घटाघर की खामोशी कर रही कश्मीर में बदलाव का एलान
राज्य ब्यूरो श्रीनगर राष्ट्रविरोधी तत्वों की तमाम कोशिशों के बीच कश्मीर में सामान्य जिंदगी ध
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राष्ट्रविरोधी तत्वों की तमाम कोशिशों के बीच कश्मीर में सामान्य जिंदगी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। मंगलवार को कश्मीर की एतिहासिक और सियासी पहचान के पर्याय लालचौक से बैरियर हटा दिए गए और सभी रास्ते आम लोगों के लिए खोल दिए गए। भले ही काफी दुकानें बंद रहीं, लेकिन लोगों की चहल-पहल और वाहनों की आवाजाही ने इनका अहसास नहीं होने दिया। इस बीच, मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी वादी में प्राथमिक स्कूल खुले और उनमें शिक्षकों व छात्रों की संख्या बीते रोज से ज्यादा रही। अलबत्ता, किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने सभी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती को बरकरार रखा।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खात्मे से पूर्व 4 अगस्त की रात से ही प्रशासन ने पूरी वादी में अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासनिक पाबंदिया लगाई थी। लालचौक में शरारती और अलगाववादी तत्व जमा न हों, इसीलिए इसे भी सील कर दिया गया था।
अलबत्ता, स्थिति को सामान्य होते देख प्रशासन ने आज 15वें दिन लालचौक की तरफ आने जाने वाले सभी रास्तों को आवाजाही के लिए खोल दिया। मौलाना आजाद रोड, सेंट्रल मार्केट और अन्य मागरें पर कंटीली तारों के अवरोधक लगे हुए थे। मंगलवार को अवरोधक हटते ही आम वाहनों को भी लालचौक से गुजरने की अनुमति दे दी गई।
दुकानें भले ही बंद रहीं लेकिन अवरोधकों के हटते ही रेहड़ी व ठेले वाले वहा जमा हो गए। घटाघर के सामने गली मे रेडिमेड कपड़ों का ठेला लेकर पहुंचे मुश्ताक ने कहा कि खुदा का शुक्र है, लालचौक खुल गया। यह पूछने पर कि दुकानें बंद क्यों हैं तो उसने कहा कि लालचौक में अधिकाश दुकानें उन लोगों की हैं जो डाउन-टाउन, सौरा, नारवरा, वसपोरा से आते हैं। इन इलाकों में शायद प्रशासनिक पाबंदिया हैं या फिर फोन बंद होने के कारण उन्हें पता हालात की जानकारी नहीं है। धीरे-धीरे लोग आने लगेंगे।
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ एजाज अहमद ने कहा कि लालचौक कश्मीर की पहचान है और यहा किसी भी तरह का हंगामा अलगाववादी खेमे के एजेंडे को आगे बढ़ाता है। लालचौक से बैरिकेड हटाना साबित करता है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। लोग अब बंद और पथराव से छुटकारा चाहते हैं, यही आज साबित हुआ है। प्राथमिक स्कूलों में बढ़ी उपस्थिति
इस बीच,स्कूल शिक्षा निदेशक मोहम्मद यूनिस मलिक ने कहा मंगलवार लगातार दूसरे दिन भी प्राथमिक स्कूल खुले हैं। हा, कई निजी स्कूल बंद हैं। स्कूलों में आज स्टाफ की आमद भी 70 फीसद के करीब पहुंच गई है। छात्रों की संख्या अभी तक 30 से 40 फीसद है। अब हम बुधवार को मिडल स्कूल खोलने जा रहे हैं। कुछ और स्थानों पर राहत
स्थिति में सुधार को देखते हुए प्रशासन ने मंगलवार को वादी में 70 पुलिस थाना क्षेत्रों में घोषित तौर पर प्रशासनिक पाबंदियों में आठ घटे की राहत दी है। अन्य क्षेत्रों में भी निर्देश दिया है कि अधिकारी पाबंदियों को सख्ती से अमल में नहीं लाएं, आम लोगों की आवाजाही न रोकें और सिर्फ शरारती तत्वों पर कड़ी निगाह रखें। सरकारी दफ्तरों में कामकाज सामान्य
मंडलायुक्त बसीर अहमद खान के अनुसार, वादी में लगभग हर जिले में प्रशासनिक कामकाज लगभग सामान्य हो चला है। कर्मचारियों की उपस्थिति कार्यालयों में सामान्य हो रही है। नागरिक सचिवालय में 98 फीसद तक कर्मचारियों व अधिकारियों की उपस्थिति दर्ज की गई है। सभी आवश्यक सेवाएं बहाल हैं। बिजली-पानी की आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाएं सुचारु रुप से काम कर रही हैं। खुल रही दुकानें
श्रीनगर के सिविल लाइंस इलाकों में ही नहीं वादी के अन्य कस्बों और शहरों में भी धीरे धीरे दुकानें खुलने लगी हैं। सुबह और शाम को लगभग 20 फीसद दुकानें खुल रही हैं। अलबत्ता, दोपहर को किसी किसी जगह ही दुकानें खुली नजर आती हैं। शुरुआत में सिर्फ रोजमर्रा के सामान को बेचने वाली दुकानें खुल रही थी। अब कपड़ों, सैलून, रेस्तरा, घरेलू सामान,स्टेशनरी व दस्तकारी के सामान की दुकानें भी खुली नजर आने लगी हैं। डलगेट में अपनी दुकान का आधा शटर उठाकर बैठे हाजी इरशाद ने कहा कि हम अपना कारोबार क्यों बंद करें? हमें किसी की सियासत से कोई लेना-देना नहीं है। आम दुकानदार अपनी दुकानें खोलना चाहते हैं। मुझे लगता है कि अगले तीन चार दिनों में सभी बाजार पूरी तरह खुल जाएंगे। पत्थरबाजों पर रखी जा रही है नजर
राज्यपाल के प्रमुख सचिव रोहित कंसल ने बताया कि सामान्य होते हालात से हताश हो पत्थरबाज व शरारती तत्व कई जगह वाहनों व दुकानों को जबरन बंद करा रहे हैं। हमने इन शिकायतों का संज्ञान लिया है। जो भी दुकानों को जबरन बंद कराएगा या आम लोगों की जिंदगी में किसी प्रकार का खलल पैदा करेगा,उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। यहा आम लोग शाति व्यवस्था बनाए रखने में पूरा सहयोग कर रहे हैं। यही कारण इस बार अभी तक कश्मीर में तमाम दुष्प्रचार के बावजूद कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई है।