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Tribute To Bindru : पिता को रोकर विदा नहीं करेंगे, उन्होंने हमें रोना नहीं, लड़ना और जीतना सिखाया है : डा. श्रद्धा बिंदरू

मक्खन लाल की बेटी ने कहा- हिम्मत है तो सामने आओ। फिर पता चलेगा। आप सिर्फ पत्थर मार सकते हो पीछे से गोली चला सकते हो। डाॅ. श्रद्धा ने कहा कि हम अपने पिता को रोकर विदा नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने हमें रोना नहीं बल्कि लड़ना और जीतना सिखाया है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 08:15 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 10:35 PM (IST)
Tribute To Bindru : पिता को रोकर विदा नहीं करेंगे, उन्होंने हमें रोना नहीं, लड़ना और जीतना सिखाया है : डा. श्रद्धा बिंदरू
घर के मुखिया की हत्या से पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है, लेकिन किसी के चेहरे पर डर नहीं

श्रीनगर, नवीन नवाज : आतंकियों की गोलियों के शिकार हुए श्रीनगर के मशहूर हिंदू दवा विक्रेता मक्खन लाल बिंदरू की बेटी डॉ. श्रद्धा बिंदरू की हुंकार ने साबित कर दिया कि कश्मीर में आतंकियों का खौफ अब खत्म हो चुका है। अब आम कश्मीरी आतंकियों के जुल्म को चुपचाप नहीं सहेगा, बल्कि सवाल भी करेगा और उनका मुहंतोड़ जवाब भी देगा। मक्खन लाल की बेटी ने कहा- मैं हूं मक्खन लाल बिंदरू कश्मीरी पंडित की हिंदू बेटी। हिम्मत है तो सामने आओ। फिर पता चलेगा। आप सिर्फ पत्थर मार सकते हो, पीछे से गोली चला सकते हो। डाॅ. श्रद्धा ने कहा कि हम अपने पिता को रोकर विदा नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने हमें रोना नहीं बल्कि लड़ना और जीतना सिखाया है।

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कश्मीर के मशहूर दवा विक्रेता मक्खन लाल बिंदरू को आतंकियोें ने मंगलवार देर शाम को उनकी दुकान में ही मौत के घाट उतार दिया। वह उन गिने चुने कश्मीरी पंडितों में एक थे, जिन्होंने आतंकियों की धमकियों के बावजूद कश्मीर नहीं छोड़ा था। आतंकियों ने उनकी हत्या कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए बन रहे माहौल को बिगाड़ने की साजिश के तहत की है ताकि लोगों में डर बना रहे। दिवंगत मक्खन लाल बिंदरू के परिवार में अब उनकी पत्नी, बेटी और बेटा डा. सिद्धार्थ बिंदरू रह गए हैं।

घर के मुखिया की निर्मम हत्या से पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है, लेकिन किसी के चेहरे पर डर नहीं है। सांत्वना जताने आए लोगों को शोक संतप्त परिवार यही कह रहा है कि जो हम पर बीत रही है, वह हम जानते हैं, लेकिन मक्खन लाल बिंदरू ने जिन आदर्शाें और संस्कारों के साथ जिंदगी जी, वह शाश्वत है। उनकी हत्या जिस षड्यंत्र के लिए हुई है, उसी षड्यंत्र को विफल करेंगे। अपने पिता की अंतिम यात्रा से पूर्व बातचीत में में डाॅ. श्रद्धा बिंदरू ने कहा कहा कि मेरे पिता एक योद्धा थे, वह कहते थे कि जब उनकी मौत होगी तो उस समय भी उनके पांव में जूते होंगे। मेरे पिता ने अपनी जिंदगी एक साइकिल से शुरू की थी। मैं एसोसिएट प्रोफेसर हूं, मेरा भाई भी डाक्टर है। मेरी मां बेखाैफ होकर दुकान पर चलाती है। हम भाई-बहन यहीं कश्मीर में पढ़े हैं और स्कूल कालेज में अकेले कश्मीरी पडित, कश्मीरी हिंदू थे। हम न तब डरे थे और न अब डरेंगे। यही हमारे पिता ने सिखाया है।

उसने अपने पिता के हत्यारों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि एक हिंदू होने के बावजूद मैंने कुरान पढ़ा है। यह शरीर सिर्फ चोला है, यह तो बदल जाएगा। आप इसे मार सकते हैं, लेकिन इसके अंदर जो स्पिरिट है, आत्मा और जज्बा है, वह हमेशा जिंदा रहता है। इसलिए मक्खन लाल बिंदरू कश्मीरी पंडित हमेशा जिंदा रहेगा। वह कभी नहीं मरेगा। जिसने भी मेरे पिता को मारा है, हिम्मत है तो मेरे सामने आए, बहस करे। बोलना नहीं आएगा, मुंह से एक शब्द नहीं निकलेगा, तब पता चलेगा। आप लोग सिर्फ पत्थर मार सकते हो, पीठ पर गोली चला सकते हो।

30 साल में पहली बार किसी की हत्या पर हर वर्ग में गुस्सा : वरिष्ठ पत्रकार रमीज ने कहा कि मक्खन लाल बिंदरू की हत्या अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि इस हत्या को लेकर जिस तरह से कश्मीर मेें प्रतिक्रिया हुई है, वह 30 सालों मेें पहली बार है। हरेक ने चाहे वह कोई बड़ा नेता है या आम नागरिक, सभी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

डाॅ. श्रद्धा ने जिस तरह से आज आतंकियों को चुनौती दी है या फिर श्रीनगर के मेयर ने एक सड़क का नामकरण मक्खन लाल बिंदरू के नाम पर करने का एलान किया है, वह आज से तीन चार साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था। किसी अल्पसंख्यक की हत्या पर लोग चुपचाप शोक जताते थे। काेई खुलकर नहीं बोलता था। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कश्मीर में अब आतंकियों का खौफ समाप्त हो चुका है। उनसे अब सवाल किया जा रहा है। मक्खन लाल बिंदरू की शहादत ने एक तरह से बदलते कश्मीर की तस्दीक की है।


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