सोपोर में आतंकियों ने बाहरी श्रमिक को मारी गोली, स्थानीय महिलाओं ने बचाई श्रमिक की जान
सोपोर में आतंकियों का निशाना बने बाहरी श्रमिक का नाम सफी आलम है। वह राज मिस्त्री का काम करता है। घाटी में पांच अगस्त के बाद किसी बाहरी व्यक्ति पर आतंकी हमले की यह पहली घटना है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। घाटी में अपने जिहादी एजेंडे को नाकाम होते देख हताश आतंकियों ने सोपोर में एक बाहरी श्रमिक को मौत के घाट उतारने का प्रयास किया। स्थानीय महिलाओं ने आतंकियों का प्रतिरोध कर उसे बचा लिया। इस दौरान गोली लगने से वह गंभीर रुप से घायल हो गया। वारदात के बाद आतंकी वहां से भाग निकले।
सोपोर की घटना से वादी में बचे-खुचे बाहरी श्रमिकों व अन्य लोगों में खौफ पैदा हो गया है। उनमें से कईयों ने कश्मीर छोड़ दिया है। स्थिति को भांपते हुए प्रशासन ने भी वादी में जहां भी थोड़े-बहुत बाहरी श्रमिक हैं, वहां सुरक्षा बड़ा दी है। ईंट भट्ठों और मंडियों में सुरक्षा का विशेष प्रबंध किया गया है। गौरतलब है कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के बाद से कश्मीर में सक्रिय आतंकी पूरी तरह हताश हो चुके हैं। गत सप्ताह लश्कर कमांडर अबु हैदर ने बाहरी लोगों को कश्मीर छोड़ने का फरमान सुनाते हुए उन्हें मौत के घाट उतारने की धमकी दी है। उसने बाहरी लोगों को काम देने वालों, उन्हें अपने घरों में रखने वालों को भी कौम व इस्लाम का दुश्मन करार देते हुए उन्हें भी गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा है।
सोपोर में आतंकियों का निशाना बने बाहरी श्रमिक का नाम सफी आलम है। वह राज मिस्त्री का काम करता है। घाटी में पांच अगस्त के बाद किसी बाहरी व्यक्ति पर आतंकी हमले की यह पहली घटना है। सफी की टांगों और कंधों में गोलियां लगी हैं। उसे उपचार के लिए एसएमएचएस अस्पताल में लाया गया है।
संबधित सूत्रों ने बताया कि सफी आलम बीते कई सालों से कश्मीर में ही रह रहा है। वह सोपोर में अहद बब चौराहे के पास स्थित एक स्थानीय नागरिक के मकान के निर्माण कार्य में लगा हुआ था। मकान मालिक ने हालात को देखते हुए उसे अपने ही घर में काम पूरा होने तक रहने की अनुमति दे रखी थी। बुधवार की देर शाम गए आतंकियों का एक दल जबरन मकान में दाखिल हो गया। आतंकियों ने उसे कमरे से बाहर निकाला और अांगन में खड़ा कर उसे पीटना शुरु कर दिया। इसके बाद आतंकियों ने उसकी छाती पर गोली दागने का प्रयास किया। लेकिन मकान मालिक और उसके घर में मौजूद महिलाओं ने आतंकियों का प्रतिरोध करते हुए कहा कि वह निर्दोष है, उसे कत्ल न करें, वह उसे अपने घर से निकाल देंगे। आतंकी नहीं माने। इस पर कुछ महिलाएं सफी आलम को बचाने के लिए उस पर लेट गई। आतंकियों ने इस पर सफी की टांगों व कंधों में गोली मारी और वहां से चले गए।
सोपोर स्थित एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सफी आलम को महिलाओं ने बचाया। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची थी, लेकिन आतंकी वहां से भाग गए थे। हमने मकान मालिक और उसके परिजनों से पूछताछ के आधार पर आतंकियों का हुलिया तैयार कियाहै। उन्हें पकड़ने के लिए एक अभियान भी चलाया गया है।
बाहरी श्रमिकों में खौफ, वादी से हुआ पलायन
सोपोर की घटना ने कश्मीर घाटी में बचे खुचे बाहरी श्रमिकों व अन्य लोगों में भय पैदा कर दिया है। हालांकि इस घटना की खबर संचार सेवाओं के ठप होने के कारण देर से फैली। इसका पता चलते ही कई बाहरी लोगों ने जम्मू की तरफ अपने साजो सामान समेत रुख किया। मंडियों और ईंट भटठों पर जहां भी थोड़ बहुत श्रमिक थे, बसों और ट्रकों में बैठ कर कश्मीर से निकलते हुए देखे गए हैं। इस बीच, राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अिधकारी ने बताया कि सोपोर की घटना का संज्ञान लेते हुए पूरी वादी में जहां भी बाहरी लोग हैं, बाहरी श्रमिक हैं, सुरक्षा को बढ़ाया गया है। सभी संवेदनशील इलाकों मेंगश्त भी तेज कर दी गई है। अलबत्ता, उन्होंने इस घटना के बाद वादी से बाहरी श्रमिकों के पलायन से अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि हमारी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव से पूर्व ही राज्य प्रशासन ने एहतियात के तौर पर बाहरी लोगों को कश्मीर छोड़ने काी सलाह दी थी। इसके आधार पर वादी से करीब पांच लाख बाहरी श्रमिक व अन्य लोग अपने अपने घरों को चले गए थे। इसके बावजूद वादी में करीब एक हजार ही बाहरी श्रमिक रह गए थे जो विभिन्न ठेकेदारों द्वारा उपलब्ध करायी गई सुरक्षित आवासीय सुविधा या फिर अपना भुगतान न होने के कारण रुके हुए हैं।