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कश्मीर में 22 सोशल साइट पर पाबंदी बेमानी

राज्य पुलिस की साइबर शाखा में कार्यरत एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह प्रतिबंध पूरी तरह फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 18 May 2017 02:41 PM (IST)Updated: Thu, 18 May 2017 02:41 PM (IST)
कश्मीर में 22 सोशल साइट पर पाबंदी बेमानी
कश्मीर में 22 सोशल साइट पर पाबंदी बेमानी

राजौरी, [ राज्य ब्यूरो]।  कालाकोट के रैंथल क्षेत्र में संदिग्ध नजर आने पर ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्य ने तीन राउंड हवा में फायर किए। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार गांव के पूर्व सरपंच ओम प्रकाश ने घर के पास संदिग्ध व्यक्ति को देखा। उसी समय उसने ग्राम सुरक्षा समिति की थ्री नट थ्री राइफल से तीन गोलियां हवा में दाग दी। गोलियों की आवाज सुन कर समिति के अन्य सदस्य भी घरों से बाहर आ गए और तलाश करने के बाद कोई भी संदिग्ध नजर नहीं आया।

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कश्मीर में शरारती तत्वों और आतंकियों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने दुष्प्रचार के लिए किए जाने पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार की ओर से फेसबुक, ट्वीटर और वाट्सएप समेत 22 सोशल नेटवर्किंग साइट पर लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। केवल आतंकी नहीं कई प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता व आम लोग प्रतिबंधित सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं।

राज्य गृह विभाग ने 26 अप्रैल को सोशल साइटों पर पाबंदी का निर्देश जारी किया था। वादी में इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली सभी कंपनियों को निर्देश दिया गया कि इन साइटों को बंद करें। हालांकि राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ स्थानीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई। नेशनल कांफ्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया, लेकिन राज्य सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला। इस प्रतिबंध के खिलाफ कुछ लोग अदालत में भी पहुंच गए। वादी में यह प्रतिबंध कागजों में ही सिमटता नजर आ रहा है।

आतंकी संगठन बिना किसी मुश्किल जहां अपने वीडियो और बयान सोशल मीडिया की साइट पर अपलोड कर रहे हैं। अन्य लोग वीपीएन के जरिए प्रतिबंधित सोशल साइटों पर पूरी तरह सक्रिय हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेता प्रतिबंध का मखौल उड़ाते हुए फेसबुक और ट्वीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी ट्वीटर पर लगातार सक्रिय हैं। राज्य पुलिस भी फेसबुक और वाट्सएप के जरिए अपनी कई सूचनाएं संबंधित अधिकारियों व आम लोगों तक पहुंचा रही है। सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी आपस में वाट्सएप के जरिए एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

गली-बाजारों में आम लोग विशेषकर युवा अपने स्मार्टफोन पर प्रतिबंधित सोशल साइट का इस्तेमाल करते हुए नजर आते हैं। राज्य पुलिस की साइबर शाखा में कार्यरत एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह प्रतिबंध पूरी तरह फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है।

वीपीएन एप को डाउनलोड कर लोग प्रतिबंधित सोशल साइट का खुलेआम प्रयोग कर रहे हैं। वीपीएन के जरिए किसी साइट का इस्तेमाल करने वाले यूजर की सही लोकेशन भी पता नहीं चलती है। हमने कई वीपीएन निष्क्रिय किए हैं, लेकिन यहां सैकड़ों वीपीएन हैं। 

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