कश्मीरी कैदियों की रिहाई राजनीतिक एजेंडे का बना हिस्सा
राज्य ब्यूरो श्रीनगर संसदीय चुनावों में कम मतदान से हताश और निकट भविष्य में विधानसभा चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित बनाने के लिए कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दलों ने जेलों में बंद कश्मीरी कैदियों की रिहाई को अपने राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बनाना शुरूकर दिया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : संसदीय चुनावों में कम मतदान से हताश और निकट भविष्य में विधानसभा चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित बनाने के लिए कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दलों ने जेलों में बंद कश्मीरी कैदियों की रिहाई को अपने राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बनाना शुरूकर दिया है।
नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और पीपुल्स कांफ्रेंस ने इन लोगों की रिहाई और अदालतों में कानूनी मदद प्रदान करने के लिए लीगल सेल बनाना शुरू कर दिए हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट, पीडीएफ, माकपा और एआइपी ने अपनी रैलियों और बैठकों में इनकी रिहाई का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है।
पीडीपी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा कि हम एक लीगल सेल बनाने जा रहे हैं। हमारे संगठन में ऐसे कई वकील हैं, जो जेलों में बंद कश्मीरी सियासी कैदियों के मामलों की अदालत में पैरवी कर रहे हैं। अब हम एक सेल बनाएंगे और इसकी जिम्मेदारी पीडीपी से संबंधित एक वरिष्ठ वकील को सौंपी जाएगी। मुजफ्फर हुसैन बेग ने पहले ही कहा है कि हम जमात और जेकेएलएफ को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी मदद करने को तैयार हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मुहम्मद सागर ने कहा कि हमने पहले ही पूर्व महाधिवक्ता की अध्यक्षता में एक लीगल सेल बना रखा है। हमारे पास जो भी मदद के लिए आता है, हम उसकी मदद करते हैं। शाह फैसल ने कहा कि हम राजनीतिक कैदियों जिन्हें राज्य के बाहर की जेलों में रखा गया है, की मदद के लिए एक लीगल सेल बना रहे हैं। जेलों में बंद कैदियों के परिजन मदद के लिए आ सकते हैं। अगर कोई वकील या वालंटियर इस सेल में हमें मदद करना चाहता है तो वह आ सकता है। इसके अलावा हम पूरी वादी में राजनीतिक कैदियों के साथ न्याय और कानूनी मदद देने के लिए अभियान भी चलाएंगे।