Amarnath Yatra से बहुरेंगे कश्मीरी दस्तकारों के दिन, हस्तशिल्प उत्पादों को मिलेगा स्टाॅल लगाने मौका
जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प कारीगरों के लिए अमरनाथ यात्रा खुशखबरी लेकर आई है। उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए घर बैठे ही नया अवसर मिल रहा है। अमरनाथ यात्रा के दौरान सभी यात्री शिविरों और आधार शिविरों में उन्हें अपने उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए स्टॉल उपलब्ध कराए जाएंगे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर के हस्तशिल्प और हथकरघा कारीगरों के लिए अमरनाथ यात्रा खुशखबरी लेकर आ रही है। उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए घर बैठे ही नया अवसर मिल रहा है। अमरनाथ यात्रा के दौरान सभी यात्री शिविरों और आधार शिविरों में उन्हें अपने उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री के लिए स्टॉल उपलब्ध कराए जाएंगे।
31 अगस्त को होगी संपन्न
इनका लाभ विशेषकर स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिला कारीगरों को सबसे अधिक मिलेगा। श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा एक जुलाई से शुरू हो रही है। यह 31 अगस्त को संपन्न होगी। इस वर्ष तीर्थयात्रा में करीब सात लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
शिविरों में लगेंगे स्टाॅल
प्रदेश सरकार ने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के साथ मिलकर इस बार यात्रा में स्थानीय हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों के अलावा एक जिला एक उत्पाद के कारोबार और विपणन की योजना बनाई है। अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न एफपीओ और परंपरागत हस्तशिल्प व हथकरघा से जुड़े कारीगरों को प्रदेश सरकार ने तीर्थ यात्रा के दौरान सभी शिविरों में स्टॉल उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
लोगों को मिलेगा असली उत्पाद
इनमें यह लोग अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने के साथ ही उन्हें बेच भी सकेंगे। अधिकारी ने बताया कि यात्रा में लाखों की तादाद में श्रद्धालु आएंगे और उनमें से अधिकांश के शिविरों में ही रुकने की संभावना है। उन्हें जम्मू कश्मीर की बेजोड़ हस्तकला के नाम पर कोई मशीनी उत्पाद या फर्जी उत्पाद न बेच सके और वह असली सामान लेकर ही घर जाएं, उसमें यह स्टाल मददगार साबित होंगे।
विदेशी बाजारों में मिलेगी मदद
इसके अलावा महिला स्वयं सहायता समूहों व कारीगरों को श्रद्धालुओं के जरिए देश विदेश के बाजार में अपने सामान की मार्केटिंग व अपने लिए बाजार बनाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इन स्टाॅलों में सिर्फ जम्मू कश्मीर में बनने वाली असली पश्मीना शाल, कालीन, अखरोट की लकड़ी का नक्काशीदार सामान, पेपर माछी का सामान, महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामान, केसर, मेवे और कलाड़ी ही उपलब्ध होगी।
ये दिए गए निर्देश
अधिकारी ने बताया कि प्रदेश प्रशासन ने हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग के अलावा ग्रामीण आजीविका मिशन को निर्देश दिया है कि वह स्टॉल लगाने के इच्छुक संगठनों को सूचित करते हुए सूची तैयार करे। इसके बाद 15 दिनों में संबंधित जिलाधिकारी से संपर्क किया जाए।