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बनेंगे सौ सामुदायिक बंकर, जिसमें 1200 से 1500 लोग अपनी जान बचा सकते हैं

उप जिला नौशहरा के सीमांत क्षेत्रों में सौ सामुदायिक बंकर बनाया जा रहा है। इन बंकरों में 1200 से 1500 लोग शरण लेकर अपनी जान बचा सकते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 31 Aug 2017 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 31 Aug 2017 12:45 PM (IST)
बनेंगे सौ सामुदायिक बंकर, जिसमें 1200 से 1500 लोग अपनी जान बचा सकते हैं
बनेंगे सौ सामुदायिक बंकर, जिसमें 1200 से 1500 लोग अपनी जान बचा सकते हैं

राजौरी, [गगन कोहली] । उप जिला नौशहरा के सीमांत क्षेत्रों में सौ सामुदायिक बंकर बनाया जा रहा है। इन बंकरों में 1200 से 1500 लोग शरण लेकर अपनी जान बचा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि पाक सेना सिर्फ नौशहरा के सीमांत क्षेत्रों में ही गोलाबारी करती है।

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पाक सेना पुंछ के बालाकोट, मेंढर, मनकोट, कृष्णा घाटी, बीजी, साब्जियां, शाहपुर, किरनी, चकना-द-बाग, अजोट, खड़ी, करमाड़ा, राजौरी के मंजाकोट, तरकुंडी, केरी व गंभीर सेक्टरों में भी गोलाबारी करती है। इन सेक्टरों के रहने वाले लोग भी काफी समय से बंकरों के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक नौशहरा को छोड़ किसी भी सेक्टर में बंकर बनाने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। मंजाकोट सेक्टर में भी पाक सेना की गोलाबारी में काफी नुकसान होता है। अन्य सेक्टरों में बंकरों का निर्माण शुरू न होने से सीमांत क्षेत्रों के लोगों में रोष देखने को मिल रहा है।

उपमुख्यमंत्री ने बालाकोट के लोगों से किया था बंकर का वादा

15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद बालाकोट के अध्यापक और सरपंच अपने घर जा रहे थे। उसी समय पाक सेना ने गोलाबारी शुरू कर दी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद घटनास्थल पर पहुंचे उप मुख्यमंत्री निर्मल ने लोगों को आश्वासन दिया था कि आप लोगों की बंकर बनाने की जो मांग है, उसे जल्द पूरा किया जाएगा, लेकिन आज तक बंकर नहीं बन पाए हैं। लोग अब सरकार के वादों पर भरोसा नहीं कर रहे है।

नौशहरा को छोड़ किसी भी सेक्टर में बंकर नहीं

सरकार ने फिलहाल नौशहरा में सौ सामुदायिक बंकर बनाने का कार्य शुरू किया है। इन बंकरों में मात्र 1200 से 1500 लोग ही गोलाबारी के समय शरण ले सकते हैं। इसके अलावा 6121 व्यक्तिगत बंकर बनाने की भी योजना बनाई गई है। मात्र नौशहरा ही ऐसा सेक्टर है, जिसमें बंकर बनाने का कार्य किया जा रहा है। राजौरी व पुंछ दोनों जिलों में किसी भी सेक्टर में बंकर बनाने का कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है और न ही बंकर बनाने की मंजूरी मिली है।

बंकर न होने से हर बार होना पड़ता है बेघर

सीमांत क्षेत्रों में बंकर नहीं होने से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों को पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी के चलते अपने घरों से बेघर होना पड़ता है। अगर हर सेक्टर में बंकर बना दिए जाएं तो गोलाबारी के समय लोग इन बंकरों में शरण लेकर अपनी जान बचा सकते हैं।वे बेघर होने से भी बच सकते हैं।

चार हजार से अधिक लोग रह रहे राहत शिविरों में

नौशहरा में हाल ही में बंकर बनाने का कार्य शुरू किया गया है। इससे पहले बंकर न होने से पाक सेना की गोलाबारी के चलते उप जिला नौशहरा के सीमांत क्षेत्रों से चार हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ कर प्रशासन द्वारा बनाए गए छह राहत शिविरों में रह रहे हैं। अगर पहले ही बंकर बनाए गए होते तो लोग अपने घरों में ही सकते, पर बंकर बनाने का कार्य देरी से शुरू हुआ, जिस कारण लोगों को अपने घरों को छोड़ कर राहत शिविरों में आना पड़ा।

बंकर बनाने की योजना केंद्र को भेजा गया हर सेक्टर में बंकर बनाने की योजना बनाकर केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद अन्य सेक्टरों में भी बंकर बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा। हमारा प्रयास है कि सेक्टर में सामुदायिक बंकरों के साथ व्यक्तिगत बंकर भी बनाएं जाएं। -जुगल किशोर शर्मा, सांसद, जम्मू-पुंछ लोकसभा क्षेत्र।


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