Move to Jagran APP

62 आरआर की दास्ता: साढ़े तीन साल में 20 अभियान, एक मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी शहीद और फर्जी मुठभेड़ का दाग

अमशीपोरा मुठभेड़ के साथ चर्चा में आई सेना की 62 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) ने बीते साढ़े तीन साल में करीब 20 बड़े आतंकरोधी अभियान चलाए। इनमें से सिर्फ पाच अभियान ही मुठभेड़ में बदले और राजौरी के तीन लापता मजदूरों समेत चार आतंकी मारे गए। वर्ष 2017 से अब तक 62 आरआर ने एक मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी खोये हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 08:42 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 08:42 AM (IST)
62 आरआर की दास्ता: साढ़े तीन साल में 20 अभियान, एक मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी शहीद और फर्जी मुठभेड़ का दाग
62 आरआर की दास्ता: साढ़े तीन साल में 20 अभियान, एक मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी शहीद और फर्जी मुठभेड़ का दाग

नवीन नवाज, श्रीनगर

prime article banner

अमशीपोरा मुठभेड़ के साथ चर्चा में आई सेना की 62 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) ने बीते साढ़े तीन साल में करीब 20 बड़े आतंकरोधी अभियान चलाए। इनमें से सिर्फ पाच अभियान ही मुठभेड़ में बदले और राजौरी के तीन लापता मजदूरों समेत चार आतंकी मारे गए। वर्ष 2017 से अब तक 62 आरआर ने एक मेजर समेत तीन सैन्यकर्मी खोये हैं। दो जख्मी हुएं।

सूत्रों के अनुसार, अमशीपोरा शोपिया में गत 18 जुलाई को हुई मु़ठभेड़ में राजौरी के तीन लापता मजदूरों को मार गिराने वाली सेना की 62 आरआर की आतंकरोधी अभियानों के संदर्भ में बीते करीब चार सालों के दौरान कोई उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं रही है। अलबत्ता, कथित रूप से फर्जी मुठभेड़ का दाग जरूर लग गया है। सूत्रों ने बताया कि अमशीपोरा में राजौरी के तीन लापता मजदूरों की मुठभेड़ में मौत से पहले 62 आरआर ने नौ फरवरी 2017 को कुलगाम के तांत्रेपोरा में एक अभियान चलाया था। इस अभियान में हुई मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकी मारा गया था। इसके बाद 27 जुलाई 2017 को मात्रिबुग में 62 आरआर के जवानों की आतंकियों से मुठभेड़ हुई। इसमें आतंकी बच निकले और 62 आरआर के दो जवान जख्मी हुए थे।

मात्रिबुग मुठभेड़ के लगभग एक सप्ताह के भीतर तीन अगस्त 2017 को जीरपोरा शोपिया में 62 आरआर के जवानों ने आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर तलाशी अभियान चलाया था। तलाशी के दौरान आतंकियों ने हमला कर दिया। हमले में एक मेजर व दो जवान शहीद हो गए। आतंकी बच निकले थे। जीरपोरा मुठभेड़ के बाद 62 आरआर ने 19 व 28 अगस्त 2017 को और उसके बाद आठ सितंबर और 25 अक्टूबर 2017 को शोपिया के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग तलाशी अभियान चलाए। नवंबर 2017 की 6, 12, 20, 21 और 25 तारीख को भी शोपिया जिले के विभिन्न इलाकों में घेराबंदी करते हुए 62 आआर के जवानों ने तलाशी ली। वर्ष 2017 में 62 आरआर का अंतिम अभियान 17 दिसंबर को रहा। यह अभियान करीब छह गावों में चलाया गया था। अलबत्ता, तीन अगस्त 2017 के बाद किसी भी जगह 62 आरआर को अपने अभियान में न आतंकियों का कोई ठिकाना मिला और न कभी आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। वर्ष 2019 में कोई बड़ा अभियान नहीं

वर्ष 2018 में 62 आरआर ने पाच अगस्त को कुलगाम के दमहाल इलाके में एक तलाशी अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान बीते एक साल में पहली बार 62 आरआर के जवानों की आतंकियों से मुठभेड़ हुई, लेकिन आतंकी फरार होने में कामयाब रहे। वर्ष 2019 में 62 आरआर ने कोई बड़ा अभियान नहीं चलाया और अपने शिविरों के आसपास के इलाकों में ही इसके जवान नियमित गश्त तक सीमित रहे। इस वर्ष भी बड़ी सफलता नहीं

मौजूदा साल 2020 में 62 आरआर के जवानों ने बुनगाम कुलगाम में एक आतंकी ठिकाने पर दबिश दी। आतंकी जवानों क पहुंचने से पहले ही वहा से भाग निकले थे। मुठभेड़ नहीं हुई। अलबत्ता, आतंकी ठिकाने से एसाल्ट राइफल की दो मैगजीन जरूर बरामद हुई। इसके बाद 28 मई को शोपिया के मानलू में, 31 मई को रामनगरी में और 16 जुलाई को केल्लर में 62 आरआर के जवानों ने तलाशी अभियान चलाए। इन अभियानों में एक भी गोली नहीं चली और न आतंकियों का कोई ठिकाना मिला। आतंकियों का कोई ओवरग्राउंड वर्कर भी नहीं मिला। इसके बाद 18 जुलाई का अमशीपोरा में 62 आरआर के जवानों ने तीन आतंकियों को मार गिराने का दावा किया। यह तीनों आतंकी अब राजौरी के लापता श्रमिक साबित हो गए हैं और मुठभेड़ में शामिल अधिकारी व जवान कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.