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Balakot Air Strike Anniversary: बालाकोट एयर स्ट्राइक का दम, दुश्मन बेदम

Balakot Air Strike Anniversary बालाकोट एयर स्ट्राइक ने भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य परिदृश्य और परिभाषा को ही पूरी तरह बदलकर रख दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 08:33 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 08:45 AM (IST)
Balakot Air Strike Anniversary: बालाकोट एयर स्ट्राइक का दम, दुश्मन बेदम
Balakot Air Strike Anniversary: बालाकोट एयर स्ट्राइक का दम, दुश्मन बेदम

नवीन नवाज, श्रीनगर। Balakot Air Strike Anniversary: बालाकोट एयरस्ट्राइक..। केवल नाम लेते ही भारतीय सैनिकों की छाती गर्व चौड़ी हो जाती है। बालाकोट एयर स्ट्राइक को बुधवार (26 फरवरी) एक साल पूरा हो जाएगा है। इस एयर स्ट्राइक ने भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य परिदृश्य और परिभाषा को ही पूरी तरह बदलकर रख दिया है। बालाकोट ने पाकिस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया को संदेश दे दिया कि केवल सैन्य शक्ति ही नहीं, भारतीय नेतृत्व में राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प का भी कतई अभाव नहीं। भारत दुश्मन के किसी भी दुस्साह का उसके घर में घुसकर जवाब देना जानता है। इसी असर यह हुआ कि आज पाकिस्तान कश्मीर पर दावा नहीं करता, बल्कि गुलाम कश्मीर को कैसे बचाना है, यह सोच रहा है।

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जानें, भारत ने क्यों बदली रणनीति

पाकिस्तान में पलने वाले आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ने भारत की जमीन पर कई बड़े हमले किए। संसद हमला, मुंबई हमला, पठानकोट एयरबेस हमला, उड़ी हमला। लेकिन भारत हमेशा पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाता था। लेकिन उड़ी हमले के बाद पहली बार भारतीय सेना ने एलओसी पार कर आतंकी शिविरों को निशाना बनाया।

इसके बाद जब पुलवामा हमले में 40 सैनिकों की जान गई तो पहली बार वायुसेना का इस्तेमाल किया गया और वह भी पाकिस्तान के भीतर। इस हमले में गुलाम कश्मीर में स्थित कई आतंकी कैंपों को तबाह किया गया। हालांकि कारगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय वायुसेना ने जीत में उल्लेखनीय भूमिका निभायी, लेकिन उसने एलओसी को पार नहीं किया था। वर्ष 1971 के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय वायुसेना ने दुश्मन देश में घुसकर कार्रवाई की। यह एक तरह से जंग का एलान करने जैसा था। इस हमले ने पाकिस्तान व उसके समर्थकों को साफ संदेश दिया कि अगर जिहादी आतंकियों के कैंप बंद नहीं किए गए तो भारत लाहौर के पास मुरीदके में स्थित लश्कर के मुख्यालय और बहावलपुर में जैश के किले को तबाह करने के लिए भी तैयार है।

जानें, क्या कहते हें विशेषज्ञ

पाक नहीं चाहता, दोबारा बालाकोट जैसा हमला

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ पत्रकार शब्बीर ने कहा कि बालाकोट एक वॉटरशेड है। इस हमले ने पाकिस्तान को पूरी तरह बेनकाब किया है। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने कोई बड़ा हमला नहीं किया। ¨वग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की गिरफ्तारी के बाद रिहाई भारत की एक और जीत थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अगर आप बयान देखो तो पता चलेगा कि वह कितनी बार बालाकोट जैसे हमलों से पाकिस्तान को बचाने का प्रयास कर चुके हैं।

आतंकी जानते हैं अब कश्मीर आएंगे तो मारे जाएंगे : ढिल्लो

श्रीनगर स्थित चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लो ने कहा कि पाकिस्तान को उसकी हर शरारत और दुस्साहस पर सबक सिखाया जाता है। आज यहां आतंकी संगठनों को अपने लिए कमांडर नहीं मिल रहे हैं। पाकिस्तान में वह जिन कमांडरों को कश्मीर के लिए तैयार करता है, उनमें से ज्यादातर कश्मीर आने को तैयार नहीं हैं, उन्हें पता है कि वह कश्मीर में मारे जाएंगे।

आज भारत की आतंकवाद के प्रति स्पष्ट नीति

रक्षा मामलों के विशेषज्ञ डॉ. अजय ने कोर कमांडर केजेएस ढिल्लो के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि यह बालाकोट और देश के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व का प्रभाव है। आज भारत की आतंकवाद और पाकिस्तान के प्रति एक स्पष्ट नीति है। आज कोई आतंकी संगठन खुलकर कोई बड़ा हमला करता नजर नहीं आता। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में उड़ी हमला हुआ था। उसके बाद भारत ने गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की, जिससे सबक लेते हुए पाकिस्तान ने करीब तीन साल तक कश्मीर में कोई बड़ा हमला नहीं किया। उसने जैश को किसी तरह मनाया। बालाकोट हमले के बाद वह बरसों ऐसी हिमाकत करने के बारे में नहीं सोच सकता।

आज भी महसूस होता है बालाकोट हमले का असर

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. हरि ओम ने कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक बहुत अहम थी। बालाकोट हमला करीब 12 दिन बाद किया गया, मतलब यही कि पहले पूरी तरह तैयारी की गई। इसके राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले असर, भारत-पाक के बीच एक पूर्णकालिक युद्ध जैसी आशंकाओं का आकलन किया गया होगा। ऐसा फैसला लेने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और संकल्प चाहिए।

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