New Kashmir: गुनाहों से तौबा कर रहे अलगाववादी, पर्दे के पीछे संवाद की प्रक्रिया में जुटे
370 के बाद नया कश्मीर बना है। इसका असर दिख रहा है। कश्मीर को हिंसा की आग में धकेलने वाले अलगाववादी अब केंद्र से पर्दे के पीछे संवाद में जुटे हैं। पुराने गुनाहों की माफी का आग्रह करते हुए ये शांति बहाली में सहयोग का यकीन दिला रहे हैं।
श्रीनगर, नवीन नवाज: अलगाववाद को जन्म देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का असर अब साफ-साफ नजर आने लगा है। कश्मीर को हिंसा की आग में धकेलने वाले अलगाववादी अब केंद्र सरकार के साथ पर्दे के पीछे संवाद करने की प्रक्रिया में जुट गए हैं। ये लोग अपने पुराने गुनाहों की माफी का आग्रह करते हुए कश्मीर में शांति, सुरक्षा और विश्वास बहाली में पूर्ण सहयोग देने का यकीन दिला रहे हैं।
पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद कश्मीर में हुर्रियत समेत सभी अलगाववादी संगठनों की गतिविधियां लगभग थम चुकी हैं। ये संगठन अब कभी कभार अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाने के लिए बयान जरूर जारी करते हैं, लेकिन आम कश्मीरी इन बयानों को गंभीरता से नहीं लेता। कई प्रमुख अलगाववादी नेता टेरर फंडिंग के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंद हैं और कई अन्य पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
इसलिए दबाव में हैं अलगाववादी : जम्मू कश्मीर में बदली आबोहवा को अब अलगाववादी खेमा भी पूरी तरह महसूस कर रहा है। हुर्रियत कांफ्रेंस समेत विभिन्न अलगाववादी नेताओं को लग रहा है कि उनके खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज मामलों पर अब तेजी से कार्रवाई होगी। उन्हेंं देर सवेर जेल जाना पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने बीते तीन दशकों के दौरान जो संपत्ति जमा की है, उसकी भी जांच होगी। इससे ये लोग अत्यंत दबाव में हैं और बचने के लिए केंद्र के साथ विभिन्न स्तरों पर संपर्क साधने में जुटे हैं।
तीन अलगाववादियों की नई दिल्ली में मुलाकात की चर्चा : अलगाववादी खेमे की सियासत से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि बीते दिनों तीन वरिष्ठ अलगाववादी नई दिल्ली में केंद्र सरकार के कुछ वरिष्ठ प्रतिनिधियों से मिले हैं। इन्होंने दिल्ली में कथित तौर पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा भाजपा के कुछ खास नेताओं सेे भी मुलाकात की है। इस मुलाकात में कश्मीर की मुख्यधारा की सियासत से जुड़े एक नेता द्वारा अहम भूमिका निभाए जाने की चर्चा है।
कहा जा रहा है कि केंद्र के साथ संपर्क करने वाले नेताओं ने अपने खिलाफ जारी मामलों की जांच को धीमा रखने और उन्हेंं उनकी पुरानी गतिविधियों के लिए माफी देने का आग्रह किया है। इन नेताओं ने यकीन दिलाया है कि अगर केंद्र सरकार मौका देती है तो वह जम्मू कश्मीर में शांति, सुरक्षा आरैर विश्वास का माहौल बनाने मे केंद्र सरकार के प्रयासों का भी समर्थन करेंगेे। वह कोई ऐसी गतिविधि नहीं करेंगे जिससे अलगाववाद या आतंकवाद को बढ़ावा मिले। केंद्र के साथ संपर्क करने वाले इन अलगाववादियों के नाम की तत्काल पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन इस मुलाकात ने कश्मीर के सियासी हल्कों में हलचल तेज कर दी है।
उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस ने मुलाकात से पल्ला झाड़ा : उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस ने इस मुलाकात से अपना पल्ला झाड़ते हुए एक बयान भी जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है मीरवाइज मौलवी उमर फारूक या उनके किसी वरिष्ठ सहयोगी हुर्रियत नेता ने केंद्र सरकार के साथ कोई बातचीत या मुलाकात नहीं की है। किसी ने केंद्र से माफी नहीं मांगी है। उनके अनुसार, मीरवाइज मौलवी उमर फारूक पांच अगस्त 2019 से ही कश्मीर में अपने घर में नजरबंद हैं। वह दिल्ली नहीं गए हैं।
मुलाकात नहीं हुई तो क्यों पड़ी सफाई देने की जरूरत : कश्मीर मामलों के जानकार एजाज वार ने कहा कि हुर्रियत या किसी अन्य अलगाववादी दल के नेता ने केंद्र के साथ कोई संवाद किया है या नहीं, यह मुझे नहीं पता, लेकिन कश्मीर में चर्चा खूब है। कुछ लोगों ने तो उनके पास इस मुलाकात का एक वीडियो भी होने का दावा किया है। खैर, अगर मुलाकात नहीं हुई है, कोई माफी मांगने के लिए दिल्ली नहीं गया है तो फिर हुर्रियत कांफ्रेंस को सफाई देने की जरूरत क्यों पड़ी।