घाटी में मोबाइल फोन-इंटरनेट ठप होने से फिर टिक-टिक करने लगीं कलाई घड़ियों की सुइयां
अब मोबाइल सेवा बंद होने के बाद मैंने इसे अलमारी में रख दिया है और वहां रखी कलाई घड़ी पहनने लगा हूं।
श्रीनगर, संवाद सहयोगी। वादी में मोबाइल फोन, इंटरनेट व अन्य संचार सेवाएं ठप होने के बाद कलाई घडिय़ां पहनने का चलन फिर से शुरू हो गया है। समय देखने के लिए लोग फिर से इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। बंद पड़ी घड़ी की सुइयां फिर से टिक-टिक करने लगी हैं।
वादी में मोबाइल फोन की आमद के बाद अधिकांश लोग समय देखने के लिए मोबाइल का ही इस्तेमाल करते थे, जिस कारण कलाई घडिय़ां अलमारियों व संदूकों में पड़ी रहती थी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जब प्रशासन ने मोबाइल फोन, इंटरनेट के अलावा अन्य संचार सेवाएं बंद कर दी तो अधिकांश लोगों ने फिर से कलाई घडिय़ां बांधनी शुरू कर दी है।
बशारत अहमद सेठ नामक युवक ने कहा कि जब से मोबाइल आया तब से मुझे कलाई घड़ी पहनने की जरूरत महसूस ही नहीं हुई। मैं मोबाइल फोन से ही समय देख लिया करता था, लेकिन मोबाइल फोन सेवा बंद होने के बाद फिर से घड़ी पहनने लगा हूं।
तारिक बछू ने बताया कि ज्यादातर लोग मोबाइल फोन को अपनी जेब में रखते थे ताकि एक दूसरे से जुड़े रहने के साथ समय भी देख सकें। मैं भी मोबाइल फोन को हमेशा अपने साथ रखता था। यहां तक कि रात में अपने मोबाइल फोन में अलार्म लगाकर अपने सिरहाने में रखता था ताकि समय पर जाग सकूं। अब मोबाइल सेवा बंद होने के बाद मैंने इसे अलमारी में रख दिया है और वहां रखी कलाई घड़ी पहनने लगा हूं।
सुमय्या नामक एक पत्रकार ने बताया कि पांच अगस्त से पहले जब किसी से समय के बारे में पूछते थे तो वह झट से मोबाइल फोन देखकर बता देता था, लेकिन अब कलाई पर बंधी घड़ी देखकर समय बताता है। सुमय्या के साथ ही बैठी एक अन्य पत्रकार ने सहमति जताते हुए कहा कि वादी में जब स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी तो शायद घडिय़ों के व्यापार में नई जान आ जाएगी।