फोन की घंटी से जान में जान आयी Srinagar News
वादी में ठप पड़ी फोन सेवाएं शनिवार को बहाल होने से लोगों ने बड़ी राहत महसूस की है। हालांकि लैंडलाइन फोन अधिकांश घरों से गायब हो चुके हैं लेकिन जिनके पास हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो । वादी में ठप पड़ी फोन सेवाएं शनिवार को बहाल होने से लोगों ने बड़ी राहत महसूस की है। हालांकि लैंडलाइन फोन अधिकांश घरों से गायब हो चुके हैं, लेकिन जिनके पास हैं, उनके घरों में पड़ोसियों का तांता लगना शुरु हो गया है। किसी को असुविधा न हो, इसलिए सभी लंबी बात करने के बजाय चंद सैकेंड में ही फोन छोड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर विशेषाधिकार समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित राज्याें में विभाजित किए जाने से कश्मीर में उपजी स्थिति के मददेनजर प्रशासन ने वादी में निषेधाज्ञा लागू कर रखी है। सभी प्रकार की टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं भी चार अगस्त की रात को बंद कर दी गई थी। इससे वादी में लोगों का देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों से संपर्क पूरी तरह कट गया है। वादी में भी लोग अपने घर ,मोहल्ले से दूर रहने वाले अपने परिचितों से संपर्कनहीं कर पा रहे थे। इससे हो रही दिक्कतों को देखते हुए प्रशासन ने करीब 600 हेल्पलाइन सेवाएं शुरु की थी जो नाकाफी साबित हो रही थी।
अलबत्ता, सुधरते हालात को देखते हुए प्रशासन ने आज तड़के वादी में लैंडलाइन फोन सेवा को बहाल करना शुरु कर दिया। सुबह 11 बजे तक 17 टेलीफोन एक्सचेंज बहाल हो चुकी थी अन्य को बहाल करने का क्रम जारी है। इससे स्थानीय लोगों ने बड़ी राहत महसूस की है। फतेह कदल में रहने वाली रुमैसा काजमी ने कहा मुझे नहीं पता था कि लैंडलाइन फोन शुरु हो गया है। मेरे खाविंद ताहिर बीते 10 दिनों से लेह में है। हमारा कोई संपर्क नहीं हो रहा था। आज सुबह उनका फोन आया। जब घंटी बजी तो पहले मुझे यकीन नहीं हुआ। जब बार बार फोन बजा तो मैने रसीवर उठाया। सच कहो तो आज दिल को सुकून आया है।
अलूचीबाग निवासी जावेद पंडित के घर में सुबह नौ बजे से ही मजमा लगा हुआ था। अड़ोस-पड़ोस में रहने वाले जिनके घर में लैंडलाइन नहीं हैं, फोन करने के लिए जमा होने लगे थे। एजाज अहमद नामक एक बुजुर्ग ने कहा कि हमें आज लैंडलाइन की अहमियत पता चली है। हमने दो साल पहले ही अपना लैंडलाइन फोन कटवाया था। मेरी बेटी और दामाद दोनों ही चेन्नई में रहते हैं। उनसे बीते 12 दिनों से कोई बात नहीं हो रही है। आज बात हुई है।
जावेद पंडित ने कहा कि यहां हमारे मोहल्ले में तीन से चार ही लैंडलाइन फोन हैं। एक हमारे घर में है। हम किसी को मना नहीं कर रहे हैं। लेकिन सभी से कह रहे हैं कि फोन करें, लेकिन समय का ध्यान रखें। हमें बिल की चिंता नहीं है, बस सभी को चैन मिले, यही हम चाहते हैं। मेरी बहन यहां से पांच किलोमीटर दूर रहती है। उसके दोनों बेटे इस समय दिल्ली में हैं। मैने आज सुबह पहले अपने भांजों से बात की। फिर बहन को लेने उसके घर गया। बहन को अपने बेटों से बात कर बहुत तसल्ली मिली है।
राजबाग स्थित होटल स्नो पैलेस के मैनेजर ने कहा कि लैंडलाइन फोन बहाल होने से आप समझ नहीं सकते कि हमें कितनी राहत मिली है। मैने अपनी बेटी की दिल्ली से दवा मंगवानी है, वहीं पर एक डाक्टर से उसके इलाज के लिए एपवायंटमेंट लेना है। आज फोन चालू हुआ और सबसे पहले मैने यही काम किया है। इस समय तो यहां सब बंद है, दिल्ली और मुंबई स्थित कुछ ट्रैवल एजेंटों से भी बात की है ताकि उनके पास जो हमारा बकाया है, वह प्राप्त किया जा सके। इसके अलावा उनसे कुछ पैकेज भेजने का भी आग्रह किया है। फोन बंद होने से सिर्फ जिंदगी नहीं कारोबार भी थम गया था।