Militancy in Jammu Kashmir: लश्कर-ए-मुस्तफा के कमाडर हिदायतुल्ला मलिक से यूजेसी ने पल्ला झाड़ा
Militancy in Jammu Kashmir यूजेसी का कहना है कि लश्कर-ए-मुस्तफा का गठन कश्मीर में बैंक डकैतिया करने आम कश्मीरियों को निशाना बनाने और कश्मीर में सक्रिय विभिन्न जिहादी तंजीमों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए किया गया है। संगठन ने हिदायतुल्ला को भारतीय एजेंट करार दिया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की यह बड़ी कामयाबी का ही नतीजा है कि आतंकी संगठन अब वादी में सक्रिय आतंकियों से दूरी बनाने लगे हैं। वह डरे हुए हैं। इसीलिए लश्कर-ए-मुस्तफा के कमाडर हिदायतुल्ला मलिक की गिरफ्तारी के बाद अब यूनाइटेड जिहाद कौंसिल (यूजेसी) ने उससे पल्ला झाड़ लिया है।
हताशा में उसने लश्कर-ए-मुस्तफा को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कश्मीरी जिहादियों के खिलाफ तैयार किया गया संगठन तक बता दिया है। वहीं, सुरक्षा एजेंसियों ने इस दावे को भ्रामक बताया है। एजेंसियों ने कहा कि आतंकी संगठन और उनके कमाडर अपनी जान बचाने लिए ही ऐसा कह रहे हैं। यूजेसी कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों का एक साझा संगठन है। इसका चेयरमैन कश्मीरी आतंकियों के सबसे बड़े आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमाडर मोहम्मद यूसुफ उर्फ सैयद सलाहुदीन है।
यूजेसी का मुख्यालय गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में है। लश्कर-ए-मुस्तफा का गठन हिदायतुल्ला मलिक ने बीते साल हिजबुल मुजाहिदीन के साथ मतभेद होने के बाद किया था। इसके गठन में जैश-ए-मोहम्मद के कमाडरों की सहमति भी थी। हिदायतुल्ला मलिक को गत माह जम्मू कश्मीर पुलिस ने जम्मू के बाहरी क्षेत्र कुंजवानी में पकड़ा था। पूछताछ में उसने कई सनसनीखेज बातें बताई हैं। फिलहाल, वह एनआइए की हिरासत में है।
पूछताछ में हिदायतुल्ला ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मंसूबों की जानकारी दी थी। उसने बताया था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के कार्यालय की रैकी कर चुका है। इसके अलावा वह जम्मू के साबा में सीमावर्ती इलाकों में भी रैकी कर चुका है। उसके संगठन के आतंकियों ने ही नवंबर, 2020 में शोपिया में जम्मू कश्मीर बैंक की कैश वैन से करीब 65 लाख रुपये की नकदी लूटी थी। हिदायतुल्ला के चार साथी विभिन्न मुठभेड़ों में मारे जा चुक हैं। उसके दो साथी बीते माह ही अनंतनाग में मारे गए हैं।
यूजेसी का कहना है कि लश्कर-ए-मुस्तफा का गठन कश्मीर में बैंक डकैतिया करने, आम कश्मीरियों को निशाना बनाने और कश्मीर में सक्रिय विभिन्न जिहादी तंजीमों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए किया गया है। संगठन ने हिदायतुल्ला को भारतीय एजेंट करार दिया है। उसकी गिरफ्तारी भी एक ड्रामा है। इस पर जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हिदायतुल्ला ने जो जानकारियां दी हैं, उससे आतंकी संगठन व उनके आका डर हुए हैं। उन्हें लगता है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ कार्रवाई करते हुए उन्हें निशाना बना सकती हैं।
वह उड़ी की सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक से सहमे हुए हैं। इसके अलावा पुराने आतंकी संगठन नए आतंकी संगठनों से डरे हुए हैं। इसलिए वह उनसे बचने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। अगर लश्कर-ए-मुस्तफा कोई आतंकी संगठन नहीं है तो फिर यूजेसी और उसके चेयरमेन को यह सब बताने में पाच-छह माह का समय क्यों लगा। हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य आतंकी संगठन जुलाई 2016 में मारे गए आतंकी बुरहान वानी को भी कभी सुरक्षा एजेंसियों का मुखबिर बताते थे, बाद में वह इन संगठनों का हीरो बन गया था।