अलगाववादियों से बातचीत की प्रक्रिया बहाल करने के प्रयास
:::गिलानी ने किया खुलासा, खुफिया ब्यूरो के अधिकारी ने किया संपर्क :::नई दिल्ली को कश्मी
:::गिलानी ने किया खुलासा, खुफिया ब्यूरो के अधिकारी ने किया संपर्क
:::नई दिल्ली को कश्मीर में लागू सभी काले कानून वापस लेने होंगे
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था और सत्ताधारी गठबंधन में लगातार बड़ी रार के बीच केंद्र सरकार ने कथित तौर पर अलगाववादियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया बहाल करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। अभी तक कामयाबी नहीं मिली है। इसका खुलासा कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने शुक्रवार को किया। गिलानी की बात को अगर सही माना जाए तो बीती रात खुफिया ब्यूरो के अधिकारी ने संपर्क कर नई दिल्ली के साथ बातचीत की प्रक्रिया को बहाल करने के लिए कहा। कट्टरपंथी नेता ने इससे इन्कार करते हुए कहा कि नई दिल्ली सिर्फ समय काटने के लिए बातचीत का ढकोसला करना चाहती है। अगर वह गंभीर है तो सरकार को बिना देरी कश्मीर को विवादित क्षेत्र करार देने के साथ विसैन्यीकरण शुरू करना चाहिए। जनमत संग्रह की जमीन तैयारी करनी चाहिए। कट्टरपंथी नेता ने जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए नई दिल्ली को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि स्थानीय युवाओं को बंदूक उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बातचीत हो सकती है, लेकिन नई दिल्ली को कश्मीर में लागू सभी काले कानून वापस लेने होंगे, फौज हटानी होगी, कश्मीरी कैदियों को रिहा करते हुए कश्मीरियों की उम्मीदों केा ध्यान में रखते हुए पाक समेत सभी संबंधित पक्षों के साथ कश्मीर मसले के हल के लिए बातचीत लायक माहौल बनाना होगा। गिलानी से मुलाकात करने वाले तथाकथित खुफिया अधिकारी की पहचान नहीं हो पाई है और न अधिकारिक स्तर पर इस मुलकात अथवा संवाद की कोई पुष्टि हो पाई है। सूत्रों की मानें तो बीते कुछ दिनों के दौरान ट्रैक टू डिप्लोमेसी के तहत नई दिल्ली से एक दर्जन बुद्घिजीवी, कई पुराने नौकरशाह और अन्य लोग कश्मीर का दौरा कर चुके हैं। हुर्रियत की दूसरी पंक्ति के कुछ नेता बीते दिनों दिल्ली गए हैं। सूत्रों की मानें तो करीब तीन माह पहले केंद्रीय वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा की प्रो. अब्दुल गनी बट से हुई मुलाकात इस प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन उससे कोई ज्यादा लाभ नहीं हुआ है। इस समय नई दिल्ली पर कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की प्रक्रिया बहाल करने का दबाव जम्मू कश्मीर में सत्तासीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की तरफ से बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने जिस तरह से गत दिनों डॉ. हसीब द्राबू को अपनी कैबिनेट से बाहर किया है, उसके जरिए उन्होंने कथित तौर पर केंद्र को संकेत दिया है कि वह अपने राजनीतिक एजेंडों पर कोई समझौता नहीं करेंगी और उनसे किए वादों को केंद्र पूरा करे अन्यथा वह सरकार गिराने से बाज नहीं आएंगे। मौजूदा हालात में केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में सरकार गिरने से पैदा होने वाला राजनीतिक संकट नहीं देखना चाहती क्योंकि इसके नकारात्मक प्रणाम अगले साल होने वाले आम संसदीय चुनाव पर नजर आएंगे। इसके अलावा बातचीत की प्रक्रिया बहाल होने से कश्मीर बिगड़ी कानून व्यवस्था को सामान्य बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी जो केंद्र को फायदा पहुंचाएगा।