सीमा पर जैसे ही गोलीबारी की आवाज पहुंची तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए
सीमा जैसे ही गोलीबारी की आवाज पहुंची तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। खेतों में काम के लिए निकले किसान भी नंगे पांव अपने घरों की तरफ दौड़ पड़े।
रामगढ़, [संवाद सहयोगी] । सीमांत लोगों के कानों तक जैसे ही सरहद पर गोलीबारी की आवाज पहुंचती है तो उनके जेहन में बीते वर्षो के दर्द भरे दिनों की यादें ताजा हो उठती हैं, जब पूरा सीमांत क्षेत्र पाक गोलाबारी से थर्रा उठा था।
पाक गोलाबारी से हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल, चीख पुकार और मासूमों के खून से धरती लाल हो गई थी। सरहद पर करीब छह माह की खामोशी के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फिर से दहशत का माहौल बनने लगा है।
पाक रेंजरों ने शुक्रवार सुबह अरनिया सब सेक्टर बीएसएफ 62 बटालियन की सीमा पोस्टों पर करीब दस मिनट तक गोलीबारी की। उसके बाद रुक-रुक कर फायर होते रहे। अरनिया सब सेक्टर और सरहद के साथ लगते गांव नंदपुर, जोईयां, कठाड़, जेरड़ा, जस्सोचक, एसएमपुर, कंदराल, नथवाल कैंप, नंगा, रंगूर तक जैसे ही गोलीबारी की आवाज पहुंची तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। खेतों में काम के लिए निकले किसान भी नंगे पांव अपने घरों की तरफ दौड़ पड़े। हर तरफ लोगों में दहशत और किसी बड़े खतरे का अहसास होने लगा।
कुछ देर के बाद सरहद पर स्थिति सामान्य होने पर सीमांत लोगों ने राहत की सांस ली। भले ही सुबह के बाद सरहद पर पाक गोलीबारी नहीं हुई, लेकिन दहशत का माहौल है एक फिर अपने पैर पसारने लगा है।
सरहद की दहशत को लेकर संध्या देवी, पुष्पा देवी, विमला देवी, सुषमा देवी, कांता देवी, नानकी देवी, उपदेश कुमार, शाम लाल ने कहा कि सीमांत लोगों के लिए सरहद का तनाव एक अभिशाप बन चुका है।
उन्होंने कहा कि अभी बीते वर्ष एक नवंबर को पाक रेंजरों ने भारतीय सीमांत गांवों पर गोले बरसा कर भारी तबाही मचाई थी। अभी तक उस तबाही को लोग भुला भी नहीं पाए कि फिर से सरहद पर तनाव उत्पन्न होने लगा है।
लोगों ने कहा कि इस दहशत भरी जिंदगी में पल भर भी सुकून नसीब नहीं होता तो पूरी जिंदगी कैसे काटी जा सकती है।
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