आतंक के गढ़ में शहीद जवान के जनाजे में सैलाब उमड़ा
छह की रात को मछल सेक्टर में गश्त के दौरान नाले में गिरने से आमिर हुआ था शहीद अनंतनाग के कुठैर क्षेत्र में शहीद आमिर को अंतिम विदाई दी --------------------
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग के कुठैर क्षेत्र में मच्छल सेक्टर में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए राइफलमैन आमिर हुसैन वानी का तिरंगे में लिपटा पाíथव शरीर पहुंचा तो लोग अंतिम दीदार के लिए उमड़ पड़े। लगभग चार हजार लोग जनाजे में शामिल हुए जो आतंकियों का गढ़ कहे जाने वाले दक्षिण कश्मीर में हैरान करने वाली घटना है। शहीद के पार्थिव शरीर को सुपुर्द-ए-खाक करने के मौके पर कब्रिस्तान में मौजूद शायद ही कोई ऐसी आख थी जो नम न थी। इससे पूर्व बड़गाम में करीब छह साल पूर्व एक शहीद सैन्यकर्मी के जनाजे में हजारों की भीड़ उमड़ी थी। इस तरह की भीड़ वादी में अक्सर आतंकियों के जनाजे में देखी जाती थी जो अब नजर नहीं आती।
वर्ष 2012 में सेना में भर्ती होने वाला राइफलमैन आमिर हुसैन छह अगस्त रात को मच्छल सेक्टर में एलओसी पर गश्त के दौरान फिसलकर नाले में जा गिरा था। उसे जब नाले से निकाला तो वह दम तोड़ चुका था। अधिकारियों ने बताया कि मच्छल के अग्रिम हिस्से में खराब मौसम की आड़ में आतंकियों द्वारा घुसपैठ की आशका से निपटने के लिए आमिर अपने साथियों संग गश्त के लिए निकला था। चिनार कोर में श्रद्धांजलि दी :
संबधित अधिकारियों ने बताया कि मच्छल के अग्रिम हिस्से में मौसम के खराब होने के कारण ही शहीद का पाíथव शरीर तत्काल उसके परिजनों तक नहीं पहुंचाया जा सका। इसे गत शाम श्रीनगर में चिनारकोर मुख्यालय परिसर में पहुंचाया गया। चिनार कोर कमाडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू समेत सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और जवानों ने शहीद को श्रद्धासुमन अíपत किए।
आतंकग्रस्त है कुठैर क्षेत्र : अनंतनाग स्थित एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहीद राइफलमैन आमिर हुसैन वानी का गाव कुठैर काफी अंदर है। यह इलाका आतंकियों के प्रभाव वाला माना जाता है। कोविड-19 की एसओपी भी पूरे इलाक में लागू है। उम्मीद नहीं थी कि शहीद के गाव में ही नहीं आसपास के गावों से भी लोग वहा जमा होंगे। सैन्यकíमयों का एक दस्ता जब शहीद क पाíथव शरीर के साथ गाव में दाखिल हुआ तो वहा उसके दीदार और उसे श्रद्धाजलि देने के लिए भीड़ जमा थी। नासिर नामक युवक ने कहा कि शहीद का शव जब गाव में पहुंचा तो लोगों ने हिंदोस्तान जिंदाबाद और शहीद की मौत, कौम की हयात के नारे भी लगाए। उसने कहाकि पहले जब किसी शहीद सुरक्षा कर्मी का जनाजा होता था तो ज्यादा लोग शामिल नहीं होते थे। शहीद के पाíथव शरीर को उसके घर में कुछ देर रखा। फिर उसके परिजन व सेना के जवान उसे सुपुर्दे खाक करने के लिए पैतृक कब्रिस्तान ले लाए। जनाजे मे बड़ी संख्या में लोग थे। सेना के जवानों ने सलामी दी और उसके बाद पूरे मजहबी तरीके के साथ दफनाया गया।