जम्मू कश्मीर में सभी निजी कोचिंग संस्थान 90 दिनों के लिए होंगे बंद
शिक्षामंत्री सईद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि हमने राज्य में अगले 90 दिनों के लिए कोचिंग संस्थान बंद करने का फैसला लिया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। राज्य में सभी कोचिंग संस्थान अगले 90 दिनों के लिए बंद रहेंगे। यह एलान रविवार को शिक्षामंत्री सईद अल्ताफ बुखारी ने किया। औपचारिक अधिसूचना सोमवार 23 अप्रैल को जारी की जाएगी। हालांकि उन्होंने कोचिंग संस्थानों को बंद करने के फैसले को राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के प्रयासों के साथ जोड़ा है। लेकिन इस फैसले को कश्मीर में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद नहीं थम रहे छात्रों के हिंसक प्रदर्शनों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
कोचिंग संस्थानों को बंद करने का फैसला आज यहां शिक्षा मंत्री ने वादी के सभी सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों, सभी जिला मुख्य शिक्षाधिकारियों और क्षेत्रीय शिक्षाधिकारियों के साथ बैठक में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के दौरान लिया है। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा और अकादमिक गतिविधयों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाने का फैसला लिया गया है।
शिक्षामंत्री ने कहा कि बैठक में चर्चा के दौरान ऐसे कई बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिनके कारण छात्रों का ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। वह स्कूलों से दूर हो रहे हैं और उनमें कोचिंग सेंटर भी एक कारण हैं। इसलिए हमने राज्य में अगले 90 दिनों के लिए कोचिंग संस्थान बंद करने का फैसला लिया है। कोचिंग सेंटरों के कारण बच्चे स्कूलों में नहीं आते, कई जगह सुबह 11 बजे तक छात्र कोचिंग सेंटर में ही रहते हैं और उसके बाद स्कूल पहुंच रहे होते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी स्कूली शिक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी है और हमें इसे और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। अगर कोचिंग की जरूरत होगी तो हम बच्चों के लिए अतिरिक्त कक्षाओं का, कोचिंग सेंटरों की व्यवस्था करेंगे। इसके साथ ही हमने सबंधित शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह उन सभी अध्यापकों, लेक्चरारों और स्कूल प्रिंसिपलों की सूची तैयार कर शिक्षा निदेशालय और संबधित प्रशासन को दें, जो निजी कोचिंग में लिप्त हैं। इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
छात्रों के हिंसक प्रदर्शनों और पुलिस कार्रवाई संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि छात्रों ने कठुआ मामले पर अपना गुस्सा जता दिया है। मेरी उनसे अपील है कि वह स्कूलों में लौटें, में छात्रों से आग्रह करता हूं कि वह अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान दें, हमारे बच्चे हमारा भविष्य है, हम उन्हें बर्बाद होते नहीं देख सकते। आप हमारा कल हो, अपनी कक्षाओं में लौट आओ। उन्होंने कहा कि पुलिस कहीं भी स्कूलों के बाहर नहीं है,वह सिर्फ विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए है,स्कूल चलाने के लिए नहीं।
शिक्षामंत्री ने कहा कि मेरी इस छात्रों के अभिभावकों से भी अपील है कि वह शिक्षा स्तर बेहतर बनाने में हमारा सहयोग करें। अकादमिक गतिविधियों को सामान्य बनाने में उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए। आज के दौर में बहुत से कारणों के कारण हमारे छात्र और बच्चे मानसिक-भावानात्मक रूप से दबाब में हैं। मां-बाप को बच्चों के साथ अपना समय बिताते हुए उनकी काउंसिलिंग करनी चाहिए। उनकी समस्याओं को जानकर उनकें संबधित अध्यापकों से बातचीत करनी चाहिए। हम सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों के अभिभावकों की संबधित स्कूल अध्यापकों के साथ मासिक समन्वय-संवाद बैठक भी शुरू करने जा रहे हैं। इसी माह 27 अप्रैल को इस तरह की पहली बैठक होगी।
गौरतलब है कि कठुआ के रसाना में आठ वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले पर कश्मीर में छात्र लगातार अपनी कक्षाओं का बहिष्कार कर सड़कों पर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य प्रशासन ने इन प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए शिक्षण संस्थानों को भी बंद रखा, लेकिन छात्रों के प्रदर्शनों का सिलसिला लगातार जारी है।