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बदलते कश्मीर की सच्चाई स्वीकारने लगे फैसल

जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) से अलग होने के बाद अब वह कह रहे हैं कि मैं लोगों को झूठे सपने नहीं दिखा सकता। संवैधानिक बदलाव एक सच्चाई है और मैं इसे नहीं बदल सकता। मैं खुद को भारतीय संविधान के दायरे में ही सीमित रखना चाहता हूं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:22 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 08:22 AM (IST)
बदलते कश्मीर की सच्चाई स्वीकारने लगे फैसल
बदलते कश्मीर की सच्चाई स्वीकारने लगे फैसल

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: अलगाववाद की नींव पर कश्मीर की सियासत में अपना भविष्य बनाने के मंसूबों के धराशायी होने के बाद डॉ. शाह फैसल भी पूरी तरह बदल गए हैं। जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) से अलग होने के बाद अब वह कह रहे हैं कि मैं लोगों को झूठे सपने नहीं दिखा सकता। संवैधानिक बदलाव एक सच्चाई है और मैं इसे नहीं बदल सकता। मैं खुद को भारतीय संविधान के दायरे में ही सीमित रखना चाहता हूं। उन्होंने कहा मैं इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट व संतुष्ट हूं कि 1949 में राष्ट्रीय सहमति के आधार पर संविधान में अनुच्छेद 370 का प्रावधान किया गया था और 2019 में राष्ट्रीय सहमति के आधार पर ही इसे समाप्त किया गया है।

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उत्तरी कश्मीर में लोलाब, कुपवाड़ा के रहने वाले फैसल ने कहा कि सियासत में जाने का मेरा फैसला गलत नहीं था और न ही इसके पीछे कोई गलत मकसद था, इसके बावजूद इसे राष्ट्रद्रोह समझा गया। वर्ष 2009 की संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के टॉपर रहे फैसल ने कहा कि जब आइएएस की परीक्षा पास की थी तो उस समय भी कई लोगों ने मुझे गद्दार कहा। मैं करीब एक साल तक जेल में रहा और मैंने इस दौरान पूरे हालात का अच्छी तरह मनन किया। कश्मीर के भविष्य को भी समझने का प्रयास किया। बहुत सोच विचार करने के बाद ही इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि सच्चाई से मुंह मोड़ना अनुचित है। कश्मीर में हमेशा के लिए सबकुछ बदल चुका है। जब मेरे पास कुछ बदलने की ताकत नहीं है तो फिर मैं क्यों लोगों को झूठे सपने दिखाऊं? यहा वही लोग हमें गालिया दे रहे हैं, जिनके लिए हम जेल में थे, इसलिए मैंने सियासत छोड़ आगे बढ़ने का फैसला किया है। गिलानी वाली सियासत नहीं कर सकता

फैसल ने कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ही राजनीतिक दल बनाया था। तब उन्होंने कहा था कि वह सईद अली शाह गिलानी वाली सियासत नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मैं व्यवस्था का आदमी हूं और व्यवस्था के बीच रहकर ही व्यवस्था को दुरुस्त करने में यकीन रखता हूं। पता नहीं आगे क्या करूंगा:

यह पूछे जाने पर कि क्या वह दोबारा सरकारी सेवा में शामिल होंगे तो फैसल ने कहा कि यह सरकार का विशेषाधिकार है। मैं हमेशा से व्यवस्था के बीच रहकर ही लोगों के लिए काम करने के लिए संकल्पबद्ध हूं। देखें, आगे क्या होता है। मुझे नहीं पता कि मैं आगे क्या करूंगा। पार्टी फंड पर दी सफाई:

जेकेपीएम के गठन के समय जमा हुए पैसे को लेकर उठ रहे सवालों पर फैसल ने कहा कि हमने क्राउड फंडिंग से करीब 4.5 लाख रुपये जमा किए थे। इसका पूरा हिसाब उस समय सार्वजनिक किया गया था। मैंने इस पैसे की एक चवन्नी भी अपने लिए खर्च नहीं की है। कारण बताओ नोटिस पर दिया था इस्तीफा:

इस बीच, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि शाह फैसल ने बेशक इस्तीफा दिया है, लेकिन यह इस्तीफा उन्होंने एक कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद दिया है। इसलिए जब तक उनके खिलाफ जारी जाच पूरी नहीं होती, वह कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देते, इस्तीफे को स्वीकार करने या खारिज करने का फैसला नहीं लिया जा सकता।


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