आतंक के गढ़ में भाजपा को मिले सबसे ज्यादा वोट
कश्मीर घाटी में भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में आतंक के गढ़ त्राल में सबसे ज्यादा वोट पाए हैं।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: कश्मीर घाटी में भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में भले ही कोई सीट नहीं जीत पाई हो, लेकिन उसने आतंकवाद का गढ़ कहलाने वाले त्राल में कश्मीर केंद्रित सियासत करने वाले दलों को पछाड़ते हुए सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि त्राल विधानसभा क्षेत्र अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
यह सीट नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने जीती है। अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र में स्थानीय सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने तीन चरणों में मतदान करवाया था। लगभग 14 लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में सिर्फ 1.24 लाख ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि पूरी वादी में कुल 7,61,310 मतदाताओं ने वोट डाले हैं। वादी के तीन संसदीय क्षेत्रों बारामुला-कुपवाड़ा, श्रीनगर-बडगाम और अनंतनाग-पुलवामा के अंतर्गत 46 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। चुनाव आयोग द्वारा तीनों सीटों के लिए परिणाम घोषित किए जाने के बाद विधानसभा क्षेत्र वार उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, पूरी वादी में भाजपा सिर्फ एक ही सीट पर आगे रही है। अन्यत्र वह तीसरे से लेकर पांचवे नंबर पर ही नजर आई है। भाजपा ने दक्षिण कश्मीर में पीडीपी का गढ़ कहलाने वाले त्राल में ही सबसे ज्यादा वोट लिए हैं। त्राल विधानसभा क्षेत्र से पीडीपी के उम्मीदवार ही वर्ष 2002 से लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। त्राल में भाजपा को 323 वोट मिले हैं, जबकि संसदीय सीट जीतने वाले नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार को 234 और पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती को 220 वोट मिले हैं। कांग्रेस उम्मीदवार जीए मीर को त्राल में 144 मतदाताओं ने वोट दिया। पूरे त्राल में आतंकियों और अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के बीच मात्र 1.03 प्रतिशत मतदान हुआ है। पूरे क्षेत्र में 1021 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। अलबत्ता, अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र में भाजपा चौथे नंबर पर रही है। भाजपा उम्मीदवार सोफी यूसुफ को कुल 10,225 वोट मिले हैं। इनमें विस्थापित कश्मीरी पंडितों के 7251 वोट हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष र¨वद्र रैना ने कहा कि पूरे कश्मीर में मतदान पर अलगाववादियों और आतंकियों के चुनाव बहिष्कार कर असर रहा है। इसलिए हमारे पक्ष में ज्यादा मतदान नहीं हुआ, क्योंकि जहां भाजपा का असर ज्यादा था, वहां आतंकी खतरा भी ज्यादा था। त्राल के मतदान ने उन लोगों को जवाब दिया है जो कहते हैं कि भाजपा का कश्मीर में कोई आधार नहीं है। कश्मीर में भाजपा अपने कार्यालय से बाहर कहीं नहीं ह। बेशक हमें कश्मीर में संसदीय चुनाव में कोई सीट नहीं मिली है, लेकिन विधानसभा चुनाव में कश्मीर में कमल जरूर खिलेगा। हमें पता है कि हमें वहां किन-किन सीटों पर मेहनत करनी है।
दक्षिण कश्मीर में संसदीय सीट पर भाजपा के उम्मीदवार सोफी मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि संसदीय चुनाव में पीडीपी, कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस समेत अन्य दलों और उम्मीदवारों ने सिर्फ हमारे खिलाफ प्रचार किया। हमारे खिलाफ वोट मांगे। उसके बावजूद हमें यहां मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिला है। त्राल में जो आतंकियों का गढ़ माना जाता है। जहां से जाकिर मूसा और बुरहान जैसे आतंकी निकले हैं, वहां अगर भाजपा आतंकियों के प्रति तथाकथित नरम रवैया रखने वाली नेकां, पीडीपी या कांग्रेस से आगे रही है तो कुछ न कुछ बात तो भाजपा में होगी। भाजपा को दिया गया वोट आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ है। भाजपा को वोट कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय और राष्ट्रवाद के हक में है। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि पूरी वादी में तीनों सीटों पर 7,61,310 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इनमें से भाजपा के खाते में सिर्फ 20,356 वोट आए हैं।
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