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कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान अब पत्थरबाजों पर साउंड कैनन से होगा वार Kashmir News

सीआरपीएफ व अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिकबल व राज्य पुलिस बदलती जरूरतों के मुताबिक अपने साजो सामान में सुधार करती हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 04:12 PM (IST)
कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान अब पत्थरबाजों पर साउंड कैनन से होगा वार Kashmir News
कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान अब पत्थरबाजों पर साउंड कैनन से होगा वार Kashmir News

जम्मू, नवीन नवाज। कश्मीर में उपद्रवियों और पत्थरबाजों से निपटने के लिए मॉब कंट्रोल व्हीकल के बाद अब अत्याधुनिक मशीन साउंड कैनन के इस्तेमाल की योजना है। इसे लांग रेंज एकासिक डिवाइस (एलआरएडी) कहते हैं। फिलहाल साउंड कैनन की खरीद और परीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। एक दौर पूरा भी हो चुका है।

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कश्मीर में हिंसक प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए सुरक्षाबल कम घातक हथियार आंसूगैस, मिर्ची बम, रबर बुलेट व पैलेट का प्रयोग करते हैं। इससे कई बार जनक्षति हो जाती है। विभिन्न मानवाधिकार संगठन पैलेट पीडि़तों को मुद्दा बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने का कई बार प्रयास कर चुके हैं। पैलेट पर रोकने की मांग स्थानीय हल्कों में बड़ी देर से हो रही है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गृहमंत्री रहते हुए कई बार पैलेट का विकल्प तलाशने का यकीन दिलाया है।

साउंड कैनन की क्या विशेषता : साउंड कैनन की विशेषता होगी कि तीन से चार फीट की दूरी पर इससे निकलने वाली आवाज का 153 डेसीबल साउंड प्रेशर रहेगा। 100 फीट की दूरी पर 121 डेसीबल तक प्रेशर रहेगा। 90 डेसीबल तीव्रता वाली आवाज को रोजाना सुनने से किसी भी इंसान की सुनने की क्षमता पर नकारात्मक असर होता है। 130 डेसीबल तीव्रता वाली आवाज कानों में दर्द पैदा करती है।

कुछ कंपनियों से संपर्क किया

आरपीएफ में आइजी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि साउंड कैनन की खरीद की प्रक्रिया जारी है। सीआरपीएफ व अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिकबल व राज्य पुलिस बदलती जरूरतों के मुताबिक, अपने साजो सामान में सुधार करती हैं। यह उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। साउंड कैनन बनाने वाली कुछ कंपनियों से संपर्क किया गया है।

पहले चेतावनी फिर सहन न करने वाली आवाज

एक अन्य सीआरपीएफ अधिकारी ने बताया कि साउंड कैनन में पांच स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। यह प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देंगी। इससे निकलने वाली ध्वनि तरंगों को प्रदर्शनकारी सहन नहीं कर पाएंगे। वे भागने में अपनी बेहतरी समझेंगे। इससे किसी की जान भी नहीं जाएगी। इस संदर्भ में देश- विदेश की साउंड कैनन निर्माता कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। निर्माताओं से कहा गया है कि साउंड कैनन के असर को लेकर भारत सरकार से मान्यता प्राप्त किसी मेडिकल संस्थान से सर्टिफिकेट भी लेना पड़ेगा।

इंसान के लिए खतरनाक : डॉ. राशिद

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अब्दुल राशिद ने कहा कि बेशक साउंड कैनन से किसी की जान न जाए, लेकिन यह इंसान के लिए खतरनाक है। यह सिर्फ कानों को नुक्सान नहीं पहुंचाएगी बल्कि इससे आंखें व अन्य आतंरिक भी प्रभावित होंगे। साउंड कैनन से निकलने वाली ध्वनि किसी भी व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे निकलने वाली आवाज से मांसपेशियां सिकुडने के अलावा नसों में खिचाव पैदा करती हैं। अगर साउंड कैनन की आवाज को लगातार सुना जाए तो यह इंसान का लीवर खराब कर देती हैं।

मानवाधिकारवादी संगठन ने किया विरोध

जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसायटी नामक मानवाधिकारवादी संगठन के अध्यक्ष परवेज इमरोज ने कहा कि हम शुरू से पैलेट गन के इस्तेमाल के खिलाफ रहे हैं। अब सुना है कि यहां साउंड कैनन इस्तेमाल की जाने वाली है। यह एक शैतान से छ़ुटकारा पाने के लिए दूसरे को गले लगाने जैसा है। बहरों की तादाद बढ़ेगी। इससे बचा जाना चाहिए।

मॉब कंट्रोल व्हीकल भी उतारा जाएगा

द र्गापुर, झारखंड स्थित केंद्रीय यांत्रिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक मॉब कंट्रोल व्हीकल बना रहे हैं जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसे न भीड़ पलट सकेगी, न इसमें आग लगेगी। पथराव से वाहन में बैठे जवान जख्मी भी नहीं होंगे। इस वाहन का प्रयोग कश्मीर में होगा।


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