धारा 370 व स्वायत्तता राज्य व केंद्र के बीच संबंधों की धुरी
तारीगामी ने कहा कि वर्ष 1953 से ही जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को धीरे-धीरे भंग किए जाने की प्रक्रिया चलती आ रही है।
श्रीनगर, [राज्य ब्यूरो] । मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव और विधायक मुहम्मद यूसुफ तारीगामी ने सोमवार को धारा 35ए से छेड़खानी का विरोध करते हुए कहा कि धारा 370 और स्वायत्तता ही जम्मू-कश्मीर व केंद्र के बीच संबंधों की धुरी है।उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के तहत ही जम्मू-कश्मीर को धारा 370 और स्वायत्तता मिली है।
भारत के साथ विलय भारतीय संविधान के तहत विभिन्न प्रकार के विशेषाधिकारों की गारंटी के आधार पर हुआ था। संविधान सभा ने ही भारतीय संविधान में धारा 370 को शामिल किया था। यही धारा जम्मू-कश्मीर व केंद्र के आपसी संबंधों को परिभाषित करती है। इस धारा के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त स्वायत्तता ही केंद्र व राज्य के संबंधों का मुख्य आधार है।
तारीगामी ने कहा कि धारा 35ए और जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता का संरक्षण केंद्र की जिम्मेदारी है। इनको यकीनी बनाकर ही कश्मीर में अमन बहाली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कश्मीर मसले को हल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता का विरोध करना अनुचित और हैरान करने वाला है। जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार को हमेशा केंद्र सरकार की मान्यता रही है। उसे राज्य की स्वायत्तता और जमीनी हकीकतों से इन्कार नहीं करना चाहिए। तारीगामी ने कहा कि वर्ष 1953 से ही जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को धीरे-धीरे भंग किए जाने की प्रक्रिया चलती आ रही है।
धारा 370 को कमजोर बनाकर राज्य की स्वायत्तता को भी घटाया गया है। कई केंद्रीय कानूनों को राज्य में विस्तार दिया गया है। लगभग 43 केंद्रीय कानून और संवैधानिक संशोधन जो धारा 370 को लागू करने के समय नहीं थे, बाद में राज्य में लागू किए गए।उन्होंने कहा कि धारा 370 को किसी भी तरह से भंग करने या कमजोर बनाने का प्रयास उन लोगों को ही मजबूत बनाएगा जो राज्य व केंद्र के संबंधों को नुकसान पहुंचाते हुए कश्मीर को हिंदोस्तान से अलग करने में जुटे हैं। इसलिए जरूरी है कि धारा 370 के साथ धारा 35ए को मजबूत किया जाए। यह केंद्र की ओर से कश्मीर में अमन बहाली के लिए शुरू की गई वार्ता प्रक्रिया को भी लाभ पहुंचाएगा।
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