नेकां सांसद अकबर लोन, हसनैन मसूदी को कोर्ट से मिली डॉ फारूक-उमर से सशर्त मिलने की इजाजत
नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी ने डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात के लिए राज्य उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। नेशनल कांफ्रेंस के दोनों सांसदों को अपने पार्टी अध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से सशर्त मुलाकात की अनुमति मिल गई है। प्रशासन ने दोनों सांसदों को यह विशेष हिदायत दी है कि वे पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलें, लेकिन काेई ऐसी बयानबाजी न करें जिससे राज्य में किसी प्रकार का माहौल बिगड़े।
नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी ने डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात के लिए राज्य उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। राज्य उच्च न्यायालय में जस्टिस संजीव कुमार ने इस याचिका पर जिला उपायुक्त श्रीनगर को निर्देश दिया कि वह दोनों सांसदों की डाॅ फारूक व उमर से मुलाकात को यथाशीघ्र सुनिश्चित बनाएं। बैठक के समय और दिन को तय कर, उन्हें उसके बारे में सूचित किया जाए। अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि दोनों सांसद अकबर लोन और हसनैन मसूदी अपने नेताओं से मुलाकात को लेकर मीडिया में किसी तरह की बयानबाजी न करें।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि नेकां सांसदों की अपने नेताओं के साथ एक शिष्टाचार और उनका कुशलक्षेम जानने तक ही यह मुलाकात होनी चाहिए। डिप्टी कमिश्नर श्रीनगर को भी कहा गया है कि वह इसी सप्ताह यह मुलाकात यकीनी बनाएं। दोनों सांसदों को अलग-अलग समय पर एक ही दिन या फिर अलग अलग दिन नेकां अध्यक्ष व उपाध्यक्ष से मिलाया जाए।
छह सितंबर को अदालत ने जस्टिस(रिटायर्ड) हसनैन मसूदी अौर अकबर लाेन द्वारा डाॅ फारुक व उमर अब्दुल्ला से मुलाकात के लिए दायर याचिका को अनुमति दी थी। याचिका में यह हवाला दिया गया था कि नेकांध्यक्ष और उपाध्यक्ष को उनके पार्टी नेताओं व रिश्तेदारों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। हसनैन मसूदी जोकि दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते हैं, ने कहा कि वह दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को कानूनी सलाह भी प्रदान कर सकते हैं।
अदालत ने इस दौरान कोई औपचारिक नोटिस जारी किए बिना वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता जावेद इकबाल को निर्देश दिया है कि वह यह भी पता लगाएं कि क्या याचिकाकर्त्ताओं को उनके नेताअओं से मिलने से रोका गया था या नहीं। अगर रोका गया था तो उसके कारण क्या रहे हैं, यह पता लगया जाए।
सनद रहे कि पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को राज्यसभा में पेश करने से पूर्व चार अगस्त की रात को ही राज्य सरकार ने एहतियातन नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ फारुक अब्दुल्ला को उनके घर में नजरबंद कर दिया था। इसके साथ ही नेकां उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी हरि निवास में बंद रखा गया है।