मतदाताओं में उम्मीदवारों का नाम जानने में लगी जिज्ञासा
जागरण संवाददाता, कठुआ : निकाय चुनाव के लिए अभी किसी भी राजनीतिक दल द्वारा उम्मीदवार की घोषणा नहीं कि
जागरण संवाददाता, कठुआ : निकाय चुनाव के लिए अभी किसी भी राजनीतिक दल द्वारा उम्मीदवार की घोषणा नहीं किए जाने से मतदाताओं में नाम जानने की बेताबी दिख रही है। सभी वाडरें में अभी बस एक ही चर्चा लगी है कि उनके वार्ड में कौन उम्मीदवार होगा, कौन सा दल किस उम्मीदवार को मैदान में उतारता है, की चर्चा चरम पर है। हालांकि, इस तरह की चर्चा को जल्द ही विराम लगने वाला है। राजनीतिक दल एक राय से उम्मीदवारों की सूचियां बनाने में लगे हैं। सूचियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जिनकी घोषणा में भी देरी नहीं है, क्योंकि अधिसूचना भी वीरवार जारी हो जानी है। इसके चलते उम्मीदवारों के नाम जल्द फाइनल होंगे। ऐसे में जब तक उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं हो जाते तब तक मतदाताओं में अपने उम्मीदवार का नाम जानने में जिज्ञासा लगी है।
जिले में सबसे अहम 21 वार्डो पर कठुआ नगर परिषद, जहां स्थानीय निकाय चुनाव भी किसी राजनीतिक घमासान से कम नहीं होंगे। इस नगर परिषद में 34 हजार के करीब मतदाता जहां अपने पार्षद चुनेंगे, वहीं पार्षद अपना प्रधान चुनेंगे। जिले के अन्य क्षेत्रों में कमेटियां होने के चलते वहां पर कमेटी के चेयरमैन एवं सदस्य चुने जाने हैं। ऐसे में सभी राजनीति निकाय चुनाव में अपनी पार्टी का वर्चस्व दिखाने के लिए उतावले दिख रहे हैं। वहीं मतदाता कैसा उम्मीदवार चाहते हैं, इसको लेकर उनकी राय इस तरह से है। उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो समस्याओं से परिचित हो, पढ़ा-लिखा हो और खुद ईमानदार होने के साथ उसकी छवि भी अच्छी होनी चाहिए तभी इस चुनाव का मकसद पूरा होगा और वो लोगों की समस्याएं हल करने में भी सक्षम हो, ऐसा नहीं कि सिर्फ उम्मीदवार हो, जिसके लिए बाद में पछताना पड़े। -सुखदेव सिंह राजनीतिक दलों को भी अच्छे, ईमानदार, पढ़े-लिखे और क्षेत्र की समस्याओं को जानने वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहिए, जो लोगों के बीच जाएं और उनकी समस्याएं सुनने वाला हो, उसके समाधान के लिए भी प्रयासरत रहे। -जय पाल
अक्सर देखा जाता है कि राजनीतिक दल सिर्फ अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का काम करते हैं, वह चाहे जनता के बीच का न होकर स्वार्थी हो, उसे लोगों की समस्याओं से कुछ लेना-देना नहीं होता है। चुनाव जीतने के बाद वह अपने स्वार्थो की पूर्ति में लग जाता है, मतदाताओं को बाद में पछताना पड़ता है। -मुकेश कुमार इस निचले स्तर के चुनाव में राजनीतिक दलों को ऊपर से उम्मीदवार थोपने की बजाय जनता के बीच आकर उनका चयन करना चाहिए ताकि जो उम्मीदवार मैदान में उतारा जाए, वो सभी को मान्य हो, लेकिन ऐसी प्रथा अभी राजनीतिक दल बनाने के लिए तैयार नहीं है।
-प्रदीप कुमार