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Jammu And Kashmir: डूबते लोगों की जिंदगी बचाने का जरिया बन गए बशीर अहमद मीर, सिंधु नदी से 16 की बचाई जान

Bashir Ahmed Mir कश्मीर के बशीर अहमद मीर सिंधु नदी से अब तक 16 लोगों की जान बचा चुके हैं। इसके अलावा 46 लोगों के शवों को भी खोज चुके हैं। अब तो पुलिस की गोताखोर और एनडीआरएफ की टीमें भी उसे अपने बचाव अभियानों में साथ रखती है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 08:54 PM (IST)
Jammu And Kashmir: डूबते लोगों की जिंदगी बचाने का जरिया बन गए बशीर अहमद मीर, सिंधु नदी से 16 की बचाई जान
बशीर अहमद मीर सिंधु नदी से अब तक 16 लोगों की जान बचा चुके हैं।

रजिया नूर, श्रीनगर। Bashir Ahmed Mir: कश्मीर का एक ऐसा युवा जिसकी तैराकी लोगों की जिंदगी बचाने का जरिया बन गई है। यह युवा सिंधु नदी के बेहद ठंडे एवं मनमानी लहरों की विपरीत धारा में ऐसे तैरता है, जैसे उसका शरीर इसीलिए ही बना हो। तैराकी का उनका यह शौक सिंधु नदी से अब तक 16 लोगों की जान बचा चुका है। इसके अलावा 46 लोगों के शवों को भी खोज चुका है। अब तो पुलिस की गोताखोर और एनडीआरएफ की टीमें भी उसे अपने बचाव अभियानों में साथ रखती है। वह पांच से छह फीट ऊंची लहरों को चीरकर बिना रुके तैर लेते हैं। 42 वर्षीय यह युवा बशीर अहमद मीर है। वह मध्य कश्मीर गांदरबल जिले के कंगन में रहते हैं। उनका घर सिंधु नदी से कुछ ही दूरी पर है।

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वह बताते हैं कि उन्होंने इस नदी से बचपन में ही दोस्ती कर ली थी। स्कूली जीवन से उन्होंने नदी की धाराओं से खेलना शुरू कर दिया था। वह लहरों के विपरीत दिशा में तैरने की कोशिश करते। 13 वर्ष की उम्र में वह माहिर तैराक बन गए थे। नदी में हर दिन तैरते हुए दूर तक निकल जाना उनकी दिनचर्या थी। वह नदी की तलहटी में बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच भी स्विमिंग पूल की तरह तैर लेते हैं। बशीर की तैराकी देख पुलिस की गोताखोर टीम और एनडीआरएफ का बचाव दल भी उन्हें अपने साथ रखता है। उन्हें न सिर्फ सिंधु बल्कि झेलम, डल झील, लिदर समेत अन्य नदी-नालों में डूबते लोगों को बचाने के लिए भी बुलाया जाता है। शवों को खोजने और निकालने में भी उनकी मदद ली जाती है। इस नेक काम के लिए वह कोई आर्थिक मदद नहीं लेते हैं। अब तक वह 16 लोगों को सिंधु नदी से जिंदा निकालने में कामयाब रहे हैं। इसमें डूबे लगभग 46 लोगों के शवों को बाहर निकाल चुके हैं।

इस घटना ने बदल दिया जीवन

बशीर ने बताया कि एक दिन कंगन इलाके में सिंधु नदी के किनारे फोटो खींचने के प्रयास में दो बच्चे इसमें डूब गए। तब वह दसवीं में पढ़ते थे। खबर मिली तो वह तुरंत वहां पहुंचे और नदी में छलांग लगा दी। जुलाई में गर्मी के कारण बर्फीला पानी उफान पर होता है। उफनाती नदी में दो घंटों की मशक्कत से एक बच्चे को बचा लिया। दूसरे को लहरें बहा ले गईं। उसे खोजने के लिए लगातार पांच दिन नदी को खंगाला। आखिर घटनास्थल से सात किलोमीटर दूर वाइल इलाके में नदी में एक चट्टान के नीचे फंसा हुआ उसका शव मिला।

15 युवाओं की बन गई कमाल की टीम

पेशे से दुकानदार बशीर की तैराकी का शौक लोगों की जिंदगी बचाने का मिशन बन गया है। उनके इस जज्बे से प्रभावित होकर स्थानीय युवक भी उनसे जुड़ गए हैं। वर्तमान में 15 युवाओं की टीम है। जब भी कोई किसी को डूबते देखता तो मुंह से अनायास ही शब्द निकल पड़ते हैं कि अब बशीर को बुलाओ। ङ्क्षसधु नदी हो या कोई और जलस्रोत, में किसी के डूबने की सूचना मिलते ही बशीर के नेतृत्व में टीम फौरन पुलिस या एनडीआरएफ के बचाव अभियान के लिए हाजिर रहती है।


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