कश्मीर में हजामों की कमी, घर में शुरू की दुकान
कश्मीर के जो लोग हजाम का काम छोड़ चुके थे उन्होंने फिर से कैंची पकड़ ली है। इससे जहां उन्हें रोजगार मिल रहा है बल्कि उनकी आर्थिकी में भी सुधार हो रहा है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर में 20 हजार से अधिक बाहरी राज्यों के हजाम अपनी दुकानें बंद कर घरों को लौट गए हैं। ऐसे में अब कश्मीर में हजामों की कमी पैदा हो गई है। दुकानों पर बाल कटवाने और हजामत करवाने वाले लोगों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन हजामत करने वाले नहीं हैं। ऐसे में लोगों को अपनी-अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। इसी बीच गौर करने वाली बात है कि कश्मीर के जो लोग हजाम का काम छोड़ चुके थे, उन्होंने फिर से कैंची पकड़ ली है। इससे जहां उन्हें रोजगार मिल रहा है बल्कि उनकी आर्थिकी में भी सुधार हो रहा है। स्थानीय लोगों के साथ कश्मीर हेयर ड्रेसर एसोसिएशन ने भी पुष्टि की है कि बाहरी राज्यों के करीब बीस हजार हजाम कश्मीर में दुकान करते थे।
गौरतलब है कि पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 को हटाने से पहले ही प्रशासन ने बाहरी राज्यों के लोगों को घाटी छोड़ने की सलाह दी थी। इसके बाद से लाखों की संख्या में श्रमिक घाटी से अपने घरों को लौट गए थे। घाटी में हजाम का काम करने वालों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के बिजनौर से संबंधित थे। घर में ही कर रहा हूं काम, हो रही अच्छी कमाई :
श्रीनगर निवासी मुश्ताक अहमद उन चंद हजामों में से हैं जो कि अब भी यही काम कर रहे हैं। कहते हैं कि अब वह घर में ही काम कर रहे हैं। कश्मीर में 17 दिन से दुकानें बंद हैं। हजामों की मांग बढ़ गई है। ऐसे में जिन दुकानदारों ने बाहरी राज्यों से हजाम रखे थे, वे परेशान हैं और विकल्प ढूंढ रहे हैं। कम हजाम होने से मेरी भी अच्छी कमाई हो रही है। अधिकांश कश्मीरी धार्मिक कारणों से ईद के दस दिन पहले बाल कटवाना, शेव करवाना बंद कर देते हैं। लेकिन अब ईद हो गई है तो लोगों की भीड़ भी बढ़ गई है। सुबह के प्रतिबंध होने के कारण शाम को घर में भीड़ रहती है। वहीं, स्थानीय युवक मोहम्मद शोएब कहते हैं कि वह अपने बाल तो खुद नहीं काट सकते, लेकिन हां, दूसरे और रिश्तेदारों के बाल तो काट ही सकते हैं।