तीनों प्रमुख उम्मीदवार कठुआ में ही डाले रहे डेरा
जागरण संवाददाता कठुआ धमपुर संसदीय क्षेत्र के तीन प्रमुख उम्मीदवार बु
जागरण संवाददाता, कठुआ : धमपुर संसदीय क्षेत्र के तीन प्रमुख उम्मीदवार बुधवार जारी मतदान प्रक्रिया के दौरान पूरा दिन कठुआ जिला में ही डेरा डाले रहें। कठुआ जिला में उनकी मतदान प्रक्रिया के दौरान दिखी सक्रियता से ऐसा लग रहा था कि तीनों उम्मीदवारों ने इसी जिला को चुनावी रणभूमि माना है और इसी के चलते वो अपनी हार जीत भी इसी जिला से देख रहे हैं।
उन्हें पता चल गया है कि कठुआ जिला के पौने पांच लाख मतदाता ही हार जीत का फैसला करेंगे।
जिसके चलते तीनों प्रमुख उम्मीदवार भाजपा के केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह और डोगरा स्वाभिमान संगठन के चौधरी लाल सिंह ने मतदान के दिन भी प्रचार की तरह कठुआ में ज्यादा समय बिताया और प्रत्येक मतदान केंद्र में दौरा कर वहां से अपने कार्यकर्ताओं से ट्रेंड जान रहे थे। डॉ. जितेंद्र सिंह को केंद्रीय मंत्री पर बैठाने वाले भी कठुआ जिला के ही मतदाता हैं,ये खुद जितेंद्र सिंह कई बार पांच साल के दौरान विभिन्न समारोह में कहते रहते रहें,क्योंकि गत चुनावों में उन्हें कठुआ जिला से करीब डेढ़ लाख की लीड मिली थी।
इसी के चलते उन्हें इस बार भी कठुआ जिला के मतदाताओं पर पूरा भरोसा है तभी वो कठुआ में ही आखिरी समय में डेरा जमाए बैठे रहे। जितेंद्र सिंह अपने समर्थकों के साथ मतदान केंद्रों के बाहर मिलते रहे और उन्हें अन्यों को भी प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित करते रहे।
वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को भी हार जीत कठुआ जिला में ही दिख रही है। वो भी आखिरी समय में मतदान के दिन कठुआ में ही डेरा डाले रहे। उन्हें भी पूरा भरोसा है कि कठुआ जिला के मतदाता अगर उन्हें गुलाम बनी आजाद से ज्यादा वोट दे देते हैं,तारे उनकी जीत है,क्योंकि डोडा, किश्तवाड़, इंद्रवाल, रामबन, भद्रवाह, बनिहाल, गुलाब गढ़ आदि विस क्षेत्रों में उन्हें मतदाता गुलाम नबी आजादी की वोट डाल देंगे, हार जीत कठुआ ही करेगा,उन्हें ये भी उम्मीद है कि लाल सिंह जितने भी वोट लेगा, उतना ही फायदा उन्हें होगा, क्योंकि गत चुनाव में भाजपा की लीड 60 हजार के करीब ही थी,जिसके चलते उस लीड को तोड़ने के लिए 30 हजार ही वोट ज्यादा लेने की जरूरत है। लाल सिंह ने पिछले बार जितेंद्र सिंह के लिए वोट मांगे थे,इस बार वो उसके खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। इन सभी का विक्रमादित्य सिंह को फायदा होने की उम्मीद है। विक्रमादित्य मतदान केंद्रों में उत्साह से जानकारी लेने आते रहे। विक्रमादित्य सिंह पहली बार इस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि उनके पिता डॉ. कर्ण सिंह चार बार इस क्षेत्र से संसद में प्रतिनिधि कर चुके हैं। उन्हें उसके कारण भी वोट मिलने की उम्मीद है।
वहीं डोगरा स्वाभिमान संगठन के उम्मीदवार जो इस क्षेत्र से दो बार सांसद सदस्य रह चुके हैं और भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री चमन लाल गुप्ता को दो बार हरा चुके हैं,ऐसे में उन्हें फिर अपनी जीत का पूरा भरोसा है। दूसरा वो कठुआ जिला उनका अपना गृह जिला है। जिस जिले में भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवार अपनी जीत हार का फैसला होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं,वो उस जिला के निवासी है। ऐसे में उन्हें इस जिला में सबसे ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है।
चुनाव में तो वैसे 9 और भी उम्मीदवार है,जिनमें दो हालांकि नाम के तो हैं,लेकिन 7 तो सिर्फ नाम के ही हैं,जो प्रचार करना तो दूर मतदान केंद्रों में दौरा लगाने नहीं पहुंचे,जहां तक कि मतदान के बाहर अपने पोलिंग एजेंट तक नियुक्त नहीं कर पाये। ऐसे में तीन उम्मीदवार जिला कठुआ को ही हार जीत का फैसला करने वाला मान रहे हैं।