सियासी दलों की नाकामी की दास्तां सुना रहे थे सूने बूथ
राज्य ब्यूरो पुलवामा/शोपियां सूनी गलियां बंद बाजार सुरक्षाबलों व शरारती तत्वों के बीच
राज्य ब्यूरो, पुलवामा/शोपियां :
सूनी गलियां, बंद बाजार, सुरक्षाबलों व शरारती तत्वों के बीच हिसक झड़पें और विभिन्न इलाकों में वीरान पड़े मतदान केंद्र सोमवार को पुलवामा-शोपियां में मुख्यधारा के सियासी दलों की नाकामी की कहानी सुना रहे थे। लगभग 5.22 लाख मतदाता इन दो जिलों के छह विधानसभा क्षेत्रों में हैं, लेकिन मतदान करने सिर्फ 2.81 फीसद ही मतदाता पहुंचे। चुनाव वाले क्षेत्र में बने 695 मतदान केंद्रों मे लगभग 160 में एक भी मतदाता नहीं पहुंचा। अगर कहीं पहुंचे तो उनकी संख्या अंगुलियों पर गिनी जा सकती थी। मतदाताओं से कहीं ज्यादा सुरक्षाकर्मी नजर आते थे जो इस क्षेत्र की संवेदनशीलता की कहानी सुना रहे थे।
कश्मीर में अल कायदा की आवाज बने अंसार उल गजवात ए हिद के कमांडर जाकिर मूसा के गांव नूरपोरा, हिजबुल मुजाहिदीन के डिवीजनल कमांडर रियाज नायकू, गत दिनों मारे गए हिज्ब आतंकी लतीफ टाईगर के गांव डोगरीपोरा और 14 फरवारी को लिथपोरा में आत्मघाती हमला करने वाले जैश आतंकी आदिल डार के गांव बेहीबाग में एक भी वोट नहीं पड़ा। बेहीबाग के साथ सटे गुंडीबाग में 350 में से 15 वोट पड़े। कश्मीर में आतंकी हिसा का रुख मोड़ने वाले आतंकी बुरहान के गांव शरीफाबाद में भी मतदान केंद्र पूरे दिन सूने रहे।
गौरतलब है कि अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र देश का सर्वाधिक संवेदनशील संसदीय क्षेत्र माना जाता है,जहां सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने तीन चरणों में मतदान कराया है। सोमवार को तीसरे व अंतिम चरण में जिला पुलवामा व शोपियां में मतदान कराया गया है। इन दोनों जिलों में अलगाववादियों के आहवान पर हड़ताल और चुनाव के मद्देनजर किए गए सुरक्षा प्रबंधों ने सामान्य जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित किया। इन दोनों जिलों में मतदान केंद्रो ंकी तरफ आने जाने वाली सड़कें ही नहीं, इन जिलों के सभी प्रमुख कस्बों व गांवों को जिला मुख्यालय के अलावा हाईवे व श्रीनगर से जोड़ने वाली सड़कें भी सुनसान रही। सिर्फ हाईवे के आस-पास स्थित थोड़ी बहुत दुकानें खुली रही, लेकिन भीतरी इलाकों में सब बंद। चार मतदान केंद्रों पर आतंकियों ने साकेट बम फेंके और दो मतदान केंद्रों पर पेट्रोल बम। हालांकि इनमें किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ,लेकिन मतदान करने कोई नहीं पहुंचा।
कहीं-कहीं नजर आए इक्का-दुक्का लोग
खरीयु में बेशक भीड़ नजर आयी, लेकिन पांपोर,त्राल, लिथपोरा, लस्सीपोरा, मुरन, पुलवामा, शोपियां, वाची इमामसाहब, जेनपोरा, नागबल, हफश्रीमाल में मतदान केंद्रों पर कहीं कहीं इक्का दुक्का लोग नजर आए। अगर कहीं भीड़ थी तो मतदान केंद्रों की तरफ जाने वाली सड़क पर पत्थर बरसाते युवकों और उन्हें खदेड़ते सुरक्षाबलों की। अगर गांव या कस्बे में किसी जगह कुछ लोग शांत खड़े नजर आए तो पास जाने पर पता चलता कि वह मतदान पर नहीं बल्कि रियासत के सुरक्षा परिदृश्य पर विचार विमर्श करते दुआ कर रहे हैं कि हालात ठीक रहें। स्थिति सामान्य हो। अगर किसी को पूछो कि वह वोट डालने क्यों नहीं गया तो जवाब मिल जाता कि किसे वोट दें। यहां कोई आटोनामी का झांसा देता रहा तो कोई हमें सेल्फ रूल का ख्वाब दिखाता रहा। लेकिन दिया क्या,हमारे बच्चों के हाथों में बंदूक और पत्थर। हमें कुछ और नहीं चाहिए,कम से कम यह लोग यहां हमारे बच्चों को जिहाद के नाम पर बरगलाने वालों पर ही लगाम लगाते तो हमें लगता कि चलो कुछ तो अच्छा कर रहे हैं,वोट डाल दो। यह जम्हूरियत के नाम पर वोट लेते हैं और बाद में जम्हूरियत का मजाक बना देते हैं। खैर, जब पथराव थमेगा तो वोट डाल आएंगे।
कहां कितना फीसद हुआ मतदान
जिला मुख्यालय पुलवामा में मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि पुलवामा में केवल 0.8 फीसद मतदान हुआ जहां 84,775 मतदाताओं में से महज 652 लोगों ने ही वोट डाला। पास के राजपुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में केवल 1.6 फीसद मतदान हुआ। त्राल में 1.1 फीसद मतदान हुआ जहां बहुत सी मुठभेड़ हुई हैं। पांपोर विधानसभा क्षेत्र में 5.1 फीसद मतदान हुआ जो नेकां के उम्मीदवार हसनैन मसूदी का गृहनगर है। पास के शोपियां जिले में 4.3 फीसद मतदान हुआ और इसके पास वाची में 2.5 फीसद मतदान दर्ज किया गया। 5,21,989 मतदाताओं में से केवल 15,500 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें से 2,249 वोट विस्थापित कश्मीरी पंडितों के थे।