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आतंकियों और अलगाववादियों के बंद होंगे सभी वित्तीय स्रोत

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित एमडीटीएमजी ने बनाई रणनीति

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 09:58 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 06:37 AM (IST)
आतंकियों और अलगाववादियों के बंद होंगे सभी वित्तीय स्रोत
आतंकियों और अलगाववादियों के बंद होंगे सभी वित्तीय स्रोत

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : टेरर फंडिग पर रोक लगाने और आतंकियों व अलगाववादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से गठित मल्टी डिसिप्लिनरी टेरर मॉनिटरिग ग्रुप (एमडीटीएमजी) ने अपना काम शुरू कर दिया है। एमडीटीएमजी आतंकियों और अलगाववादियों के सभी मौजूदा और संभावित वित्तीय स्रोतों को बंद करने की रणनीति को लागू करने जा रही है।

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संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एमडीटीएमजी ने जिस तरीके से अपना काम शुरू करते हुए अलगाववादियों के वित्तीय नेटवर्क के खिलाफ रणनीति तैयार की है, उससे मोहम्मद यासीन मलिक, शब्बीर अहमद शाह समेत कई अन्य वरिष्ठ अलगाववादी जो वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं, की रिहाई की उम्मीद भी कम हो गई है। एमडीटीएमजी की अध्यक्षता जम्मू कश्मीर पुलिस के सीआइडी विग में अतिरिक्त महानिदेशक को सौंपी गई है। इसके अलावा आइजीपी जम्मू कश्मीर पुलिस के अलावा केंद्रीय खुफिया एजेंसियों, सीबीआइ, एनआइए और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के वरिष्ठ अधिकारी इसमें सदस्य बनाए गए हैं।

एमडीटीएमजी राज्य में आतंकवाद, अलगाववाद व संबंधित गतिविधियों से जुड़े मामलों को हल करने के लिए संबंधित एजेंसियों में समन्वय बना कर कार्रवाई करेगी। इसके अलावा यह राज्य में आतंकवाद और अलगाववाद के समर्थक संगठनों,व्यक्तियों की निशानदेही करने के अलावा आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले तत्वों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी।

संबधित अधिकारियों ने बताया कि एमडीटीएमजी की साप्ताहिक बैठक हुआ करेगी और जो अब तक बैठक हुई है, उसमें आतंकियों व अलगाववादियों के के वित्तीय नेटवर्क को तोड़ने व समाप्त करने की रणनीति तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में पहले से ही एक रणनीति पर काम चल रहा है, बस उस रणनीति को बदलते परिवेश के मुताबिक और ज्यादा बेहतर करने पर काम हुआ है।

उन्होंने बताया कि एमडीटीएमजी ने बीते तीन सालों के दौरान कश्मीर मे ंटेरर फंडिग के सिलसिले में गिरफ्तार अलगाववादियों के मामलों पर भी चर्चा की है। एनआइए द्वारा इन नेताओं के खिलाफ एकत्र की जा रही जानकारी व दस्तावेजों को संबंधित संस्था को देने पर भी जोर दिया गया है। इसके अलावा इन लोगों के खिलाफ लंबित मामलों पर भी कानूनी कार्रवाई तेज करने का फैसला लिया गया है।


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