Move to Jagran APP

India China Border News : पूर्वी लद्दाख की भीषण ठंड में होगी 35 हजार भारतीय सैनिकों की तैनाती, चीनी फौजियों पर पड़ेंगे भारी

सेना ने ठंड में पूर्वी लद्दाख में 35000 सैनिकों को तैनात किया है जो पहले से ही उच्च ऊंचाई और ठंड की स्थिति में काम कर चुके हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 05:41 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:16 PM (IST)
India China Border News : पूर्वी लद्दाख की भीषण ठंड में होगी 35 हजार भारतीय सैनिकों की तैनाती, चीनी फौजियों पर पड़ेंगे भारी
India China Border News : पूर्वी लद्दाख की भीषण ठंड में होगी 35 हजार भारतीय सैनिकों की तैनाती, चीनी फौजियों पर पड़ेंगे भारी

नई दिल्‍ली, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनातनी का लंबा दौर खिंचने की आशंका के बीच भारतीय सेना के लिए एक अच्छी बात यह है कि यहां तैनात उसके जवान इस तरह की जलवायु में काम करने के पहले से अभ्यस्त हैं। भारतीय जवान बहुत ऊंचाई पर खराब मौसम में भी दुश्मन से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं।चरम सर्दियों में पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना ने चीन पर बढ़त हासिल कर ली है। सेना ने वहां 35,000 सैनिकों को तैनात किया है, जो पहले से ही उच्च ऊंचाई और ठंड की स्थिति में काम कर चुके हैं। वहां तैनात भारतीय सैनिकों को मौसम और इलाके से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है।

loksabha election banner

अतीत से सबक लेते हुए सर्दियों में भी चौकसी का उच्च स्तर बनाए रखने की तैयारी शुरू कर दी है। शून्य से 50 डिग्री नीचे का तापमान हो या फिर बर्फीले तूफान हमारे जवान एलएसी के पास निगरानी चौकियों पर मुस्तैद रहेंगे। सर्दियों में जवानों को विपरीत हालात से बचाने के लिए सेना ने विशेष तंबुओं के अलावा सैन्य वर्दी व जूतों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

भारतीय सैनिकों के विपरीत चीनी सैनिक ठंड के आदी नहीं  

इसके विपरीत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात चीनी सैनिकों का उपयोग इन स्थितियों के लिए नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें मुख्य भूमि चीन से लाया गया है और वे अत्यधिक ऊंचाई वाले ठंडे मौसम की स्थिति के आदी नहीं होते हैं। सेना के सूत्रों ने बताया कि हम पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात किए गए लगभग 35,000 सैनिकों के लिए अत्यधिक ठंडे मौसम वाले पोर्टेबल केबिन उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहे हैं। वहां तैनात हमारे सैनिक इससे पहले सियाचिन, पूर्वी लद्दाख या पूर्वोत्तर में पहले ही एक या दो कार्यकाल में काम कर चुके हैं और वे वहां लंबी तैनाती के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हैं। 

खून जमा देने वाली हवा है बड़ी चुनौती

लद्दाख में एलएसी से सटे ज्यादातर क्षेत्रों में सर्दियों में तापमान -25 से -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। कुछ स्थानों पर यह -50 डिग्री तक पहुंच जाता है। भारी बर्फ के बीच आगे बढ़ना नामुमकिन रहता है। इसके अलावा 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से नियमित बर्फीली हवाएं चलती रहती हैं। वहीं, बर्फीले तूफान आफत और बढ़ा देते हैं।

बॉर्डर पर मौजूदा समय में 40 हजार से अधिक सैनिक तैनात  

सूत्रों ने कहा कि भारतीय मोर्चे पर तैनात चीनी सैनिकों में मुख्य रूप से ऐसे लोग शामिल हैं जो 2-3 साल की अवधि के लिए पीएलए (पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी) में शामिल होते हैं और फिर अपने सामान्य जीवन में लौट आते हैं। उल्लेखनीय है पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने लगभग चालीस-चालीस हजार सैनिक तैनात किए हुए हैं। तनातनी के बीच दोनों देशों ने टकराव वाले बिंदुओं पैट्रोलिंग प्वाइंट 14, 15,17 और 17 ए से अपने-अपने सैनिकों को पीछे कर लिया है। पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 और 17 ए पर फिलहाल चीन के 50 सैनिक ही मौजूद हैं बाकी पीछे हट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना एलएसी के पास चीनी सेना द्वारा कराए जा रहे निर्माण को लेकर चिंतित नहीं है क्योंकि उसने यहां दो अतिरिक्त डिवीजन तैनात कर रखी हैं।

ठंड में सियाचिन ग्लेशियर में होती है सैनिकों को तैनाती

सूत्रों ने कहा कि सेना एलएसी के साथ चीनी निर्माण को लेकर ज्यादा परेशान नहीं है क्योंकि उसे लद्दाख सेक्टर के बाहर दो से अधिक अतिरिक्त डिवीजन मिले हैं। उन्होंने कहा कि भारत की सेना के पास चीनी सेना की तुलना में अधिक सैनिक हैं। शीतकालीन तैनाती के लिए सेना के पास पहले से ही सैनिकों के लिए कपड़े और आवास का एक बड़ा भंडार है क्योंकि भारतीय सेना दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में सैनिकों को तैनात करती है और तैयार की जाती है। 

सेना में अभी से चल रही है ठंड की तैयारी 

अतिरिक्त आवश्यकताओं के लिए सेना स्वदेशी के साथ-साथ विदेशी विक्रेताओं के लिए अतिरिक्त टेंट और ठहरने के लिए जरूरतों को ऑर्डर देने की प्रक्रिया में है। समर स्टॉकिंग का समय चल रहा है और हमें उस समय तक अतिरिक्त केबिन और टेंट मिलने वाले हैं। जून, जुलाई और अगस्त के महीने सर्दियों के राशन और गोला-बारूद के भंडारण के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में जल्द ही बर्फबारी शुरू होने की संभावना है, जहां तापमान पहले से ही कम है। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने रक्षा बलों को हथियार, गोला-बारूद और आवास के किसी भी प्रकार की कमी को दूर करने के लिए प्रति खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये की वित्तीय शक्तियां दी हैं। 

जवानों को मिलेगी 80 हजार जोड़ी ड्रेस 

जवानों को इस विपरीत स्थिति में फिट रखने के लिए विशेष ड्रेस और तंबुओं की आवश्यकता है, इसीलिए ओएफबी को तिहरी परत के साथ ईसीसी (एक्सट्रीम कोल्ड क्लोदिंग) से बनी 80 हजार जोड़ी ड्रेस उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके साथ ही विपरीत हालात से बचाने वाले तंबू भी चाहिए। एक अधिकारी ने बताया कि यह थ्री-लेयर ईसीसी सूट और जूते लद्दाख में तैनात जवानों के पास पहले से उपलब्ध वर्दी और जूतों से वजन में हल्के और ठंड को झेलने में ज्यादा कारगर हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.