Best Teachers award में मिले धन जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा पर खर्च करेंगे शिक्षक Harnam Singh
यह उन शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक हैं जो कम मेहनत करने के लिए शहरों के ही स्कूलों में रहना चाहते हैं। हरनाम सिंह दूसरे शिक्षकों के लिए भी प्रेरणा बने। उन्होंने अपने मिडिल स्कूल पदर में दानपात्र लगाया है। उसमें हर शिक्षक रोज कुछ न कुछ रकम डालते हैं।
कालाकोट, संजय शर्मा : बच्चों में अच्छा संस्कार देकर एक अच्छा नागरिक बनाने में तो शिक्षकों का योगदान तो अतुलनीय होता है, लेकिन अगर एक शिक्षक समाजसेवक की भूमिका निभाए तो यह सोने पर सुहागा है। सिर्फ पेशे से शिक्षक तो अनगिनत हैं, पर हर हाल में गरीब से गरीब बच्चों को भी शिक्षा देने के लिए तन, मन और धन लगाने वाला शिक्षक विरले ही मिलता है। ऐसे ही एक समाजसेवक शिक्षक हैं कालाकोट के हरनाम सिंह।
यह उन शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक हैं जो कम मेहनत करने के लिए शहरों के ही स्कूलों में रहना चाहते हैं। हरनाम सिंह दूसरे शिक्षकों के लिए भी प्रेरणा बने। उन्होंने अपने मिडिल स्कूल पदर में दानपात्र लगाया है। उसमें हर शिक्षक रोज कुछ न कुछ रकम डालते हैं। साल में उस पैसे को जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है। उनका मानना है कि लाेग मंदिरों के दानपात्र में पैसे डालते हैं। यह स्कूल भी विद्या का मंदिर ही है। यहां भी दानपात्र लगाना जरूरतमंद बच्चों के लिए कल्याणकारी है।
अपने वेतन से गरीब बच्चों की भलाई व उन्हें शिक्षित करने का काम शिक्षक हरनाम सिंह वर्षों से करते आ रहे हैं। इसके लिए उन्हें बेस्ट टीचर अवार्ड मिला। अब इस अवार्ड के तौर पर मिले रुपयों को भी वह गरीब बच्चों की शिक्षा में खर्च करने का मन बना लिया है। शिक्षक हरनाम सिंह को हाल ही में शिक्षक दिवस पर बेस्ट टीचर अवार्ड से नवाजा गया था, जिसमें उन्हें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सिल्वर मेडल के साथ प्रमाण-पत्र और 50 हजार रुपये प्रदान किए थे। लेकिन इसे संजो के रखने के बजाय उन्होंने इसे भी उन्हीं बच्चों पर खर्च करना चाहते हैं, जिनकी बदौलत उन्हें यह सम्मान मिला।
हरनाम सिंह ने कहा कहा कि अवार्ड में मिले पचास हजार रुपये में और पचास हजार रुपए मिलाकर एक लाख रुपये जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में खर्च करेंगे। उन्होंने बताया कि सारे रुपये बैंक में जमा कर रख दिए हैं और गरीब बच्चों की जरूरत अनुसार उन्हें पुस्तकें, बैग, कापी, कलम आदि देते रहेंगे। शिक्षा जोन खवास के जिस मिडिल स्कूल पदर में वह कार्यरत हैं, उसमें पढ़ने वाले कई बच्चे गरीब परिवारों से हैं और ऐसे गरीब बच्चों की मदद को ही यह कदम उठाया है। ताकि बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में कोई परेशानी न हो और बच्चे पढ़लिख कर होनहार बन सकें।
गरीब बच्चों को अपने वेतन से दिए थे स्वेटर व जूते : बीते वर्ष सर्दी के दिनों में जब नारला क्षेत्र में बर्फबारी हुई और सर्दी चरम पर थी, तब भी शिक्षक हरनाम सिंह ने अपने वेतन से स्कूल के 25 जरूरतमंद बच्चों को स्वेटर व जूते दिए थे। इस नेक कार्य में उनकी पत्नी सुरेखा देवी का भी योगदान रहा था। हरनाम सिंह ने कहा कि स्कूल में बच्चों की कुल संख्या 70 के करीब हैं। इनमें 25 बच्चे बेहद गरीब तथा कुछ अनाथ हैं। ऐसे बच्चों को जब स्कूल में सर्दी के दौरान ठिठुरते देखा गया तो तब उन्होंने स्वेटर व जूते देने से खुद को रोक नहीं पाए।
हरनाम ने समाज के लिए ये कार्य भी किए
- कोविड-19 महामारी के दौरान एक माह का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया।
- स्कूल परिसर के साथ बच्चों के खेलने को प्ले ग्राउंड का निर्माण करवाया।
- स्कूल में दानपात्र लगवाया जिसमें स्कूल के टीचर हर रोज 20 से 50 रुपए गरीब बच्चों की भलाई के लिए दानपात्र में डालते हैं और एक साल बाद उस दानपात्र को खोल वह रुपए बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर दिए जाते हैं।
- इन सबके अलावा शिक्षक हरनाम ने स्कूल में बच्चों के मिड डे मील, दोपहर के खाने के लिए अपने वेतन से छह डाइनिंग टेबल व 50 कुर्सियां लगवाई ताकि बच्चे आराम से बैठकर दोपहर का भोजन कर सके।
- वैसे बच्चों की हर तरह से मदद करते हैं, जो गरीब हैं, लेकिन पढ़ने वाले हैं।
हरनाम को मिले अब तक के अवार्ड
- हाल ही में शिक्षा दिवस पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के हाथों बेस्ट टीचर अवार्ड से सम्मानित।
- शिक्षा में नवाचार विषय पर छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम से अवार्ड पाकर सम्मानित हो चुके हैं।
- शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार में दिए सुझावों में राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल के हाथों भी नेशनल अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
- डायरेक्टर एजुकेशन अनुराधा गुप्ता से भी बेस्ट टीचर अवार्ड से सम्मानित होने के साथ-साथ स्वच्छता पर पंचायत स्तर पर अभियान चलाने पर राज्य प्रशासन में सलाहकार रहे फारुख खान के हाथों भी अवार्ड पा चुके हैं।