सवाल हार-जीत का नहीं, लोकतंत्र का है : तौसीफ
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : भाई, यहां सवाल हार-जीत का नहीं है। सवाल तो यह है कि हमने अपने लोगों की बेहतर
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : भाई, यहां सवाल हार-जीत का नहीं है। सवाल तो यह है कि हमने अपने लोगों की बेहतरी के लिए क्या किया है और क्या करेंगे। इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है, बारामुला में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे तौसीफ रैना ने यह बात कही।
एक स्कूल में बने मतदान केंद्र के बाहर तौसीफ ने कहा कि चुनाव लड़ना कोई गलत बात नहीं है। लोगों को धमकाना, उन पर अपनी मर्जी थोपना गलत और इस्लाम के खिलाफ है। मैं सभी से कहूंगा कि चुनावों में हिस्सा लेना चाहिए। मैं शायद चुनावों में हिस्सा नहीं लेता, लेकिन यहां मेरे कुछ दोस्तों ने ही एक दिन बातचीत में मुझे इसके लिए तैयार किया। जब मैने अपने घर आकर अपने फैसले की जानकारी दी तो मेरी मां और मेरे भाई ने भी कहा कि वह भी चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि मैं बीते कुछ वर्षो से बारामुला और उससे सटे इलाकों में अपने साथियों और अपनी संस्था के जरिये आम लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न गतिविधियों का संचालन कर रहा हूं। मैंने देखा है कि लोगों को कहां क्या दिक्कतें आ रही हैं। अगर यहां स्थानीय निकाय होती तो यह दिक्कतें बहुत कम होती। 13 वर्षो बाद यहां चुनाव हो रहे हैं और जो यहां इन चुनावों को कश्मीर मसले और इस्लाम के साथ जोड़ रहे हैं, शायद उन्हें पता नहीं कि निकायों का चुनाव आम कश्मीरी की तरक्की के लिए है। यहां सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए है।
तौसीफ ने कहा कि आज हमारे बारामुला में चुनाव हो गया है। वादी के अन्य शहरों में आने वाले दिनों में वो¨टग होगी। मेरी सभी से विशेषकर कश्मीर के नौजवानों से अपील है कि वह यह मत देखें कि किसने चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया है। कौन चुनावों से दूर है। वह यह देखें कि कश्मीर की तरक्की के लिए इनकी क्या अहमियत है। उसके बाद वह एक अच्छा नुमाइंदा चुनने के लिए जरूर वोट डालने निकलें।