बीएसएफ जवान की शहादत पर बंद रहा कस्बा, कहा- हमे इन जालिमों से आजादी चाहिए
इसी बीच, शहीद को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पैतृक कब्रिस्तान मे सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जनाजे मे सैकड़ो लोग शामिल हुए।
श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो] उत्तरी कश्मीर के हाजिन (बांडीपोर) क्षेत्र में आतंकी हमले में बीएसएफ जवान की शहादत पर वीरवार को पूरा कस्बा बंद रहा। बिलखते परिजनों को सांत्वना देते लोग आतंकियो को कोस रहे थे। कह रहे थे कि हमे अमन और इन जालिमों से आजादी चाहिए। यह कौन सा इस्लाम और जिहाद है जो बुजुर्ग महिलाओं पर भी गोलियां बरसाने की इजाजत देता है। इसी बीच, शहीद को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जनाजे मे सैकड़ो लोग शामिल हुए।
गौरतलब है कि, बुधवार रात को आतंकियो नें हाजिन के पर्रे मुहल्ले मे बीएसएफ कर्मी रमीज अहम पर्रे की उसके परिजनो के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी थी। रमीज के पिता, दोनो भाई और फूफी भी घायल हो गई जो अस्पताल मे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे है।
रमीज कुछ ही दिन पहले राजस्थान से छुट्टी पर घर आया था। पूरे हाजिन मे सभी दुकाने और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। सड़को पर सार्वजनिक वाहनो की आवाजाही नाममात्र ही रही।
बंद का आह्वान किसी भी संगठन ने नही किया था। लोगो ने बीती रात को हुए आतंकी हमले के खिलाफ स्वेच्छा से हड़ताल की थी। जगह जगह पुलिस और अर्धसैनिकबलो के जवान ही नजर आ रहे थे या फिर पर्रे मुहल्ले मे स्थित दिवंगत बीएसएफ कर्मी के घर की तरफ जाते लोगो की भीड़ दिखती थी। दिवंगत के घर मातम पसरा हुआ था। महिलाएं बिलख रही थी। पड़ोसी व रिश्तेदार सांत्वना देने मे जुटे थे।
जो भी मिलता, आतंकियो को कोसते हुए कहता था कि यह तो इस्लाम नही है। दिवंगत के जनाजे मे शामिल होने आए उसके रिश्तेदार फैयाज अहमद ने कहा कि यह कौन सी आजादी की जंग है, एक आदमी छुट्टी पर घर आता है, उसे भून दिया जाता है। उसके बुजुर्ग पिता को भी गोली मारी जाती है, बूढ़ी फूफी को भी नही बख्शा। ऐसे लोगो को खुदा दोजख मे भी जगह न दे। शौकत हुसैन नामक एक बुजुर्ग ने कहा कि कश्मीर में तो कहर बरस रहा है। यह मुहर्रम का महीना है और जो बीती रात यहां हुआ है, वह करबला की याद दिलाता है।
जिन्होने रमीज की हत्या की,उसके पूरे खानदान को कत्ल करने की कोशिश की,वह कैसे इस्लाम के पैरोकार हो सकते है। हमे ऐसे लोगो से निजात चाहिए,आजादी चाहिए। अख्तर हुसैन नामक एक युवक ने कहा कि अगर रमीज की हत्या करने वाले सही होते तो आज हाजिन बंद नही होता। पहले भी आतंकियो के हमले में कई स्थानीय पुलिस वाले या सुरक्षाकर्मी मारे गए है, लेकिन कभी उनकी मौत पर कोई कस्बा बंद नही हुआ। लेकिन आज हाजिन मे बंद हुआ है जो पहली बार है। इसलिए जिन्होने यह हत्या की है, उन्हे समझ लेना चाहिए कि आम लोग उनसे अब निजात और आजादी चाहते है।