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कश्मीर में चुनौतियों के बावजूद बढ़ रहा सेब खरीद का दायरा, उत्पादकों को हो रहा सीधा फायदा

बागवानी विभाग ने फलों की ग्रेडिंग के अनुसार दाम तय कर दिए हैं। इससे पूर्व सेब का कारोबार निजी हाथों में किसान-डीलर-बाजार के चक्र में सीमित रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 08:47 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:47 AM (IST)
कश्मीर में चुनौतियों के बावजूद बढ़ रहा सेब खरीद का दायरा, उत्पादकों को हो रहा सीधा फायदा
कश्मीर में चुनौतियों के बावजूद बढ़ रहा सेब खरीद का दायरा, उत्पादकों को हो रहा सीधा फायदा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : सेब कारोबारियों को राहत देते हुए कश्मीर में नेफेड के माध्यम से सेब की खरीद जा रही है। नेफेड ने पूरे सीजन में जम्मू कश्मीर बागवानी विभाग की मदद से करीब पांच हजार करोड़ के फल खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। चूंकि नेफेड पहली बाद कश्मीर में सेब की खरीद कर रहा है और उसे तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं मिला, बावजूद उसके टीम ने तत्परता से खरीद प्रक्रिया शुरू की। इससे फल उत्पादकों को सीधा फायदा मिला है। अब नेफेड के लिए चुनौती यह है कि दूरदराज के गांवों से किसान स्वयं अपनी फसल लेकर मंडियों में पहुंचे या फिर नेफेड और बागवानी विभाग के अधिकारी उन गांवों में जाकर खरीद करें। वर्तमान हालात में यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है।

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बागवानी विभाग ने फलों की ग्रेडिंग के अनुसार दाम तय कर दिए हैं। इससे पूर्व सेब का कारोबार निजी हाथों में किसान-डीलर-बाजार के चक्र में सीमित रहा है। जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा सेब निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने और बाहर से व्यापारियों के न आने से परेशान स्थानीय सेब उत्पादकों की मदद के लिए ही केंद्र सरकार ने राज्य प्रशासन के आग्रह पर इस योजना को मंजूरी दी थी। इससे किसानों को पर्याप्त दाम मिलेगा ही तुरंत पैसा भी सीधे खाते में रिलीज किया जा रहा है।

नेफेड के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि कश्मीर में यह काम बहुत चुनौतीपूर्ण है। उनके मुताबिक, फसल की ग्रेडिंग बाजार में नहीं बल्कि बागों में पेड़ों पर फल आते ही शुरू हो जाती है। इसके अलावा फसल के कुल उत्पादन और बाजार के रुझान को भी देखा जाता है। उन्होंने बताया कि 10 सितंबर को श्रीनगर में नेफेड ने पहला कार्यालय खोला और उसके दो दिन बाद ही पूरे कश्मीर में उसे सेब को खरीदने का काम शुरू कर दिया गया। ढांचागत सुविधाओं के लिए राज्य सरकार सहयोग कर रही है।

उन्होंने कहा हम जो दाम दे रहे हैं, वह सेब की ग्रेडिंग के आधार पर स्थानीय किसानों को बाजार में मिलने वाले दाम से ज्यादा हैं। सेब की जांच और ग्रेडिंग आसान काम नहीं है। इसके बावजूद तेजी से खरीद की जा रही है। नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चड्डा के मुताबिक, बागवानी योजना एवं विपणन निदेशालय जम्मू कश्मीर ही किसानों से सेब खरीदकर हमें बेच रहा है और उसका तुरंत भुगतान यकीनी बना रहे हैं।

राज्य बागवानी विपणन विभाग में कार्यरत एयाज नतनु ने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी चऩौती किसानों का सत्यापन है। कौन सही है और कौन गलत, इसकी पहचान करनी है। इसके लिए हम आधार और केवाईसी का तरीका अपना रहे हैं। इसलिए बहुत सावधानी बरतने की जरुरत है। इसके अलावा ग्रेडिंग मंडी के भीतर तय करना भी मुश्किल हो जाताहै।बारामुला फ्रूट ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद युसुफ डार ने कह कि नेफेड को को लाने की योजना हर किसान तक पहुंचे, यह जिम्मेदारी सरकार पूरी करे तभी फायदा होगा।

डार के अनुसार वादी से हर साल 10 करोड़ से ज्यादा पेटी सेब देश के विभिन्न हिस्सों में निर्यात होता है। नेफेड अधिकारियों ने बताया कि पर्याप्त संचार सुविधाएं न होने के बावजूद वादी में काफी लोग हमारे पास आए हैं, वह सरकार द्वारा जारी बयान के आधार पर ही पहुंचे हैं। कई किसानों अपनी फसल की ग्रेडिंग नहीं बल्कि एक मुश्त दाम मांग रहे हैं। फल व्यापारी मोहम्मद युसुफ डार ने कहा कि कश्मीर में डीलरों को बिक्री पर छह फीसद कमीशन मिलता था, दिल्ली में यह कमीशन दस प्रतिशत है। नेफेड की योजना में हमारे लिए क्या है, यह तय नहीं है।

इस बीच, मंडी में मौजूद एक किसान ने कहा कि बहुत से लोग अपनी फसल को मंडी तक पहुंचाना भी चुनौती है। क्योंकि आतंकियों ने धमकी दे रखी है। ट्रक नहीं मिल रहे हैं। उक्त किसान की बात सुनकर वहां मौजूद अधिकारियों ने कहा कि यह भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। 


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