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पहाड़ सहित धरती पर संजीवनी बूटे लेकर उतरे हनुमान, लोग रहे दंग

संवाद सहयोगी बसोहली पूरे विश्व में अलग पहचान रखने वाली रामलीला में देर रात हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:03 AM (IST)
पहाड़ सहित धरती पर संजीवनी बूटे लेकर उतरे हनुमान, लोग रहे दंग
पहाड़ सहित धरती पर संजीवनी बूटे लेकर उतरे हनुमान, लोग रहे दंग

संवाद सहयोगी, बसोहली: पूरे विश्व में अलग पहचान रखने वाली रामलीला में देर रात हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाने का दृश्य देख हर कोई हनुमान की जयकारे लगाए बिना ना रह सका। देर रात हुए रामलीला के मंचन में राम द्वारा समुद्र पर राम सेतु को बनाना, जिसमें अंगद ने बताया कि नल और नील ऐसे दो बंदर हैं जो कुछ भी समुद्र में डालते हैं वह तैर जाता है, इस कारण सेतु निर्माण का जिम्मा उन्हें दिया जाए और इसके बाद भगवान शिव की पूजा की और इस जगह को रामेश्वरम धाम से पहचाने जाने को कहा।

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इसके बाद राम द्वारा संधि की कोशिश के लिए अंगद को भेजा गया, जहां उसने कहा कि इस समय भी अगर लंका को विध्वंस से बचाना चाहते हैं तो सीता माता को राम के सुपुर्द कर दें और युद्ध टल जाएगा। मगर रावण ने एक नहीं मानी, इसके बाद अंगद ने एक शर्त रखी कि रावण दरबार को कोई दरबारी अगर उस का पैर उखाड़ेगा तो वह राम को यहा से वापस ले जाएंगे, अगर ऐसा नहीं हुआ तो आप को बिना शर्त सीता को राम के हवाले करना होगा। इस पर रावण ने सहमति जताई। एक के बाद एक सभी दरबारियों ने पैर उखाड़ने को नाकाम कोशिश की। इस के बाद रावण खुद अंगद के पैर उखाड़ने के लिए आगे आया तो अंगद ने कहा कि आप ब्रह्मण हैं और मेरे से बड़े हैं। इसके बाद युद्ध शुरू हुआ, जिसमें मेघनाद ने ब्राह्स्त्र का प्रयोग करते हुए लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। राम परेशान हो गए और विभीषण ने बताया कि सुषेण बैद्य को अगर लाया जाए तो लक्ष्मण बच सकते हैं। हनुमान सुषेण बैद्य को लेकर आये और सुषेण बैद्य ने संजीवनी बूटी के बारे में बताया कि अगर सुबह तक आ जाये तो लक्ष्मण को बचाया जा सकता है। हनुमान ने संजीवनी बूटी की पहचान पूछी और लेने चले गये। इसके बाद हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आये और लक्ष्मण को बचाया। इसके बाद मेघनाद और कुंभकर्ण का वध देखने को मिला।

बहरहाल, बसोहली रामलीला में लगभग 150 मीटर के करीब और लगभग 50 फीट की ऊंचाई पर से हनुमान संजीवनी बूटी को लेकर आते हैं। हनुमान की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कवच लगाया होता है और देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे हनुमान उड़ रहे हैं। दस से पंद्रह मिनट के इस दृश्य में सब दिल थाम कर रामचंद्र की जय पवन सुत हनुमान के जयघोष लगाते हैं। इस दृश्य को देखने के लिए देर रात को सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ी।


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