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कट्टरपंथी अहले हदीस को शह न दे सरकार

-प्रदेश भाजपा ने दी चेतावनी, श्रीनगर में पचास कनाल भूमि अलॉट करने में सरकार की जल्दबाजी नहीं

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 09:59 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 09:59 PM (IST)
कट्टरपंथी अहले हदीस को शह न दे सरकार
कट्टरपंथी अहले हदीस को शह न दे सरकार

-प्रदेश भाजपा ने दी चेतावनी, श्रीनगर में पचास कनाल भूमि अलॉट करने में सरकार की जल्दबाजी नहीं आ रही पार्टी को रास

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राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर में वहाबी इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए ट्रांस इस्लाम यूनिवर्सिटी बनाने की कोशिशें कर सुर्खियों में आए धार्मिक संगठन अहले हदीस को श्रीनगर में पचास कनाल भूमि अलॉट करने में सरकार की जल्दबाजी भाजपा को रास नहीं आ रही है।

यह मुद्दा सुर्खियों में है कि अपने कट्टरपंथी विचारों से नफरत फैला रहे मुश्ताक वीरी को खुश करने के लिए मुख्यमंत्री अहले हदीस को जमीन अलॉट कर रही हैं। भाजपा प्रवक्ता ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस संबंध में मुख्यमंत्री के कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर को पत्र लिखने के बाद राज्य प्रशासन जमीन अलॉट करने में जरूरत से ज्यादा जल्दबाजी दिखा रहा है।

भाजपा प्रवक्ता ने कहा है कि अहले हदीस कश्मीर में सूफी इस्लाम को खत्म कर कट्टरपंथी वहाबी इस्लाम को प्रभावी बनाने की कोशिश कर रही है। पंद्रह साल पहले तक राज्य में कोई अहले हदीस को जानता नहीं था। आज जम्मू कश्मीर में करीब 25 लाख मुस्लिम इसके सदस्य हैं। यह 700 मस्जिदें, मदरसे बनाने के साथ 150 स्कूलों, कालेजों, अनाथालयों व संगठनों को फंड दे रहा है।

अहले हदीस ने 200 करोड़ की लागत से श्रीनगर के हैदरपोरो में ट्रांस व‌र्ल्ड मुस्लिम यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव रखा था। उस समय के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सैफउद्दीन सोज ने इसका विरोध किया था। इस प्रस्ताव को सिलेक्ट कमेटी को सौंप दिया गया था। तब तक सरकार ने इस यूनिवर्सिटी के लिए 100 कनाल जमीन अलॉट कर दी थी।

-------------------------------- सैनिक कालोनी के लिए नहीं है जमीन

कश्मीर में पूर्व सैनिकों के लिए सैनिक कालोनी बनाने के लिए कोई जमीन न होने का दावा करने वाले राज्य प्रशासन के पास कट्टरपंथी संगठनों के लिए जमीन है।

ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने कहा है कि उन्होंने कश्मीर प्रशासन से जब सैनिक कालोनी के लिए जवाब मांगा था तो स्पष्ट जवाब था कि श्रीनगर व इसके आसपास कोई सरकारी जमीन नही है। अब ईदगाह के लिए सरकार के पास पचास कनाल सरकारी जमीन कहां से आ गई।


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