श्रीराम ने तोड़ा धनुष, देखते रह गए राजा महाराजा
संवाद सहयोगी बसोहली रामलीला मंचन के चौथे दिन राम सीता स्वयंवर का दृश्य रहा। राजा जनक ने सीता का
संवाद सहयोगी, बसोहली: रामलीला मंचन के चौथे दिन राम सीता स्वयंवर का दृश्य रहा। राजा जनक ने सीता का स्वयंवर रचाने का आदेश दिया, जिसमें शर्त रखी गई कि जो भी शिव धनुष का चिल्ला चढ़ाएगा वह ही सीता को वरमाला पहनाने का हकदार होगा। इस पर देश विदेश से राजा सीता स्वयंवर में भाग लेने के लिए पहुंचे।
गुरु विश्वामित्र ने राम को आदेश दिया कि उनकी पूजा अर्चना का समय हो गया है और वह फूल लेकर आयें। राम लक्षमण के साथ फूल लेने गये और वहा पर सीता को देखा। यहा पर वह एकटक सीता को देखते ही रह गये। गुरु विश्वामित्र को भी राजा जनक ने आमंत्रण दिया, जिनके साथ राम लक्षमण भी स्वयंवर की शोभा देखने के लिए जनकपुरी पहुंचे। सभी राजाओं ने अपनी ओर से धनुष का चिल्ला चढ़ाने का प्रयत्न किया, मगर सब असफल रहे। कुछ राजाओं ने उपस्थित लोगों को खूब हंसा कर मनोरंजन किया। बाद में राजा जनक निराश हो गए कि सभी चूडिया पहन लो और यहा से दफा हो जाओ, लगता है कि क्षत्रियों में दम नहीं रहा है और मेरी सीता जन्म भर कुंवारी ही रहेगी।
इस पर लक्ष्मण तिलमिला गये और उन्होंने कहा कि कुछ राजाओं के धनुष ना तोड़ने पर सभी को बेकार साबित नहीं कर सकते। इस पर राम ने समझाया कि जब गुरु विश्वामित्र हमारे साथ हैं तो उनके आदेश बिना आप अपनी और से अपशब्द न बोले। विश्वामित्र ने आदेश दिया कि राम धनुष का चिल्ला चढ़ाओ, राम ने जैसे ही धनुष तोड़ा हर और से तालिया बजना शुरू हो गई। सीता राम का स्वयंवर हुआ और सभी बारातियों को फल मीठाई खिलाई गई। अयोध्या पुरी से भी राजा दशरथ एवं परिवार के सदस्यों को बुलाया गया यहा चारों युवा कुमारों का विवाह राजा जनक की सपुत्रियों से करवाया गया।
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पुरोहित करते हैं बारात के खाने का आयोजन
प्रेम सागर, अजीज एवं स्वर्गीय सत प्रकाश पुरोहित परिवार के सदस्य हर बार राम की बारात में फल, मिठाई एवं खाद्य सामग्री अपनी ओर से देते हैं। यह प्रथा वर्षो पुरानी है। देर रात को भी पूर्व राज्य मंत्री प्रेम सागर अजीज ने अपने हाथों से जनक के साथ मिलकर सभी देवी देवताओं व अयोध्या के लोगों का मुंह मीठा करवाया और उनके खाने का प्रबंध किया।