्ला ने बडगाम पर गांदरबल को तरजीह दी और यह सीट छोड़ कर गांदरबल सीट पर कब्जा जमाए रखा।

    ... तो इस वजह से हार गई नेकां

    शेख ने कहा कि उसी दिन हम लोगों को न केलव निराशा बल्कि बदगुमानी ने घेरा था। हालांकि, उमर अब्दुल्ला बतौर मुख्यमंत्री बड़गाम के लोगों का विश्वास फिर से जीत सकते थे। अगर वह यहां विकास के किए गए अपने उन वादों जो उसने उस चुनाव के दौरान बड़गाम के लोगों से किए गए वादे पूरे किए होते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

    बडगाम सीट छोड़ कर वह बड़गाम के लोगों को जैसे भूल ही गए। शेख ने कहा कि हमने भी उनको इस उपचुनाव में हमें फरामोश करने का बदला चुका दिया है। बाकिर हुसैन शाह नामक एक अन्य नागरिक ने कहा कि बस जैसे को तैसा। हमने दिखा दी अपनी ताकत। हुसैन ने कहा कि 1972 से नेका ने हमारी भावनाओं के साथ खेला। खाली भाषण दिए। तरक्की के नाम पर कुछ नहीं किया।

    हां, पार्टी के नेताओं में से आगा सैयद रूहुल्लाह ही ने सूजबूझ से काम लिया और पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाए। हम रूहुल्लाह के शुक्रगुजार हैं। उन्होंने इस पार्टी के चुंगल से हमारी जान छूटने में हमारी मदद की। बाकिर ने कहा,अब हमें उम्मीद है कि आगा मुंताजिर जो अब हमारे रहनुमा हैं, हमारे मुद्दों को उभारेंगे, न केवल उभारेंगे बलकि उन्हें सुलझाएंगे भी।

    बडगाम को हलके में लेना नेकां पर बड़ा भारी

    राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि नेकां द्वारा बडगाम विस क्षेत्र को गंभीरता से न लेना उन पर भारी पड़ गया। घाटी के वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक अहमद अली फयाज ने कहा कि बडगाम का उपचुनाव नेशनल कांफ्रेंस के लिए एक लिटमस टेस्ट था।

    नेकां को चाहिए था कि इस लिटमस टेस्ट को पास करने के लिए वह कड़ी मेहनत करता। क्योंकि बीते चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में पार्टी ने दशकों की अपनी बढ़त बरकरार रखी थी और यहां के लोगों ने भी उन्हें मायूस नही किया था।

    उमर अब्दुल्ला को शानदार जीत लिदाई थी। उमर अब्दुल्ला ने उस बार चुनावी अभियान में यहां के लोगों के साथ बड़े बड़े वादे किए थे। उन्हें विकास, बुनियादी सुविधाएं, रोजगार, मुफ्त बिजली के यूनिट आदि उपलब्ध कराने का वादा किया था।

    जमीनी स्तर पर बड़गाम में कुछ नहीं बदला

    लोगों की भी आंस बंध गई थी। लेकिन उनके उन वादों के एक साल बाद भी पूरे होने के कोई आसार लोगों को नही दिखे। जमीनी स्तर पर बड़गाम में कुछ नहीं बदला। बल्कि यूं कहें कि लोगों की दिक्कतें कम होने के बजाए बढ़ ही गईं।

    नतीजतन उन्होंने निराश होकर इस पार्टी को नकारा और अपने क्षेत्र से निकाल बाहर करने का फैसला किया और आज बेल्ट बाक्सेज ने उनकी वह निराशा पूरी तरह दर्शा दी। आगा रूहुल्ला का जिक्र करते हुए फयाज ने कहा, आगा रूहुल्लाह इस चुनाव में एक गम चैंजर बने रहे। उनका पार्टी के चुनावी अभियान से दूर रहने ने बड़गाम में नेका की ताबूत में आखरी कील का काम कर दिया।

    फयाज ने कहा,बड़गाम मेें नेका का हार जाना भविष्य में इस पार्टी के लिए बहुत गंभीर चुनौतियां खड़ी कर सकता है। क्योंकि अभी इस पार्टी के कार्यकाल के चार साल बाकी है। पहले साल में ही बड़गाम के लोगों ने इसे आईंना दिखा दिया।

    चार साल के दौरान यदि पार्टी ने जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नही लाया तो शायद घाटी के बाकी विस क्षेत्रों में भी इसकी यही हालत होगी जो आज बड़गाम में हुई है। फयाज ने कहा,पीडीपी के लिए भी यह एक संदेश है बलकि एक सीख है कि वह लोगों को हलके में न ले।

    उनकी भावनाओं के साथ ना खेले। क्योंकि लोगों के पास वोट की सूरत में एक बड़ी ताकत है जिसका सही से इस्तेमाल कर वह किसी भी सत्ता का किसी भी नेता का तख्ता पलट सकते हैं।