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अजमत बीवी ने भरी अंतरराष्ट्रीय उड़ान

एनके शर्मा, सुंदरबनी : अगर दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो सफलता खुद ही उसके कदमों क

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 02:13 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 02:13 AM (IST)
अजमत बीवी ने भरी अंतरराष्ट्रीय उड़ान
अजमत बीवी ने भरी अंतरराष्ट्रीय उड़ान

एनके शर्मा, सुंदरबनी : अगर दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो सफलता खुद ही उसके कदमों को चूमती है। यह पंक्ति सुंदरबनी की छात्रा अजमत पर सटीक बैठती है। कस्बे में रहने वाली अजमत बीवी सुविधाओं के अभाव में भी कराटे प्रतियोगिता में जिला, राज्य स्तरीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ब्राउन मेडल जीतकर अपने क्षेत्र और देश का नाम रोशन किया है। अजमत बीवी ताइक्वांडों व वुशु में अपना भविष्य संवरना चाहती है।

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 बीस वर्षीय अजमत पुत्री मुहम्मद इकबाल निवासी गांव मावा, तहसील सुंदरबनी की रहने वाली है। अजमत बीवी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच चरण सिंह सलाथिया को दिया। उन्होंने कहा कि वह जब छठी कक्षा में थी तो चरण सिंह सलाथिया एक निजी हायर सेकेंडरी स्कूल में कराटे का प्रशिक्षण देने के लिए आते थे। इसी दौरान उन्हें कराटे सीखने की ललक जाग उठी। तब से लेकर आज तक इस पथ पर आगे बढ़ रही हूं। अजमत बीवी ने बताया कि उन्होंने गत एक दिसंबर को साउथ अफ्रीका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया। साउथ अफ्रीका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में भाग लेकर सुंदरबनी पहुंचने पर लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया।

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सरकार पर लगाया अनदेखी का आरोप

अजमत बीवी ने कहा कि उनके लिए न तो यहां कोई इंडोर मैदान है ना ही सरकार व प्रशासन द्वारा कोई सुविधा मुहैया करवाई जाती है। इससे सरकार एवं प्रशासन के खिलाफ काफी रोष व्याप्त है। विदेश में आयोजित कराटे प्रतियोगिता में कांस्य पदक लेकर सुंदरबनी लौटने के पांच दिन के बाद भी उनसे कोई उनका हाल पूछने नहीं आया। अजमत बीवी ने सरकार और स्थानीय प्रशासन से सुंदरबनी में भी बेहतर खेल सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की है।

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आíथक संकट से जूझ रही अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी अजमत बीवी ने कहा कि उनके पिता 20 साल पहले ही सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं। ऐसे में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं। इंडोर हॉल के अभाव में वह स्कूल के मैदान में रोजाना अभ्यास कर रही हैं, ताकि उनका सपनों साकार हो सके। उन्होंने अपने कोच और परिजनों को अपना सारथी बताया। अजमत बीवी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को बाहर निकलने पर पाबंदी है, लेकिन मुझे आगे बढ़ने से किसी  ने नहीं रोका। परिजनों के साथ ही ¨हदू मुस्लिम, सिख सभी समुदाय के लोगों ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सहयोग किया।

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जीत चुकी हैं कई मेडल

अजमत बीवी ने अब तक नौ स्वर्ण पदक जीते हैं, इसके अलावा उन्होंने राज्य स्तर पर भी 8 गोल्ड और 3 सिल्वर पदक जीते हैं। इसके अतिरिक्त के छोटे-मोटे मेडल सहित सैकड़ों प्रशस्ति पत्र भी हासिल कर चुकी हैं।


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