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Article 35A: Kashmir में किसानों को ढूंढने से भी नहीं मिल रहे मजदूर

Article 370 Ends वादी से बाहरी मजदूर चले क्या गए वह अपने पीछे स्थानीय लोगों के लिए बेशुमार चुनौतियां छोड़ गए हैं। आगामी दिनों में शुरू होने वाला है धान की कटाई का काम

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 08:51 AM (IST)
Article 35A: Kashmir में किसानों को ढूंढने से भी नहीं मिल रहे मजदूर
Article 35A: Kashmir में किसानों को ढूंढने से भी नहीं मिल रहे मजदूर

श्रीनगर, जेएनएन। कश्‍मीर की वादी से बाहरी मजदूर चले क्या गए, वह अपने पीछे स्थानीय लोगों के लिए बेशुमार चुनौतियां छोड़ गए हैं। रोजाना के कामकाज के साथ-साथ फसली सीजन में मजदूरों की कमी भी किसान को परेशान करने लगी है। 70 लाख की आबादी वाली वादी में छह से आठ लाख के करीब श्रमिक बाहरी राज्यों के आकर काम करते थे।

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जानकारी हो कि इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड के सबसे ज्यादा श्रमिक शामिल थे। श्रमिकों के वादी में मौजूद रहने से यहां के लोग उनपर ही निर्भर हो गए थे। घर के कामकाज के साथ निर्माण कार्य और खेतीबाड़ी के कामों में भी श्रमिकों का ही सहारा लेते थे। मगर इस बार वादी के किसानों का सहारा बनने वाले मजदूर यहां मौजूद ही नहीं हैं। आगामी दिनों में धान की कटाई शुरू होने वाली है। ऐसे में अभी से किसान मजदूरों की तलाश कर रहे हैं। मगर उन्हें ढूंढने से भी मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि पांच अगस्त को केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 व 35ए हटाने का फैसला लेने के बाद उत्पन्न हुई स्थित के कारण वादी से 95वें फीसद श्रमिक वादी से वापस अपने घरों को लौट गए थे।

मजदूरों के बिना हो गया हूं परेशान

मध्य कश्मीर बड़गाम जिले के बांडीपोरा इलाके के गुलाम मोहम्मद डार नामक किसान कहता है कि धान की फसल तैयार है। फसल काटने के लिए कोई मजदूर नहीं मिल रहा। अगर कुछ और दिन मजदूरों का बंदोबस्त नहीं हुआ तो फसल खराब हो सकती है। बकौल डार, उसकी करीब 20 कनाल जमीन पर धान की खेती है। हर वर्ष बाहरी मजदूरों से ही फसल कटवाता था। लेकिन इस बार मजदूर न मिलने से परेशान हो गया हूं।

घर के लोग तो खेतों में झांकते भी नहीं

किसान अब्दुल जब्बार ने कहा मेरी 41 कनाल जमीन है। आधी से ज्यादा में धान की खेती है। परिवार में मैं ही वाहिद ऐसा बंदा हूं जो खेतीबाड़ी जानता है। घर के बाकी लोग तो खेत की तरफ झांकते भी नही है। उसने कहा कि खेतीबाड़ी का अधिकतर काम वह मजदूरों से ही करवाता है, विशेषकर धान की कटाई का काम तो बाहरी मजदूरों से ही करवाता था। वह काम भी बेहतर ढंग से करते थे और पैसा भी ज्यादा नहीं लेते थे। मगर इस बार उनके वादी से जाने से मेरी परेशानी बढ़ गई है।

स्थानीय मजदूर मांग रहे 800 रुपये दिहाड़ी

किसान गुलाम मोहम्मद वाजा कहता है कि दो दिन से मैं मजदूरों की तलाश में हूं, ताकि मैं अपनी धान की फसल की कटाई शुरू करवा सकूं। लेकिन मजदूर नही मिल रहे हैं। बकौल वाजा स्थानीय मजदूर एक दिन धान काटने की मजदूरी भी 800 रुपये मांग रहे हैं, जबकि इसी काम के बदले में बाहरी मजदूर को 500 रुपये लेता था। वाजा ने कहा कि हमारे यहां के मजदूर बाहरी मजदूरों के वादी से जाने का खूब फायदा उठाने लगे हैं और मनमानी करने लगे हैं।

इसलिए खल रही है वादी में मजदूरों की कमी

पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटा दिया था। इससे पूर्व ही राज्य प्रशासन ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी थी। इसके मद्देनजर जहां अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर दिया गया था, वहीं बाहरी राज्यों सो आकर जम्मू कश्मीर में काम करने वाले लोगों और पर्यटकों को भी घाटी छोड़ने की हिदायत दी थी। इसके कारण घाटी से लाखों की संख्या में बाहरी राज्यों के श्रमिक और अन्य लोग वापस लौट गए थे। एक अनुमान के मुताबिक वादी में छह से आठ लाख बाहरी राज्यों के लोगों मजदूरी करने के लिए आते हैं। 


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