आतंक के गढ़ में तैयार हो रहे देश के निगेहबां
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पांपोश रशीद, बारामूला (कश्मीर): कश्मीर में बदलाव के संकेत दिखने लगे हैं। और वह भी आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले दक्षिणी कश्मीर में। आतंकियों की जान से मारने की धमकियों को दरकिनार कर युवाओं में देशसेवा के लिए जोश उमड़ रहा है। हैदरबाग के पट्टन क्षेत्र में सेना की भर्ती रैली उन अलगाववादियों व आतंकी समर्थकों को तमाजा है जो युवाओं को आतंक के रास्ते में धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इन दिनों हैदरबाग में सेना की भर्ती में कश्मीर के कई जिलों के युवा फौजी बनने के लिए उमड़ रहे हैं। भर्ती रैली 10 से शुरू होकर 16 जुलाई तक जारी रहेगी। रैली में बांडीपोरा, कुपवाड़ा, गांदरबल, बारामूला, श्रीनगर, बडगाम, शोपियां, अनंतनाग व कुलगाम जिले के युवा भाग ले रहे हैं। कश्मीर संभाग के 5366 युवाओं ने पंजीकरण करवाया है। रविवार को बारामूला व बड़गाम के 915 युवाओं ने भाग्य आजमाया। इस दौरान उम्मीदवारों के कागजात की जांच, शारीरिक माप के साथ स्वास्थ्य जांच भी की गई। युवाओं के साथ उनके परिजन भी भती रैली लेकर उत्साहित हैं। सेना भी इन युवाओं के जोश की कायल दिखी।
दक्षिण कश्मीर में कई युवा गुमराह होकर आतंक का रास्ते अपना चुके हैं, लेकिन अब वे सरकार और सेना की नीतियों को समझने लगे हैं। भर्ती रैली में एक युवक असलम खान ने कहा कि आतंकी समर्थक भले ही सेना के खिलाफ कितना भी दुष्प्रचार कर लें, लेकिन घाटी का युवा उनके मंसूबों को समझ चुका है। अब वह अपने मुस्तकबिल (भविष्य) को लेकर जाग उठा है। रफियाबाद के कित्दरजी इलाके के मुश्ताक अहमद ने बताया कि वह बेहतर भविष्य के लिए सेना में भर्ती होना चाहता है। बीरवाह के मुजफ्फर अहमद ने कहा कि देश की सेवा करने के लिए सेना में भर्ती होने से अच्छा कुछ नहीं है। अगर में इस बार सफल नहीं हो पाया तो अगली बार फिर से कोशिश करूंगा। उड़ी के गिगल के कौसर अहमद व खाग के चाकपोरा के अरफान अहद की भी कोशिश है कि सेना में भर्ती होने का उनका सपना साकार हो सके। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। इरफान का कहना है कि वह खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक साल से कड़ी मेहनत कर रहे हैं।