आतंकी सरूरी से मेरा कोई संबंध नहीं: जीएम सरूरी
खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हुए एनआइए जांच में पूरा सहयोग देने का दिया भरोसा किश्तवाड़ में आतंकी हमलों और नेताओं ही हत्या की जांच कर रही हैं एनआइए -------
राज्य ब्यूरो, जम्मू: कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री जीएम सरूरी ने कहा कि किश्तवाड़ जिले में सक्रिय आतंकवादी जहांगीर सरूरी से उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि वह एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हैं और उनका किसी भी आतंकवादी से कोई लेना देना नहीं है।
इसी सप्ताह मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की पूछताछ के बाद बुधवार की सुबह गांधीनगर में अपने आवास पर प्रेसवार्ता में सरूरी ने खुद पर लगाए गए आरोपों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मुझे एनआइए ने धारा 60 के तहत नोटिस दिया गया था। इसमें किसी से भी पूछताछ हो सकती है। मैं मंगलवार को एनआइए के कार्यालय में गया था। मुझे एनआइए की तरफ से बुलाए जाने का कारण पता नहीं था। एनआइए ने मुझसे एक पुराने आतंकवादी मोहम्मद अमीन भट्ट उर्फ जहांगीर सरूरी के बारे में पूछा। साल 2014-2015 तक मोहम्मद अमीन भट्ट उर्फ जहांगीर नाम का इस्तेमाल होता रहा। उसके बाद जहांगीर के साथ सरूरी जुड़ गया। सरूरी ने कहा कि मेरा उसके साथ कोई संबंध नहीं है। हम सरथल के रहने वाले है और साल 1992 में जब आतंकवाद चरम पर था तो हम किश्तवाड़ आ गए। जहांगीर सरूर गांव का रहने वाला है और उसका नाम तब्दील होकर सरूरी साथ में जुड़ गया।
एनआइए ने मंगलवार को जीएम सरूरी से किश्तवाड़ जिले में आतंकी हिसा और भाजपा नेता अनिल परिहार और उनके भाई की हत्या से जुड़े मामलों में करीब छह घंटे पूछताछ की थी। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के करीबियों में गिने जाने वाले जीएम सरूरी का नाम अगस्त 2013 में किश्तवाड़ में हुई सांप्रदायिक हिसा को उकसाने वाले लोगों में लिया जाता है। एनआइए ही किश्तवाड़ में हुई राजनीतिक हत्याओं की जांच का जिम्मा संभाले हुए है। पुलिस ने आतंकियों की मदद करने और उनके लिए सुरक्षित ठिकानों का बंदोबस्त करने के मामले में जीएम सरूरी के भाई मोहम्मद शफी सरूरी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। जहांगीर के साथ सरूरी कैसे जुड़ा, जांच की जरूरत
कांग्रेस नेता ने कहा कि उसका मेरे साथ कोई लेना देना या रिश्तेदारी नहीं है। हम राष्ट्रवादी और धर्मनिरपेक्ष हैं। एनआइए ने दो से तीन सौ लोगों को नोटिस दिए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि कुछ गड़बड़ है। सरूरी ने कहा कि वह एनआइए को पूरा सहयोग देने को तैयार हैं। मोहम्मद अमीन भट्ट कैसे जहांगीर सरूरी बन गया, इसकी जांच की जरूरत है। मैंने साल 2008 और 2014 में हिसा और दंगों की कड़ी निदा की थी। मुझे धर्मनिरपेक्षता का प्रमाणपत्र लेने की किसी से जरूरत नहीं है।