कठुआ में खाद की किल्लत के बीच शुरू की गेहूं की बोआई, किसानों की टेंशन बरकरार
हीरानगर के किसान धान की फसल में हुए नुकसान से परेशान हैं। अब उन्हें गेहूं की फसल से उम्मीदें हैं, लेकिन डीएपी खाद की कमी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। कई किसान बिना खाद के ही बुआई करने को मजबूर हैं, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

कठुआ में खाद की किल्लत के बीच शुरू की गेहूं की बोआई (जागरण फोटो)
संवाद सहयोगी, हीरानगर। उपमंडल के किसानों ने बरसात के मौसम में खराब हुई बासमती धान की फसल की कटाई तैसे-तैसे पूरी कर ली है, लगभग पांच प्रतिशत कटाई ही शेष रह गई है। धान की फसल पहले ही बाढ़ और भारी बारिश, आंधी की मार झेल चुकी थी, जिससे उत्पादन में काफी गिरावट आई। किसानों की उम्मीदें अब गेहूं की फसल पर टिकी हैं, लेकिन इस समय डीएपी खाद की किल्लत ने नई चिंता खड़ी कर दी है।
उपमंडल में करीब दस हजार हेक्टेयर भूमि पर हर वर्ष गेहूं की बोआई होती है। ऊंचाई वाले सीमावर्ती क्षेत्र के किसान नवंबर के पहले सप्ताह से ही बोआई शुरू कर देते हैं, ताकि सही समय पर फसल तैयार हो सके।
खाद की कमी के चलते कई किसान मजबूरी में बिना खाद के ही बोआई करने को विवश हो गए हैं। किसान तरसेम लाल, पुरुषोत्तम लाल, दर्शन लाल, मंगत राम और मनोहर लाल का कहना है कि धान की फसल बर्बाद होने से वे पहले ही नुकसान झेल रहे हैं। अब गेहूं की बोआई के समय खाद न मिलने से उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है।

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