ठाकुरद्वारा में राम कथा में निहाल हुई संगत
संवाद सहयोगी नौशहरा ठाकुरद्वारा खूह वाला नौशहरा में पीछले दो दिन दिन से श्री राम कथा
संवाद सहयोगी, नौशहरा : ठाकुरद्वारा खूह वाला नौशहरा में पीछले दो दिन दिन से श्री राम कथा चल रही है। श्री श्री 1008 इंद्रदेवेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज प्रति दिन राम कथा में हजारों की संगत को निहाल कर रहे हैं।
सोमवार को राम कथा मे श्री श्री 1008 इंद्रदेवेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने मनुष्य का जीवन मिलने पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि संत समागम हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय, सूत, दारा और लक्ष्मी यह सब के घर में हुए' जीवन में जो दुर्लभ है, वह है संतों का संग और श्री हरि की कथा धन वैभव औलाद है। संसार में अगर कुछ प्राप्त नहीं है तो वह है संत समागम। नौकरी, विवाह, बच्चे, व्यापार, धन, मौज-मस्ती के लिए नहीं मिला है। संसार में 84 लाख योनिया हैं। मौज मस्ती में पशु पक्षी जानवर यह हम सबसे आगे हैं। जो उनका मन करता है, वह करते हैं, बिना पर्दे के करते हैं। इसीलिए उनके जीवन में मुक्ति का कोई स्थान नहीं है। भगवान की भक्ति का कोई स्थान नहीं है। उनके जीवन में पाप और पुण्य का कोई स्थान नहीं है। शेर जंगल में सभी अपने से छोटे जानवरों को रोज खाता है। मारकर पर उसे पाप नहीं लगता है। बिल्ली चूहे को खा जाती है। कुत्ता बिल्ली को मार देता है। उसे पाप नहीं लगता। आप चींटी मार के दिखाइए, आपको पाप लग जाएगा।
आप को डसने वाली सांप को मार दोगे तो पाप लग जाएगा। सोने के लिए मच्छर मारोगे तो पाप लग जाएगा। पाप और पुण्य यह मनुष्य के लिए लिखा है। महाराज ने कहा कि हम लोग कर्म योनियों में जीवन जी रहे हैं और जो भी कर्म योनि में जीवन जीते हैं, उनको ज्ञान अज्ञान का कर्म सभी का हिसाब रखना पड़ता है। उसे प्रभु को देना पड़ेगा इसलिए जितनी कथाएं, जितने ग्रंथ, जितने वेद, जितने पुराण, जितने मंदिर, जितने मस्जिद, जितने गुरुद्वारे, जितनी चर्च, जो दुनिया में बना है वह सब इंसान के लिए बना है। इतने सारे केंद्र है सुधरने के फिर भी हम सुधर नहीं पा रहे हैं। जन्मों-जन्मों के जो भी क्लेश पाप दुख हमारे जीवन से जुड़े हैं, उनको पूरी तरह नष्ट करने के लिए मानव का शरीर प्राप्त हुआ है। मानव शरीर का उद्देश्य क्या है? पिछले सब जन्मों के पाप को समाप्त करने के लिए मानव का शरीर प्राप्त हुआ है और 84 लाख योनियों में से यह अंतिम अवसर है। पाप मुक्त होने का दुख मुक्त होने का क्लेश मुक्त होने का जन्म मरण से मुक्त होने का अगर इस जीवन में चूक हो गई तो अगला जन्म फिर से पशु का ही मिलेगा।
गाय हमारी माता है, पूजनीय है, पर उसे भी कथा सुनने का अवसर नहीं मिलता और राष्ट्रीय पक्षी है उसे भी कथा सुनने का अवसर प्राप्त नहीं मिलता है।