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Army in Kashmir : बर्फीली चोटियों से पाक-चीन को स्पष्ट संदेश, न करना कारगिल या गलवन दोहराने की हिमाकत

थलसेना वायुसेना और नौसेना के विशेष दस्तों ने कश्‍मीर में बर्फ से ढकी चोटियों पर संयुक्त सैन्याभ्यास किया। समुद्रतल से करीब नौ हजार फुट की ऊंचाई पर इन दस्‍तों ने अपनी आक्रामक क्षमता परखी। ड्रोन और यूएवी से लेकर दुश्मन की मिसाइलों से निपटने की पूरी तैयारी है सेना की।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 07:29 AM (IST)
Army in Kashmir : बर्फीली चोटियों से पाक-चीन को स्पष्ट संदेश, न करना कारगिल या गलवन दोहराने की हिमाकत
तीनों सेनाओं के विशेष दस्तों ने नियंत्रण रेखा के करीब कश्‍मीर में बर्फ से ढकी चोटियों पर संयुक्त सैन्याभ्यास किया।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो  : पाकिस्तान हो या चीन, दोनों में से अगर किसी ने भी सर्दियों में हिमपात की आड़ में नियंत्रण रेखा (LOC) या वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कारगिल या गलवन दोहराने की हिमाकत की तो उसे मुंह की खानी पड़ेगी। दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारने का मादा रखले वाली थलसेना, वायुसेना और नौसेना के विशेष दस्तों ने मंगलवार को समुद्रतल से करीब नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग की बर्फ से ढकी चोटियों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हुए अपनी आक्रामक क्षमता को परखा। ड्रोन और यूएवी से लेकर दुश्मन की मिसाइलों से निपटने और उसके सूचना तंत्र को तबाह करने व उसके कंट्रोल रूम में सेंध लगाने का भी अभ्यास हुआ।

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गुलमर्ग में हुआ यह सैन्य अभ्यास सामान्य तौर पर होने वाले अभ्यास से पूरी तरह अलग था। यह अभ्यास युद्ध की स्थिति में दुश्मन के इलाके के भीतर जाकर उसके अग्रिम मोर्चाें को पीछे से तबाह करने की कमांडो कार्रवाई पर केंद्रित था। युद्ध के दौरान हेलीकाप्टर के जरिए अपने लड़ाकों को दुश्मन के इलाके में सुरक्षित उतारने, उन्हें वहां से लाने, आवश्यक साजो सामान उतारने की पूरी कार्रवाई की तैयारियों को परखा गया।

इस दौरान थलसेना की चिनार कोर के जवानों का विशेष दस्ता, वायुसेना के कमांडों व हेलीकाप्टर, नौसेना के मार्काेस दस्ते ने बर्फ के बीच दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने और उसके ठिकानों को तबाह करने की पूरी ड्रिल की।

दुश्मन के इलाके में कमांडो उतारकर पीछे से प्रहार :

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल एमरान मुसवी ने बताया कि इस संयुक्त अभ्यास के दौरान सेना के तीनों अंगों ने दुश्मन पर प्रहार करने की संयुक्त रणनीति तैयार कर उस पर अमल करने, अपने संसाधनों के सदुपयोग और दिए जाने वाले मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने की पूरी व्यूह रचना पर काम किया है। इसके साथ ही दुश्मन पर पीछे से प्रहार करने के लिए उसके इलाके में अपने जवानों को उतारने की कार्रवाई का अभ्यास किया गया है। दुश्मन की गोलाबारी के बीच, दुश्मन के राडार से बचते हुए अपने जवानों को दुश्मन से इलाके से निकालने व अग्रिम मोर्चाें पर आवश्यक साजो सामान पहुंचाने की क्षमता को भी परखा गया है।

अपाचे के साथ इलेक्ट्रानिक वारफेयर भी बना हिस्सा :

कर्नल एमरान मुसवी ने बताया कि इस अभ्यास में अपाचे हेलीकाप्टर भी शामिल हुए। इलेक्ट्रानिक वारफेयर जो बदलते परिवेश में अहम हो चुका है, वह भी इस सैन्य अभ्यास का हिस्सा रहा। इस बीच, एक सैन्याधिकारी ने बताया कि इलेक्ट्रानिक वारफेयर में दुश्मन के कमांड कंट्रोल सिस्टम के कंप्यूटर को हैक कर, उसे जाम करना, उसके सूचना तंत्र को नाकाम बनाना, हवा में ही दुश्मन की मिसाइलों को मार गिराना, यूएवी और ड्रोन हमलो को नाकाम बनाना शामिल रहता है।

सामान्य नहीं है यह सैन्य अभ्यास :

इस बीच, एक सेवानिवृत्त मेजर जनरल ने अपना नाम न छापने पर कहा कि एलओसी के साथ सटे इलाकों में सैन्याभ्यास को आप सामान्य नहीं कह सकते। इस तरह का अभ्यास आप तभी करेंगे जब वहां तनाव हो और आपको अपने दुश्मन को कोई संदेश देना हो। गर्मियों के दौरान चीन और पाकिस्तान ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ सटे तिब्बत के अग्रिम इलाकों में युद्धाभ्यास किया था। इसके अलावा बीते दिनों चीन की सेना ने जिस तरह से गुलाम कश्मीर में अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं और एलएसी पर तनाव चल रहा है, उसमें यह अभ्यास बहुत अहम है। इसके जरिए जहां सेना ने अपनी तैयारियों को परखते हुए पाकिस्तान और चीन को परोक्ष रूप से किसी प्रकार का दुस्साहस न करने की चेतावनी दी है, वहीं इससे जवानों व अधिकारियों का मनोबल भी बढ़ा है। एलएसी और एलओसी की भौगोलिक परिस्थितियों में कोई ज्यादा फर्क नहीं है।

इसलिए महत्वपूर्ण है सैन्य अभ्यास स्थल :

जिस इलाके में यह अभ्यास किया गया, वह उत्तरी कश्मीर में एलओसी (LOC) के साथ सटा हुआ है। इसी इलाके से 1965 और 1971 के दौरान पाकिस्तानी सेना ने गुलमर्ग पर हमला किया था। इसी क्षेत्र से कई बार आतंकी भी घुसपैठ कर चुके हैं। इसलिए सैन्य अभ्यास के लिए यह जगह महत्वपूर्ण हो जाती है।

हम सिर्फ बातें नहीं करते, हम समर्थ हैं :

चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय ने गुलमर्ग में हुए युद्धाभ्यास को जरूरी बताते हुए कहा कि यह हमारी क्षमता को परखने और उसे बढ़ाने का जरिया है। हम सिर्फ बातें नहीं करते हैं, हम समर्थ हैं, यह बताना भी जरूरी है। इस अभ्यास का हिस्सा बनना रोमांचकारी भी है और आपको हमेशा तैयार रखते हुए मनोबल ऊंचा रखता है।


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