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धारा 35ए व 370 को तत्काल प्रभाव से हटाए केंद्र : चुरंगु

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर ने रविवार को एक बार फिर कश्

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Nov 2017 12:07 AM (IST)Updated: Mon, 13 Nov 2017 12:07 AM (IST)
धारा 35ए व 370 को तत्काल प्रभाव से हटाए केंद्र : चुरंगु
धारा 35ए व 370 को तत्काल प्रभाव से हटाए केंद्र : चुरंगु

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर ने रविवार को एक बार फिर कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के सम्मानजनक वापसी और अलग होमलैंड की मांग दोहराते हुए धारा 35ए व धारा 370 को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की है। पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अश्विनी चुरंगु ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए केंद्र शासित राज्य के दर्जे के साथ होमलैंड ही कश्मीर में पंडितों की वापसी का अंतिम और व्यावहारिक रास्ता है।

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पनुन कश्मीर के महासचिव उपेंद्र कौल व अन्य सहयोगियों की मौजूदगी में अश्विनी चुरंगु ने कहा कि कश्मीरी पंडित आज अपने ही देश में शरणार्थी बनकर घूम रहे हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा मानवाधिकार हनन है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर में अलग होमलैंड की स्थापना के लिए पूरी गंभीरता के साथ सभी पक्षों से बातचीत शुरू करनी चाहिए। प्रस्तावित होमलैंड में भारतीय संविधान के तहत सभी कानून बिना किसी रुकावट लागू होने चाहिए और इसे केंद्र शासित राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित ही कश्मीर के मूल निवासी हैं और कश्मीर में हम बराबर के हिस्सेदार हैं। यह हमारी जन्मभूमि हैं, हमारे पूर्वजों की राख यहीं पर है, हमारे तीर्थ यहीं पर हैं। इसलिए हमारी मांग को खारिज नहीं किया जा सकता।

धारा 35ए और धारा 370 संबंधी सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह हिंदोस्तान की पूर्ववर्ती सरकारों की गलतियां हैं। आज पूरे देश में लोग चाहते हैं कि इन दोनों कानूनों और संवैधानिक प्रावधानों की समीक्षा हो,क्योंकि यह दोनों ही भारतीय संविधान के तहत देश के नागरिकों केा प्राप्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं। यह दोनों प्रावधान समाप्त किए जाएं।

पनुन कश्मीर के नेता ने कहा कि हमारा मानना है कि देश में कोई भी सरकार सत्तासीन हो, उसे राष्ट्रीय एकता, अखंडता पर कोई बातचीत या समझौता करने का अधिकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर भी कोई अपवाद नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली बहुत जरूरी है और कश्मीरी पंडित समुदाय हमेशा से ही उन सभी उपायों का समर्थक रहा है, जो कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल करते हुए यहां स्थायी तौर पर शांति स्थापित करने में समर्थ हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पहले और सबसे ज्यादा पीडि़त कश्मीरी पंडित ही हैं। इसलिए यहां आतंकवाद को पूरी तरह से समाप्त किया जाए।

एक अन्य सवाल के जवाब में अश्विनी चुरंगु और उपेंद्र कौल ने बताया कि वह दो दिनों से कश्मीर में अपनी संकल्प यात्रा के सिलसिले में हैं। वह लोग पिछले दिनों वेथ वतूर-वेरीनाग में वितस्ता के उदगम स्थल पर गए थे। उसके बद उन्होंने देवीबल-शैलपुत्री-बारामुला,ज्येष्ठा देवी श्रीनगर, क्षीर भवानी गांदरबल, गणपतयार मंदिर हब्बाकदल, शीतलनाथ भैरव मंदिर समेत अपने सभी प्रमुख तीर्थस्थलों की यात्रा की। यह दुख की बात है कि वेथ वतूर और शैलपुत्री तीर्थस्थलों की हालत अत्यंत दयनीय है और राज्य सरकार अपनी घोषणाओं एवं वादों के बावजूद हमारे धर्मस्थलों की रक्षा करने में कोताही बरत रही है।

उन्होंने कहा कि सुनियोजित साजिश के तहत ही कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की संस्कृति, सभ्यता और धर्मस्थलों की उपेक्षा की जा रही है।


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