Kashmir Situation रात को सभी खाना खा रहे थे अचानक बंदूकधारी आतंकी आ पहुंचे...
Kashmir situationयह कौन से मुजाहिद हैंमुजाहिद तो हक और इंसाफ की बात करने वाला होता हैमासूमों की जान बचाने वाला होता है। यह मासूम जिहादी सियासत का पहाड़ा नहीं जानती।
श्रीनगर, नवीन नवाज। दर्द से कराह रही मासूम आसमा बार बार अपने पिता अरशद हुसैन के बारे में पूछ रही है। अस्पताल में सफेद पट्टी में लिपटी टांग से बहे खून को देखकर कहती है दग (कश्मीरी में दर्द और जख्म को दग कहते हैं)। नर्स उसे इंजेक्शन देकर बोलती है कि अब दर्द नहीं होगा। पास खड़ी उसकी मां पूछती है कि यह ठीक हो जाएगी, इसके पापा का क्या हाल है। उसे ऑपरेशन थियेटर में ले गए थे, क्या हुआ?
जिहादी एजेंडे की असलियत
आसमा की टांगों पर गोलियां लगी हैं। उसे लगी गोलियां कश्मीर में नाकाम हुए जिहादी एजेंडे की असलियत बयां कर रही हैं। आतंकियों व अलगाववादियों को उम्मीद थी कि आम लोग उनके फरमान पर अमल करते हुए अपने कारोबार बंद रखेंगे, रोज देश विरोधी हिंसक प्रदर्शन होंगे। ऐसा कुछ होते न देख आतंकियों ने सिविल कश्मीर कर्फ्यू लागू न करने पर, अपने कारोबार बंद न करने वालों को जान से मारने की धमकी भी दी, पोस्टर जारी किए।
एक सप्ताह पहले लश्कर कमांडर अबु हैदर ने तो सोपोर के सेब व्यापारियों का नाम लेकर उन्हें जिहाद का दुश्मन तक करार दे दिया। आसमा, उसके पिता अरशद हुसैन राथर दो अन्य लोग मुहम्मद अशरफ डार व मुहम्मद रमजान के साथ बीती रात डांगरपोरा सोपोर में आतंकी हमले में जख्मी हुए हैं। आतंकी चारों को मरा समझ चले गए थे। चारों घायलों को परिजनों ने सुरक्षाबलों की मदद से अस्पताल पहुंचाया। अरशद और अन्य लोग सोपोर के नामी व्यापारी हैं।
राज्य पुलिस अधिकारी ने कहा-
राज्य पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि आतंकियों और अलगाववादियों को समझ आ चुका है कि उनकी दुकानदारी बंद हो रही है। लोगों ने उनके एजेंडे को नकार दिया है। इसलिए ट्रक चालक नूर मोहम्मद की हत्या हुई। परिंपोरा में हिज्ब आतंकियों ने गुलाम हसन मीर नामक दुकानदार को मौत के घाट उतार दिया। त्राल में गुज्जर समुदाय के दो युवकों को अगवा कर मौत के घाट उतारा। दो दिन पहले सोपोर में एक बाहरी श्रमिक की हत्या का प्रयास किया। दुआ करता हूं कि आसमा की हालत से उन्हें हकीकत समझ आ जाए।
खाना खा रहे थे कि आतंकी आ पहुंचे
आसमा के एक रिश्तेदार ने कहा कि रात को सभी खाना खाने की तैयारी कर रहे थे। अचानक बंदूकधारी आ गए। मुहम्मद अशरफ व रमजान भी थे। बंदूकधारियों को देखकर सभी डर गए थे। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ कुछ देर आराम करेंगे, खाना खाएंगे और चले जाएंगे। कुछ राहत मिली थी। खाना खाने के बाद पूरे घर के लोगों को एक जगह खड़ा किया। उन्होंने अरशद को साथ चलने को कहा, लेकिन अन्य लोगों ने विरोध किया। सभी आतंकियों का मंसूबा भांप गए थे। जब परिजनों ने प्रतिरोध किया तो आतंकियों ने मासूम असमा जो उस समय पिता की गोद में थी, पर अंधाधुंध गोलियां चलाई।
खून खराबे से निजात चाहते हैं
आसमा के नाना ने कहा कि हम सभी इस खून खराबे से निजात चाहते हैं। मेरी नाती और मेरा दामाद की हालत गंभीर बनी हुई है। अगर लोग कारोबार करना चाहते हैं तो उन्हें बंद करने के लिए क्यों मजबूर किया जाता है- यह कौन सा जिहाद और इस्लाम है। हमारे ही घर से पांच किलोमीटर एक मजदूर को खुद को कश्मीरियों का हमदर्द और मुजाहिद कहने वालों ने कत्ल करना चाहा। वहां मौजूद औरतों ने किसी तरह उसे बचा लिया। वह बेचारा अस्पताल में ही इलाज करा रहा है। यह कौन से मुजाहिद हैं,मुजाहिद तो हक और इंसाफ की बात करने वाला होता है,मासूमों की जान बचाने वाला होता है। यह मासूम जिहादी सियासत का पहाड़ा नहीं जानती।