पीडीपी के पूर्व विधायक पीरजादा पर लग सकता पीएसए
पीएसए के तहत बंदी 55 को रिहा करने पर हो रहा गंभीरता से विचार ----------------
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : उपजिला एमएलए हॉस्टल अगले चंद दिन में बंद हो सकती है। उपजेल मे अब पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक पीरजादा मंसूर हुसैन और अवामी इत्तेहाद के बिलाल सुल्तान ही रह गए हैं। पीरजादा को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत बंदी बनाने की सूचना है। अधिकारिक तौर पर देर रात गए तक इसकी पुष्टि नहीं हुई थी। इसी बीच, प्रशासन ने पीएसए के तहत बंदी बनाए लोगों में से 55 को अगले करीब एक माह के दौरान रिहा करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
पीरजादा पर पीएसए लगाया जाता है तो वह छह माह के दौरान इस कानून के तहत कैद होने वाले मुख्यधारा के नौवें वरिष्ठ राजनीतिज्ञ होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के राजनीतिक सलाहकार रह चुके पीरजादा वर्ष 2008 में दक्षिण कश्मीर में शांगस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। 2014 में वह चुनाव हार गए थे। उन्हें प्रशासन ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू करने के मद्देनजर एहतियातन हिरासत में लिया था। उन्हें पहले शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआइसीसी) में रखा था और बाद में उपजेल एमएलए हॉस्टल में रखा गया था। नवंबर में जब एमएलए हॉस्टल को उपजेल का दर्जा दिया था तो इसमें 33 राजनीतिक नेताओं को हिरासत में रखा था। बाद में इनमें अधिकांश नेताओं को रिहा कर दिया या फिर पीएसए के तहत बंदी बनाकर अन्य जगहों पर भेजा गया। सूत्रों ने बताया कि प्रशासन ने मंगलवार रात को पीरजादा मंसूर हुसैन पर पीएसए के फैसले को मंजूरी दे दी है। देर शाम गए तक उन्हें इसका डोजियर थमाने की कोई पुष्टि नहीं हुई थी। गृह विभाग और पुलिस ने पीरजादा मसूंर हुसैन को पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने पर पूरी चुप्पी साध रखी है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जम्मू कश्मीर राज्य प्रशासन से बीते छह माह के दौरान पीएसए के तहत बंदी बनाए उन सभी लोगों की सूची मांगी है जिन्हें रिहा किया जा सकता है। जम्मू कश्मीर राज्य प्रशासन ने ऐसे 55 लोगों की सूची गत सोमवार को गृहमंत्रालय को भेजी है। सूची को जम्मू कश्मीर पुलिस के सीआइडी विग के अलावा विभिन्न केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के सहयोग से तैयार किया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय सूची की समीक्षा करेगा और उसके बाद इसमें शामिल लोगों की रिहाई पर हां-ना होगी। सूची में पीएसए के तहत बंद बनाए गए तीन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुलला और महबूबा मुफ्ती के नाम शामिल नहीं है। नेशनल कांफ्रेंस के अली मुहम्मद सागर, हिलाल अकबर लोन, सरताज मदनी, शाह फैसल, नईम अख्तर भी इस सूची से बाहर रखे गए हैं।
पांच अगस्त 2019 के बाद प्रशासन ने 450 लोगों को बंदी बनाया है। इनमें 26 लोगों को जिनमें कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान नजीर अहमद रोंगा, कश्मीर चैंबर के पूर्व प्रधान मुबीन शाह शामिल हैं, रिहा किए हैं। पीएसए के तहत बंदी बनाकर उत्तर प्रदेश की जेल में भेजे जमात ए इस्लामी के नेता गुलाम मुहम्मद बट की जेल में मौत भी हुई है।