डीडीसी चुनाव में विकास को भूल आरोप प्रत्यारोप का क्रम हुआ तेज
राकेश शर्मा कठुआ राजनीतिक भेदभाव आतंकवाद और कोरोना महामारी से प्रभावित प्रदेश में
राकेश शर्मा, कठुआ: राजनीतिक भेदभाव, आतंकवाद और कोरोना महामारी से प्रभावित प्रदेश में विकास की गति को और तेज करने के लिए पहली बार हो रहे जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। चुनाव प्रचार में प्रत्येक दल सिर्फ और सिर्फ विकास से जुड़े इस चुनाव में बातें न करके एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने शुरू हो गए हैं। इसके चलते चुनाव विकास की बजाय राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। हालांकि, प्रदेश के लोग इस चुनाव में पहली बार शामिल हुए हैं। इसके जरिए जिला विकास परिषद बननी है, जो जिले के विकास के लिए खुद फैसला लेगी। इससे विकास की गति तेज होगी। साथ ही प्रदेश में पहली बार थ्री टीयर पंचायत प्रणाली लागू होने से ग्रामीण क्षेत्र के चुने गए प्रतिनिधियों को काम करने की और स्वायतता मिलेगी। प्रतिनिधि खुद विकास के फैसले लेंगे। प्रत्येक जिले से 14 प्रतिनिधि यानि जिला विकास परिषद के सदस्य चुने जाने हैं, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता पंचायत चुनाव की ही तरह वोट डाल कर चुनेंगे। चुनाव की घोषणा के साथ ही अधिसूचना जारी होने के बाद पूरे प्रदेश में राजनीतिक भूचाल सा आ गया है, जिस तरह से इस चुनाव में राजनीतिक प्रचार हो रहा है, ऐसा तो विधान सभा चुनाव में भी शायद हुआ हो। जिसमें सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रीय नेता भी इस छोटे से चुनाव में प्रचार के लिए पहुंच गए हैं और सबसे अहम सत्ताधारी दल को हाल ही में रोशनी घोटाले के हुए खुलासे से विरोधी दलों को प्रचार के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया, जिससे चारों ओर विरोधी दलों पर लगातार हर चुनावी सभा में आरोपों की बौछार हो रही है। जिनके आरोपों के आगे विरोधी दल कम से कम अभी तो उस तरह से जवाब देने में अक्षम हो गए हैं। हैरानी इस बात की है कि चुनाव विकास को लेकर था, जिसमें विकास की बातें की जानी थी, सभी दल अपनी ओर से विकास की बातें करते और बताते कि डीडीसी चुनाव के बाद जनता को किस तरह का विकास मिलेगा। जो क्षेत्र अब तक विकास से अछूते थे, वहां क्या इस चुनाव के बाद विकास होगा, होगा तो किस तरह का। कौन सा क्षेत्र पंचायतों, विधान सभा के साथ लोकसभा चुनाव होने पर भी विकास से अछूता रहा और क्या वे अब डीडीसी बनने के बाद विकास की उम्मीद रखेगा। इस तरह की बातें करता कोई भी दल नहीं दिख रहा है। एक दूसरे पर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप लगाकर चुनावी माहौल को गर्माने का काम कर रहा है। अगर देखा जाए तो पहले चरण का मतदान 28 नवंबर को होगा, लेकिन उससे पहले जिले में सत्ताधारी दल ने चुनाव प्रचार में बाजी मार ली है। अन्य दल चुनाव प्रचार अभी काफी पीछे हैं। हालांकि, अभी मतदान और सात चरणों में होना है।