हड़ताली कर्मियों ने सरकार से मांगा इंसाफ
सुंदरबनी में जल शक्ति विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मियों की हड़ताल 14वें दिन बुधवार को भी जारी रही। स्थायी कर्मियों ने सरकार से उनकी मांगों को हल कर उनके साथ इंसाफ करने की मांग की है। हड़ताल के करण सुंदरबनी के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित होकर रह गई है।
संवाद सहयोगी, सुंदरबनी : सुंदरबनी में जल शक्ति विभाग में कार्यरत अस्थायी कर्मियों की हड़ताल 14वें दिन बुधवार को भी जारी रही। स्थायी कर्मियों ने सरकार से उनकी मांगों को हल कर उनके साथ इंसाफ करने की मांग की है। हड़ताल के करण सुंदरबनी के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित होकर रह गई है। लोगों को गर्मी में बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। पिछले दो हफ्ते से पहाड़ी क्षेत्र के कई गांवों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित होने से लोगों को दूरदराज स्थित प्राकृतिक जलस्त्रोतों से पीने का पानी लाना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों में माल मवेशियों को हो रही है। पंचायत तला टांडा के सरपंच मोहन सिंह ने कहा कि अस्थायी कर्मियों की मांगें जायज हैं, लेकिन हड़ताल के कारण पेयजल आपूर्ति प्रभावित होने से गर्मी में बच्चों बुजुर्गों को पानी नहीं मिलने के कारण मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। सरकार को तुरंत कोई बीच का रास्ता निकालते हुए कर्मचारियों की लंबित मांगों को मांगकर प्रभावित चल रही पेयजल आपूर्ति को बहाल करने के लिए जल्द कदम उठाना चाहिए। वर्षों से अस्थायी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सी भी सरकार द्वारा पूर्व में अस्थाई कर्मचारियों की मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मामले में हस्तक्षेप कर कर्मचारियों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करें।
जयपाल, अस्थायी कर्मी पिछली सरकारों की तरह राज्य प्रशासन ने भी कर्मचारियों को दबाने का ही प्रयास किया है। जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया लेकिन न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा।
कर्मचारियों को एसआरओ 64 का लाभ देना कोई बड़ा काम नहीं है।
ठाकुर दास अस्थाई कर्मचारी सरकार के सौतेला पन का खामियाजा अस्थायी कर्मचारियों के परिवारों को वर्षों से भुगतना पड़ रहा है। दो वक्त की रोटी के लिए कर्मचारियों को दर बदर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। लंबित मांगों को अगर सरकार द्वारा जल्द पूरा नहीं किया गया तो आने वाले विधानसभा चुनावों में अस्थाई कर्मचारी विधानसभा चुनावों का आविष्कार करेंगे। रंजीत शर्मा अस्थाई कर्मचारी ----
पिछले 60 महीनों से अधिक का बकाया वेतन व लंबित मांगों को लेकर पिछले अस्थायी कर्मचारी धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। ना तो सरकार की तरफ से समय पर वेतन मिलता है और ना ही नियमित किए जाने को लेकर नीति बनाई जा रही है। ऐसे उनके बच्चे भुखमरी के कगार पर हैं। ।
पवन कुमार अस्थायी कर्मी।