उमर ने फिर की महबूबा की रिहाई की मांग, प्रशासन कर रहा विचार
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को एक बार फिर अपनी धुर राजनीतिक विरोधी महबूबा मुफती की रिहाई की वकालत की है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। 232 दिनों तक बंद रहने के बाद मंगलवार को रिहा हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को एक बार फिर अपनी धुर राजनीतिक विरोधी महबूबा मुफती की रिहाई की वकालत की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात मे पूर्व मुख्यमंत्री व अन्य राजनीतिक लोगों को बंदी बनाकर रखना अंत्यत कठोर और क्रूर है। इस बीच, सूत्रों ने बताया पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती को रिहा करने पर जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्हें जल्द रिहा किया जा सकता है। महबूबा की रिहाई को लेकर प्रशासन पर लगातार दबाब बड़ रहा है।
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उन नेताओं में शामिल थे,जिन्हें पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने से पहले चार अगस्त की मध्यरात्रि को जम्मू कश्मीर सरकार ने एहतियात के तौर पर हिरासत मेंं लिया था। हालांकि हिरासत में लिए गए सभी नेताओं को रिहा कर दिया गया है और अब पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती समेत करीब एक दर्जन नेता ही पीएसए के तहत बंदी रह गए हैं। इनके अलावा करीब तीन दर्जन अन्य नेताओं को उनके घरों में नजरबंद रखा गया है। अलबत्ता, अलगाववादी खेमे से संबधित करीब डेढ़ हजार नेता व कार्यकर्त्ता और कुख्यात पत्थरबाज जम्मू कश्मीर समेत देश की विभिन्न जेलों में बंद रखे गए हैं। उमर अब्दुल्ला की रिहाई से पूर्व 13 मार्च को प्रशासन ने उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला को रिहा किया था।
उमर अब्दुल्ला ने अपनी रिहाई के बाद पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती समेत अन्य सभी राजनीतिक बंदियों की जल्द रिहाई की मांग की थी। आज सुबह उन्होंने एक बार फिर अपनी इस मांग कोदोहराया। उन्होंने अपने टवीटर हैंडल पर लिखा है कि पहली बात तो यह कि इन लोगों को हिरासत में रखने का कोई न्यायोचित्त कारण नजर नहीं आता। इसके अलावा मौजूदा परिस्थितियों मे जब पूरा देश 21 दिनों के लिए लॉकडाऊन हो चुका है और करोना वायरस के संक्रमण का खतरा लगातार बड़रहाहै। ऐसे हालात में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती व अन्य लोगों को कैद में रखना कठोर पर क्रूरतापूर्ण है। इसलिए इन सभी को रिहा किया जाना चाहिए।
इस बीच, जम्मू कश्मीर प्रदेश गृह विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफती की रिहाई पर गंभीरता से विचार कर रहा है। नेशनल कांफ्रेंस केअध्यक्ष औरउपाध्यक्ष को रिहा किए जाने के बाद महबूबा मुफती की रिहाई के लिए भी दबाब बढता जा रहा है।उनकी बेटी इल्तिजा मुफती ने गत दिनों उपराज्यपाल को एक पत्र लिखकर अपनी मां व अन्य राजनीतिक नेताओं की रिहाईका आग्रह किया था। गत रोज भी इल्तिजा ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की रिहाइ्र का समर्थन करते हुए अपनी मां को बंद रखे जाने पर केंद्र व प्रदेश प्रशासन को लताड़ाथा। उन्होंने टवीटर पर पर लिखा था कि नारी कल्याण और महिला कल्याण की बातें करनी वाली सरकार एक महिला की रिहाई से डरती है।
जम्मू कश्मीर के राजनीतिक हालात पर नजर रखने वालों के मुताबिक, महबूबा मुफती को मौजूदा परिस्थितियों में और ज्यादा दिनों तक जेल में रखा जाना उनके पक्ष में जा सकता है। लोगों की उनके प्रति सहानुभूति बढ़ेगी और आम कश्मीरियों के बीच एक संदेश जा सकता है कि वह किसी भी तरह से सियासी समझौते के हक में नहं हैं। इससे उन्हें एक बार फिर पीडीपी को खड़ा करने में मदद मिलेगी और ऐसी स्थिति में वह सेल्फ रुल के एजेंडे और अनुच्छेद 370 पर अपनी सियासत को खड़ा कर सकती हैं जबकि केंद्र ऐसा कभी नहीं चाहता। इसलिए अगले चंद दिनों में महबूबा मुफ्ती की रिहाई की संभावना काो नहीं नकारा जा सकता।